सीरियाई लोगों को युद्धरत क्षेत्र में लौटा रहा तुर्की: एमनेस्टी

इस्तांबुल। वैश्विक मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि तुर्की ने जनवरी के मध्य से अब तक सैकड़ों सीरियाई शरणार्थियों को जबरन उनके देश वापस भेज दिया है। एमनेस्टी ने कहा कि तुर्की का यह कदम तुर्क और यूरोपीय संघ के बीच हुए समझौते में मौजूद ‘घातक खामियां’ उजागर करता है। संगठन ने कहा कि उसकी ओर से तुर्की-सीरियाई सीमा पर किया गया अध्ययन दर्शाता है कि तुर्की में पंजीकरण कराने में विफल रहे लगभग 100 सीरियाई लोगों को हर रोज तुर्की से निकाल दिया जाता है।
अधिकार समूहों को इस बात की चिंता है कि अवैध प्रवासियों के प्रवाह को रोकने वाली जो संधि चार अप्रैल से लागू होनी है, वह शरण पाने के इच्छुक लोगों के अधिकारों को खतरे में डालती है। ये समूह यह सवाल उठाते हैं कि क्या तुर्की उन लोगों के लिए एक सुरक्षित देश है?
यूरोप और मध्य एशिया के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल के निदेशक जॉन डेल्हुइसेन ने कहा, ‘‘तुर्की पर उसकी ओर से सीरियाई शरणर्थियों को दी जाने वाली सुरक्षा सुधारने का दबाव बनाने के बजाय यूरोपीय संघ असल में इससे उलट बात को बढ़ावा दे रहा है।’’ ‘‘उन्होंने कहा कि यूरोप की किलेबंदी को देखने के बाद अब हम तुर्की को किले के रूप में तब्दील होता देख रहे हैं।’’ संघर्ष के शुरूआती चरणों में, जिन सीरियाई लोगों के पास पासपोर्ट थे, वे सीमा के नियमित बिन्दुओं से इसे पार कर सकते थे और जो लोग अवैध रूप से भी प्रवेश करते थे, वे भी अधिकारियों के पास पंजीकरण करा सकते थे। अब सिर्फ उन्हें ही प्रवेश दिया जाता है, जिन्हें आपात चिकित्सीय देखभाल की जरूरत है और एक आकलन के अनुसार, तुर्की की सीमा के 20 किलोमीटर तक के क्षेत्र में लगभग दो लाख विस्थापित सीरियाई मौजूद हैं।
संगठन ने कहा कि सीमा पर कड़े किए गए प्रतिबंध और सीरियाई लोगों के नी वीजा अनिवार्यताओं के कारण सीरियाई लोग तस्करों के चंगुल में फंस गए, जो एक व्यक्ति को सीमा पार कराने के 1000 डॉलर लेते हैं। एमनेस्टी ने यह भी कहा कि तुर्की अधिकारियों ने दक्षिणी प्रांतों में सीरियाई शरणार्थियों के पंजीकरण को कम कर दिया है, जिसके कारण मूलभूत सेवाओं तक उनकी पहुंच असंभव हो जाती है।
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