POTUS Part 1 | US President Election में इतने प्रोसेस क्यों होते हैं? | Teh Tak

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अभिनय आकाश । Oct 30 2024 7:07PM

अमेरिका में दो राजनीतिक पार्टियों की व्यवस्था है। चुनाव हर 4 साल में होते हैं। राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा रखने वाले उम्मीदवार पहले एक समिति बनाते हैं, जो चंदा इकट्ठा करने और संबंधित नेता के प्रति जनता का रुख भांपने का काम करती है।

रिपब्लिकन पार्टी का आधिकारिक लोगो, हाथी, थॉमस नास्ट के एक कार्टून से लिया गया। 21 वीं सदी में देखें तो रिपब्लिकन पार्टी के नेता जॉर्ज एच डब्ल्यू. बुश 20 जनवरी, 1989 से 20 जनवरी, 1993 तक अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे। जॉर्ज डब्ल्यू. बुश 20 जनवरी, 2001 से 20 जनवरी, 2009 तक अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे और डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी, 2017 से 20 जनवरी, 2021 तक अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे थे। 

अमेरिका में दो राजनीतिक पार्टियों की व्यवस्था है। चुनाव हर 4 साल में होते हैं। राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा रखने वाले उम्मीदवार पहले एक समिति बनाते हैं, जो चंदा इकट्ठा करने और संबंधित नेता के प्रति जनता का रुख भांपने का काम करती है। कई बार यह प्रक्रिया चुनाव से दो साल पहले ही शुरू हो जाती है। औपचारिक तौर पर चुनाव प्रक्रिया ‘प्राइमरी’ के साथ जनवरी में शुरु होती है और जून तक चलती है। इस दौर में पार्टी अपने उन उम्मीदवारों की सूची जारी करती है, जो राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में उतरना चाहते हैं। दूसरे दौर में अमेरिका के 50राज्यों के वोटर पार्टी डेलिगेट चुनते हैं। 

प्राइमरी में चुने गए पार्टी डेलिगेट दूसरे दौर में पार्टी कन्वेंशन में हिस्सा लेते हैं। इसी दौर में नामांकन की प्रक्रिया होती है। तीसरे दौर में समर्थन जुटाने की कोशिश होती है। इसी दौरान उम्मीदवारों के बीच टेलीविजन पर बहस भी होती है। आखिरी हफ्ते में उम्मीदवार पूरी ताकत ‘स्विंग स्टे्टस’ को लुभाने में झोंकते हैं। ‘स्विंग स्टे्टस’ वैसे राज्य होते हैं, जहां मतदाता किसी भी पक्ष की ओर जा सकते हैं। 

इलेक्टोरल कॉलेज 

चुनाव की अंतिम प्रक्रिया में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करता है। लेकिन इससे पहले राज्यों के मतदाता इलेक्टर चुनते हैं, जो राष्ट्रपति पद के किसी न किसी उम्मीदवार का समर्थक होता है। ये इलेक्टर एक ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ बनाते हैं, जिसमें कुल 538सदस्य होते हैं. ‘इलेक्टर’ चुनने के साथ ही आम जनता के लिए चुनाव खत्म हो जाता है। अंत में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के सदस्य मतदान के जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरुरी होते हैं। 

नवंबर महीने में पहले मंगलवार को वोटिंग 

हर राज्य का इलेक्टर चुनने का कोटा तय होता है। यह संख्या हर राज्य से अमेरिकी संसद के दोनों सदनों-हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सेनेट के सदस्यों की कुल संख्या के बराबर होती है। ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी साल के नवंबर महीने में पड़ने वाले पहले मंगलवार को मतदान करता है। लेकिन इससे पहले राज्यों के मतदाता इलेक्टर चुनते हैं, जो राष्ट्रपति पद के किसी न किसी उम्मीदवार का समर्थक होता है। ये इलेक्टर एक ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ बनाते हैं, जिसमें कुल 538सदस्य होते हैं। ‘इलेक्टर’ चुनने के साथ ही आम जनता के लिए चुनाव खत्म हो जाता है। अंत में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के सदस्य मतदान के जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरुरी होते हैं। 

हर राज्य का इलेक्टर चुनने का कोटा तय होता है। यह संख्या हर राज्य से अमेरिकी संसद के दोनों सदनों-हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सेनेट के सदस्यों की कुल संख्या के बराबर होती है। इसलिए हर राज्य के इलेक्टरों की संख्या में अंतर होता है। चुनाव के लिए भी दिन निश्चित होता है। ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी साल के नवंबर महीने में पड़ने वाले पहले मंगलवार को मतदान करता है। 

उपराष्ट्रपति का चुनाव 

इस साल अमेरिका में 6नवंबर को ही राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में ही इलेक्टोरल कॉलेज उपराष्ट्रपति पद के लिए भी मतदान करेगा। कोई भी इलेक्टर दोनों पदों के लिए एक ही स्टेट के उम्मीदवारों को वोट नहीं दे सकता है। चुनाव के इस तरीके से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनौती देने की संभावना खत्म हो जाती है। 1804 से पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज ही करता था, लेकिन तब अलग-अलग मत नहीं डाले जाते थे। तब जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते था, वह राष्ट्रपति बनता था और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति चुना जाता था। 

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