पुतिन के भारत आने से पहले बड़ा कदम: रूस से अहम सैन्य लॉजिस्टिक्स समझौता मंजूर, चीन के लिए बड़ा संदेश

Putin
ANI
रेनू तिवारी । Nov 29 2025 9:40AM

पुतिन की भारत यात्रा से पहले रूस महत्वपूर्ण सैन्य समझौते 'रेलोस' की पुष्टि करेगा, जिसका उद्देश्य संयुक्त सैन्य अभ्यासों और आपदा राहत जैसे अभियानों में समन्वय को आसान बनाना है। यह समझौता आर्कटिक क्षेत्र में संयुक्त अभ्यासों के लिए भी उपयोगी हो सकता है, जिससे भारत और रूस की नौसेनाएं एक-दूसरे के संसाधनों का उपयोग कर सकेंगी। इस पुष्टि से भारत-रूस सामरिक साझेदारी और मजबूत होगी, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में।

क्रेमलिन ने कहा कि रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी अगले हफ़्ते नई दिल्ली आने पर अपने देशों की "खास स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप" के सभी पहलुओं पर बात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर से दो दिन के भारत दौरे पर आएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सालाना शिखर वार्ता करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की संसद का निचला सदन 4-5 दिसंबर को प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन के 23वें बाइलेटरल समिट के लिए होने वाले स्टेट विज़िट से पहले भारत के साथ एक ज़रूरी मिलिट्री समझौते को मंज़ूरी देने वाला है।

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रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच सैन्य सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से इस वर्ष 18 फरवरी को ‘रेसीप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट’ (रेलोस) पर हस्ताक्षर किए थे।

सरकारी समाचार एजेंसी तास के अनुसार, ‘स्टेट डूमा’ ने रेलोस दस्तावेज को अपने संपुष्टि डेटाबेस में सरकार के इस नोट के साथ अपलोड कर दिया है कि ‘‘रूस सरकार का मानना है कि इस दस्तावेज की पुष्टि से रूस और भारत के बीच सैन्य क्षेत्र में सहयोग और मजबूत होगा।’’ रेलोस समझौते का उद्देश्य संयुक्त सैन्य अभ्यास, आपदा राहत और अन्य अभियानों के लिए समन्वय प्रक्रिया को आसान बनाना है।

स्थानीय रक्षा सूत्रों के अनुसार, रेलोस से सैन्य अभ्यास और आपदा राहत अभियान समेत संयुक्त गतिविधियों के लिए प्रक्रियाएं सरल करके सैन्य सहयोग को और सुदृढ़ किया जा सकेगा। इस प्रकार के समझौते सहभागी देशों के लिए शांतिकालीन अभियानों के भौगोलिक अवसरों का विस्तार करते हैं। इज्वेस्तिया दैनिक समाचार पत्र ने इस समझौते पर हस्ताक्षर के समय उल्लेख किया था कि इस समझौते के प्रावधान आर्कटिक क्षेत्र में संयुक्त अभ्यासों पर भी लागू हो सकते हैं।

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विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय नौसेना के तलवार श्रेणी के युद्धपोत तथा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य आर्कटिक क्षेत्र की अत्यधिक ठंड में भी संचालित किए जा सकते हैं और ये साजो-सामान संबंधी सहायता के लिए रूसी नौसैनिक अड्डों का उपयोग कर सकेंगे। इसी प्रकार रूसी नौसेना भारतीय सुविधाओं का उपयोग करके हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकेगी जिससे चीन तथा क्षेत्र से बाहर के अन्य देशों के प्रभाव को संतुलित किया जा सकेगा।

News Source- PTI Information 

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