कोरोना की चुनौतियों के बीच स्वच्छ ऊर्जा को लगातार बढ़ावा देने की मुहिम के लिए अमेरिका ने PM मोदी की सराहना की

US praised PM Modi

परशिंग ने सांसदों से कहा, ‘‘हम कोविड-19 संकट से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निरंतर ध्यान देने का स्वागत करते हैं।’’

वाशिंगटन। अमेरिका ने भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी की चुनौतियों के बीच स्वच्छ ऊर्जा को लगातार बढ़ावा देने की मुहिम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है। जलवायु परिवर्तन पर विशेष राजदूत जॉन केरी के वरिष्ठ सलाहकार जोनाथन परशिंग ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस की समति के समक्ष कहा कि अमेरिका और भारत जलवायु परिवर्तन पर एक प्रतिबद्ध सहयोगी हैं। परशिंग ने सांसदों से कहा, ‘‘हम कोविड-19 संकट से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निरंतर ध्यान देने का स्वागत करते हैं।’’ परशिंग ने कहा कि अप्रैल में दोनों सरकारों ने ‘‘भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी’’ पर हस्ताक्षर किए। साझेदारी के तहत दोनों पक्षों ने स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और जलवायु कार्रवाई के लिए 2030 के एजेंडे की पहचान की।

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जलवायु परिवर्तन एवं सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय सैन्य परिषद की महासचिव शेरी गुडमैन ने सांसदों को बताया कि परमाणु सम्पन्न पड़ोसियों भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों में जलवायु भी अहम कारक रहे हैं। इससे पहले ‘काउंसिल ऑन स्ट्रैटेजिक रिस्क’ और ‘वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर’ द्वारा इस साल की शुरुआत में प्रकाशित एक संयुक्त अध्ययन में भारत और चीन के बीच विवादित सीमा के पास जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक प्रवृत्ति का अनुमान लगाया गया था, जहां लगभग 1,00,000 भारतीय और चीनी सैनिक 15,000 फुट की ऊंचाई पर तैनात हैं। गुडमैन ने कहा, ‘‘इस बीच जिस जगह से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है, वहां चीन दुनिया की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है। ‘थ्री गोरजेस डैम’ के आकार से तीन गुना बड़ी यह नई बांध परियोजना भी भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसने भारत के निचले इलाकों के लिए चिंता पैदा कर दी है। इस बात की भी चिंता है कि कहीं नए चीनी बांध का इस्तेमाल भारत में बाढ़ग्रस्त हिस्सों से या उनके लिए पानी को रोकने के लिए तो नहीं किया जा सकता है। वास्तव में यह बताना मुश्किल होगा कि चीनी परियोजना भविष्य में बाढ़ का कारण होगी या नहीं, या फिर यह जलवायु परिवर्तन से संबंधित कारक होगा। अपने पड़ोसियों को प्रभावित करने वाली बांध परियोजनाओं पर चीन की पारदर्शिता की कमी केवल भारत के अविश्वास को बढ़ाती है।’’ गुडमैन ने कहा, ‘‘चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी बांधों की एक श्रृंखला का निर्माण कर रहा है, जिस पर भारत आपत्ति जताता है। अनुमानित हिमनदों के पिघलने के तरीके के कारण, ये बांध निर्माण के बाद सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन के लिए कारक बने रहेंगे।’’ ‘यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ में एशिया ब्यूरो के उप सहायक प्रशासक क्रेग हार्ट ने कहा कि ‘यूएसएड’, भारत सरकार के साथ साझेदारी में कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए भारत के 10 लाख हेक्टेयर से अधिक वनों के पुनर्वास और प्रबंधन में सुधार कर रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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