Rafale Marine Aircraft Deal: राफेल मरीन जेट क्या है, जिसे फ्रांस से खरीदने की तैयारी में है भारत?

Rafale
Creative Common
अभिनय आकाश । Jul 14 2023 4:30PM

इंडियन नेवी को इसकी सख्त जरूरत है, क्योंकि नेवी के पास इस वक्त 16 कन्वेंशनल सबमरीन ही सर्विस में हैं। ये भी काफी पुरानी हो गई हैं। नेवी को नई सबमरीन की जरूरत है और छह अडवांस्ड कन्वेंशनल सबमरीन के लिए प्रोजेक्ट-75 इंडिया में पहले ही देर हो चुकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के दो दिवसीय दौरे पर हैं। आज वो फ्रांस के राष्ट्रीय परेड में शामिल हुए। इससे पहले उन्हें फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा गया। पीएम मोदी के फ्रांस रवाना होने के क्रम में ही भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक प्रारूपों और फ्रांस द्वारा डिजाइन की गयी तीन स्कॉर्पीन श्रेणी पनडुब्बियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने उस दिन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बड़ी खरीद परियोजनाएं 80,000 करोड़ रुपये से 85,000 करोड़ रुपये के बीच की हो सकती हैं। इस दौरान तीन स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की डील का ऐलान हो सकता है। इंडियन नेवी को इसकी सख्त जरूरत है, क्योंकि नेवी के पास इस वक्त 16 कन्वेंशनल सबमरीन ही सर्विस में हैं। ये भी काफी पुरानी हो गई हैं। नेवी को नई सबमरीन की जरूरत है और छह अडवांस्ड कन्वेंशनल सबमरीन के लिए प्रोजेक्ट-75 इंडिया में पहले ही देर हो चुकी है। अगर फ्रांस के साथ तीन अतिरिक्त सबमरीन का ऐलान होता है तो नेवी को कम होती सबमरीन के बीच कुछ राहत मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें: PM Modi in Paris: हो गई डील... फ्रांस में भी कर सकेंगे UPI से पेमेंट, स्टूडेंट वीजा पर भी मिली छूट...पेरिस से पीएम मोदी ने किया ऐलान

भारत का प्रोजेक्ट-75 

ये सबमरीन भारत में ही मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड बनाएगा। इनमें पहले की स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन के मुकाबले स्वदेशी कंटेंट ज्यादा होगा। 6 सबमरीन भारत में ही प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाने के लिए फ्रांस से टेक्नॉलजी ट्रांसफर की डील अक्टूबर 2005 में साइन हुई थी। इसके तहत बनी 5 स्कॉर्पीन सबमरीन नेवी में शामिल हो गई हैं। छठी ट्रायल फेज में है।

राफेल जेट और उसके मरीन वर्जन के बीच क्या अंतर है?

राफेल समुद्री लड़ाकू विमान राफेल लड़ाकू जेट का नौसैनिक संस्करण हैं, जिनमें से 36 भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित हैं। फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित, राफेल उन्नत ट्विन इंजन हैं, मल्टीरोल फाइटर जेट नवीनतम हथियार प्रणालियों से लैस हैं - जिनमें उल्का-बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें, हैमर एयर टू सरफेस स्मार्ट हथियार सिस्टम, स्कैल्प क्रूज़ मिसाइलें शामिल हैं। जेट असाधारण रूप से उच्च पेलोड ले जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, जेट कुछ भारत-विशिष्ट संवर्द्धन से भी सुसज्जित हैं और कई प्रकार के मिशनों को अंजाम दे सकते हैं। जेट का समुद्री संस्करण थोड़ा अलग होगा, यह देखते हुए कि वे समुद्र में विमान वाहक से संचालित होंगे। 

इसे भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फ्रांसीसी समकक्ष, सीनेट अध्यक्ष के साथ कीं ‘‘सार्थक’’ बैठकें

नेवी के पास कितनी सबमरीन

नेवी के पास इस वक्त जो सबमरीन हैं, उसमें सात रूस की किलो-क्लास सबमरीन हैं, चार जर्मनी की एचडीडब्लू सबमरीन हैं और पांच फ्रांस की स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन हैं। इसमें से भी जो किलो क्लास और एचडीडब्लू सबमरीन हैं वह पुरानी हो गई हैं। उनकी लाइफ बढ़ाने के लिए मिडियम रीफिट- लाइफ सर्टिफिकेशन (MRLC) प्रोग्राम चल रहा है। इसमें सबमरीन को अपग्रेड किया जाता है और इससे उसकी लाइफ करीब 10-15 साल बढ़ जाती है। रूस से भारत ने 10 किलो क्लास सबमरीन ली थी। इसमें सिंधुरक्षक एक्सिटेंड में नष्ट हो गई, सिंधुवीर को म्यांमार को दे दिया गया और सिंधुध्वज 35 साल की सर्विस के बाद जुलाई 2020 मे नेवी से डीकमिशन हो गई। किलो क्लास की एक सबमरीन INS सिंधुकीर्ति को हाल में नॉर्मल रीफिट किया गया है।

राफेल एम और मिग 29Ks

नौसेना वर्तमान में मिग-29K को अपने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित करती है। रूसी मिग-29K एक वाहक-आधारित बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है और इसकी अधिकतम गति ध्वनि की गति से दोगुनी (लगभग 2,000 किमी प्रति घंटे) हो सकती है और यह 65,000 फीट से अधिक की ऊंचाई तक चढ़ सकता है। यह अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है और हवा, समुद्र या जमीन पर लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़