पुतिन-मोदी-जिनपिंग एक साथ, US की दादागिरी का जवाब, RIC फॉर्मेट क्या है, जिसकी कल्पना ही उड़ा देगी नाटो-ट्रंप की नींद

मीडिया के हवाले से दावा किया जा रहा हैकि पीएम मोदी भी वहां जा सकते हैं। ऐसे में तीनों बड़े नेता एससीओ शिखर सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आ रही है जब चीन, रूस और भारत के त्रिकोणीय गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो चली हैं।
खबर ये आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के महीने में चीन के दौरे पर जा सकते हैं। दरअसल, पीएम मोदी चीन के तियांजिंग शहर में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा सकते हैं और जहां उनकी मुलाकात न केवल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हो सकती है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी पीएम मोदी से मुलाकात हो सकती है। आपको याद होगा कि हालिया ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति नदारद रहे थे। शी जिनपिंग के नहीं जाने के बहुत सारे कारण बताए गए थे। कभी पीएम मोदी के स्टेट डिनर से नाराजगी तो कभी सीपीसी के अंदर स्थिति कमजोर होने की बात तक सामने आई। वहीं व्लादिमीर पुतिन के नाम पर इंटरनेशनल कोर्ट से अरेस्ट वारंट निकला हुआ है। उसको ध्यान में रखते हुए वो मौजूद नहीं रहे। लेकिन एससीओ शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद रहेंगे। वहीं मीडिया के हवाले से दावा किया जा रहा हैकि पीएम मोदी भी वहां जा सकते हैं। ऐसे में तीनों बड़े नेता एससीओ शिखर सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आ रही है जब चीन, रूस और भारत के त्रिकोणीय गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो चली हैं।
विश्व शांति और प्रगति के लिए जरूरी
रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुदेंको के हवाले से कहा कि मॉस्को आरआईसी प्रारूप की बहाली की उम्मीद करता है और इस मुद्दे पर बीजिंग और नयी दिल्ली के साथ बातचीत कर रहा है। आंद्रेई रुदेंको ने कहा कि यह विषय दोनों देशों के साथ हमारी बातचीत में शामिल है। हम इस प्रारूप को सफल बनाने में दिलचस्पी रखते हैं, क्योंकि तीनों देश (भारत, चीन, रूस) ब्रिक्स के संस्थापकों के अलावा महत्वपूर्ण साझेदार हैं। इसलिए, मेरी राय में आरआईसी प्रारूप की कमी अनुचित है। हम उम्मीद करते हैं कि सबंधित देश आरआईसी के ढांचे के भीतर फिर से काम शुरू करने पर सहमत होंगे। बेशक तब, जब इन देशों के बीच संबंध उस स्तर पर पहुंच जाएंगे, जो उन्हें त्रिपक्षीय प्रारूप में काम करने की अनुमति देता है।
त्रिपक्षीय सहयोग क्यों चाहता है चीन?
चीन ने निष्क्रिय रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने की रूस की पहल के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। उसने कहा कि त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हित साधता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व की सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी जरूरी है। रुदेंकों की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन-रूस-भारत सहयोग न केवल तीनों देशों के संबंधित हितों की पूर्ति करता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को बनाए रखने में भी मदद करता है।’’ उन्होंने कहा कि चीन त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के वास्ते रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है।
भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने की कवायद
आरआईसी को पुनर्जीवित करने में रूस और चीन की दिलचस्पी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग की यात्रा करने के बाद बढ़ी है। इस दौरान, जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव सहित शीर्ष चीनी-रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत की थी।
भारत ने इस पर क्या कहा
मॉस्को की नई रुचि के बाद, भारत ने लंबे समय से निष्क्रिय रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि कोई भी निर्णय "पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तरीके से" लिया जाएगा। आरआईसी को साझा चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर चर्चा के लिए एक मंच बताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि आरआईसी एक परामर्शदात्री मंच है, जो एक ऐसा तंत्र है जहाँ तीन देश अपने-अपने हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए एक साथ आते हैं। उन्होंने समय-सीमा निर्दिष्ट किए बिना कहा कि कार्यक्रम तीनों देशों के बीच समन्वय पर निर्भर करेगा।
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