दोस्ती में दरार डालने की कोशिश, पेंटागन ने अरुणाचल पर भारत को चेताया, चीन बुरी तरह बौखलाया

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अभिनय आकाश । Dec 26 2025 12:25PM

चीनी विदेश मंत्री लिन जियान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई पेंटागन की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा पेंटागन की रिपोर्ट चीन की रक्षा नीति को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है, चीन और अन्य देशों के बीच मतभेद पैदा करती है, और अमेरिका को अपनी सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखने का बहाना ढूंढने का लक्ष्य रखती है। चीन इस रिपोर्ट का कड़ा विरोध करता है।

चीन ने अमेरिकी युद्ध विभाग की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें बीजिंग पर भारत के साथ सीमा तनाव कम होने का फायदा उठाकर अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करने और पाकिस्तान के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने का आरोप लगाया गया था। चीन ने अमेरिका पर झूठे बयानों के जरिए बीजिंग और अन्य देशों के बीच फूट डालने का आरोप लगाया और कहा कि भारत के साथ सीमा की स्थिति स्थिर है। चीनी विदेश मंत्री लिन जियान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई पेंटागन की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा पेंटागन की रिपोर्ट चीन की रक्षा नीति को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है, चीन और अन्य देशों के बीच मतभेद पैदा करती है, और अमेरिका को अपनी सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखने का बहाना ढूंढने का लक्ष्य रखती है। चीन इस रिपोर्ट का कड़ा विरोध करता है।

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भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है। अरुणाचल पर चीन कब्जा करना चाहता है। पेंटागन का दावा है कि  2049 तक चीन का यहां पर कब्जे का प्लान है। पेंटागन ने अमेरिकी संसद को चीन के विस्तारवादी प्लान को लेकर यह रिपोर्ट दी है। ताइवान, साउथ चाइना सी, जापान के सिंकाकू आइलैंड के साथ अरुणाचल प्रदेश का भी नाम इस रिपोर्ट में है। चीन अरुणाचल प्रदेश को कोर इंटरेस्ट समझता है। पहले कोर इंटरेस्ट में सिर्फ ताइवान दक्षिण चीन सागर था। अब अरुणाचल को भी कोर इंटरेस्ट में शामिल किया गया है। 2049 तक चीन अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करना चाहता है। रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप समूह और भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रीय विवादों के बीच, चीन के नेतृत्व ने ताइवान और चीन के संप्रभुता दावों को शामिल करने के लिए मुख्य हित शब्द का विस्तार किया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और चीन के बीच संबंध कई वर्षों में सबसे मजबूत हैं और युद्ध विभाग इस प्रगति को आगे बढ़ाने के प्रयासों का समर्थन करेगा। इसमें कहा गया है, हम ऐसा आंशिक रूप से पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के साथ सैन्य स्तर पर संवाद के दायरे को व्यापक बनाकर करेंगे, जिसमें रणनीतिक स्थिरता के साथ-साथ टकराव से बचाव और तनाव कम करने पर व्यापक रूप से ध्यान दिया जाएगा। हम अपने शांतिपूर्ण इरादों को स्पष्ट करने के लिए अन्य तरीकों की भी तलाश करेंगे। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हित मौलिक हैं, लेकिन साथ ही सीमित दायरे वाले और तर्कसंगत भी हैं। इसमें कहा गया है, हम चीन पर प्रभुत्व जमाना या उसे अपमानित करना नहीं चाहते। बल्कि, जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में बताया गया है, हम केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के किसी भी देश को हम पर या हमारे सहयोगियों पर प्रभुत्व जमाने से रोकना चाहते हैं।

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चीन मित्रता की आड़ में सीमा पर दबाव बढ़ा सकता है। इसके आसार नजर आ रहे हैं। एक्सपेंशन की पॉलिसीज को लगातार  चीन आगे बढ़ाता हुआ नजर आता है। लेकिन हाल के समय में अगर देखा जाए तो ऐसा लगता है कि रिश्ते बेहतर करने की कोशिशें हो रही हैं दोनों ही तरफ से। पिछले साल हमने देखा कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रेसिडेंट जिनपिंग की मीटिंग हुई रूस में और उसके बाद फिर इस साल प्रधानमंत्री चीन गए भी एससीओ  सम्मेलन में रिश्ते सुधर रहे हैं।  चीन का पहला टारगेट भारत नहीं है। चीन का पहला टारगेट ताइवान है और ताइवान पर कब्जा करने में चीन भारत का भी पॉलिटिकल समर्थन की उम्मीद लगाए बैठा है।  दुनिया के तमाम देशों को यह मैसेज दे रहा है कि ताइवान उनका अपना हिस्सा है। 

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