अफगानिस्तान की शिया मस्जिद में आत्मघाती हमला, 47 की मौत

Mosque blast
प्रतिरूप फोटो

अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। समूह ने छोटे हमलों में तालिबानी लड़ाकों को भी निशाना बनाया है। अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है।

काबुल| दक्षिण अफगानिस्तान के एक प्रांत की शिया मस्जिद में जुमे (शुक्रवार) की नमाज़ के दौरान आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट कर दिया, जिसमें कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई और 70 लोग जख्मी हुए हैं।

जुमे की नमाज़ की वजह से मस्जिद में भीड़ ज्यादा थी। यह जानकारी तालिबान के एक प्रवक्ता ने दी है। कंधार प्रांत की फातिमिया मस्जिद पर हमले की जिम्मेदारी तत्काल किसी संगठन ने नहीं ली है।

इसे भी पढ़ें: भारत, अफगानिस्तान पर आयोजित होने वाले ‘मास्को फॉर्मेट’ में 20 अक्टूबर को भाग लेगा

इससे एक हफ्ते पहले इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबद्ध स्थानीय संगठन ने उत्तरी प्रांत की एक शिया मस्जिद में बम विस्फोट किया था, जिसमें 46 लोगों की मौत हुई थी।

इस खून खराबे ने यह आशंका पैदा कर दी है कि तालिबान के दुश्मन आईएस ने अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी का विस्तार किया है। मुर्तज़ा नाम के चश्मदीद ने बताया कि वह हमले के वक्त मस्जिद के अंदर ही था।

उसने बताया कि चार आत्मघाती हमलावरों ने मस्जिद पर हमला किया। दो हमलावरों ने मस्जिद के बाहर जबकि और दो ने मस्जिद के अंदर खुद को उड़ा लिया। उसने बताया कि सैकड़ो लोग मस्जिद में जुमे की नमाज़ अदा करते हैं। मुर्तज़ा नाम के अन्य चश्मदीद जो मस्जिद की सुरक्षा का प्रभारी है, ने कहा कि उसने दो हमलावरों को देखा है। उसने कहा कि एक हमलावर ने मस्जिद के दरवाज़े पर खुद को उड़ा लिया जबकि दूसरा हमलावर पहले ही मस्जिद के अंदर नमाज़ियों के बीच पहुंच चुका था।

उसने बताया कि मस्जिद के सुरक्षा कर्मी ने एक अन्य संदिग्ध हमलावर को गोली मारकर ढेर कर दिया। घटना की वीडियो फुटेज में यहां-वहां शव पड़े दिखाई दे रहे हैं तथा कालीन पर खून पड़ा है और लोग इधर-उधर भाग रहे हैं और चिल्ला रहे हैं। तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने मृतकों की संख्या 47 और घायलों की तादाद 70 बताई है।

अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। समूह ने छोटे हमलों में तालिबानी लड़ाकों को भी निशाना बनाया है। अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है।

इसे भी पढ़ें: कतर के राजनयिक ने तालिबान के साथ वैश्विक समुदाय के सहयोग पर जोर दिया

तालिबान और आईएस दोनों सुन्नी मुसलमानों के समूह हैं, लेकिन वे वैचारिक तौर पर काफी अलग हैं। इनमें आईएस काफी कट्टर है। वे कई बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं। तालिबान ने शिया अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वचन दिया है, जिन पर तालिबान ने 1990 के दशक के शासन के दौरान जुल्म किया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़