आईएमएफ बेलआउट कार्यक्रम को कमजोर करने की कोशिश कर रहा विपक्ष : Sri Lankan government

Sri Lankan government
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मुख्य सरकारी सचेतक और शहरी विकास मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने संसद में दावा किया कि विदेशी राजनयिकों के साथ एक गुप्त बैठक में विपक्ष ने उस समय कठोर शर्तें लागू करने का अनुरोध किया है, जब आईएमएफ मदद जारी करना शुरू करसकता है।

श्रीलंका सरकार ने बृहस्पतिवार को विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह कोलंबो में मौजूद विदेशी राजदूतों के साथ बैठक करके अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के महत्वपूर्ण बेलआउट कार्यक्रम को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने दावा किया कि देश में स्थानीय चुनावों में देरी को लेकर वैश्विक ऋणदाता से मदद के संबंध में कड़ी शर्तें लागू करवाने में सहयोग देने का अनुरोध करके विपक्ष बेलआउट कार्यक्रम को कमजोर कर रहा है। श्रीलंका सरकार ने आईएमएफ द्वारा कर्ज में डूबे द्वीपीय देश को आर्थिक संकट से उबरने में मदद के लिए 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दिए जाने के कुछ दिन बाद यह आरोप लगाया है।

मुख्य सरकारी सचेतक और शहरी विकास मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने संसद में दावा किया कि विदेशी राजनयिकों के साथ एक गुप्त बैठक में विपक्ष ने उस समय कठोर शर्तें लागू करने का अनुरोध किया है, जब आईएमएफ मदद जारी करना शुरू करसकता है। रणतुंगा ने कहा, “विपक्ष ने विदेशी राजदूतों से आईएमएफ की मदद में देरी करने या कड़ी शर्तें लागू करने का अनुरोध किया है।” उन्होंने कहा, “ऐसे समय में इस तरह की हरकतें न करें, जब लोग सड़कों पर उतर आए हैं।”

हालांकि, मुख्य विपक्षी दल समागी जना बालावेज्ञा (एसजेबी) ने विदेशी राजदूतों के साथ हुई बैठक का बचाव किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने विदेशी राजदूतों को स्थानीय परिषद चुनाव को स्थगित करने के श्रीलंका सरकार के फैसले से अवगत कराने के लिए उनके साथ बैठक की थी। मुख्य विपक्षी नेता सजिथ प्रेमदास ने इन आरोपों को खारिज किया कि विदेशी राजदूतों से मुलाकात का मकसद आंतरिक मुद्दों का इस्तेमाल कर देश को मिलने वाली महत्वपूर्ण विदेशी मदद में कटौती करवाना था।

स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, बैठक में श्रीलंका में भारत के उप उच्चायुक्त विनोद जैकब, अमेरिकी राजदूत जूली जे चुंग और ब्रिटिश उच्चायुक्त सारा हल्टन मौजूद थीं। खबरों के अनुसार, इस बैठक में द्वीपीय देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई। श्रीलंका के निर्वाचन आयोग ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि देश में स्थानीय परिषद के चुनाव अब 25 अप्रैल को होंगे। आयोग ने आर्थिक संकट से जुड़े विभिन्न कारकों का हवाला देते हुए नौ मार्च को होने वाले 340 परिषदों के स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने की बात कही थी।

ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 340 स्थानीय परिषदों में चार साल के कार्यकाल के लिए नए प्रशासन की नियुक्ति के वास्ते होने वाले चुनाव पिछले साल मार्च से कई बार स्थगित किए जा चुके हैं। एसजेबी का आरोप है कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे वित्त मंत्री पर स्थानीय परिषद चुनाव के लिए वित्त जारी न करने का दबाव बना रहे हैं, क्योंकि उन्हें हार का डर सता रहा है। 2018 में हुए पिछले स्थानीय परिषद चुनाव में सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजना पेरामुना ने अधिकांश परिषदों में जीत दर्ज की थी। हालांकि, देश में गहराते आर्थिक संकट के बीच पार्टी को फूट का सामना करना पड़ा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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