क्या है पुतिन की गिरफ्तारी का सीक्रेट प्लान, 15 अगस्त को मामला शांति की बजाए महायुद्ध की तरफ जाने वाला है?

पुतिन की गिरफ्तारी का सीक्रेट प्लान बना महायुद्ध का सबसे बड़ा कारण! 15 अगस्त को ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से पहले ही यूक्रेन और यूरोप ने खींच दी रेड लाइन, क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है? पुतिन को ICC के गिरफ्तारी वारंट से बचाने के लिए ही अलास्का में हो रही है यह अहम बैठक, लेकिन तनाव चरम पर है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने शर्तें रखी हैं कि पुतिन संग वार्ता में यूक्रेन को औपचारिक तौर पर भागीदार बनाया जाए। साथ ही यूक्रेन अपनी एक इंच जमीन रूस को नहीं देगा। रूस ने जिन इलाकों पर कब्जा जमा लिया है यानी 2022 फरवरी के बाद पूर्व के इलाकों से पीछे हटने को तैयार नहीं है। यूरोप के देश ऐसे किसी फैसलों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं जहां यूक्रेन दुनिया के सामने झुकता हुआ नजर आए। ऐसे में क्या यूरोप और यूक्रेन का गठबंधन तीसरे विश्व युद्ध की वजह बन सकता है? ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मुंह में तो युद्ध विराम लेकिन दिमाग में क्या कुछ और चल रहा है।
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यूरोप ने खींच दी रेड लाइन
युद्ध विराम की सबसे बड़ी बैठक से पहले यूरोप ने पुतिन के खिलाफ महायुद्ध के संकेत दे दिए हैं। यूरोपियन यूनियन का साझा बयान ट्रंप पुतिन की बैठक को लेकर सबसे बड़ा झटका है। यूरोपियन यूनियन ने पुतिन की शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया है। बयान में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को ताकत के दम पर नहीं बदला जा सकता, यूक्रेन को अपने भविष्य का फैसला करने की आजादी है। यूक्रेन को यूरोपियन यूनियन कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक समर्थन देना रखेगा। मतलब ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैंड, जर्मनी और इटली समेत कई मुल्कों ने मीटिंग को लेकर रेड लाइन खींच दी है। ऐलान यही है कि युद्ध विराम होगा तो यूक्रेन की शर्तों पर होगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलदोमीर जेलेंस्की ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को संदेश दे दिया है कि यूक्रेन के बिना 15 अगस्त की मीटिंग का कोई मतलब नहीं है।
10 साल बाद अमेरिका जाएंगे पुतिन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 15 अगस्त को मुलाकात करेंगे। तीनों नेताओं के बीच बैठक होनी है।पुतिन और ट्रंप की अमेरिका के अलास्का राज्य में मुलाकात होगी। पुतिन 10 साल बाद इस मुलाकात के लिए अमेरिका पहुंचेंगे। कहा जा रहा है कि इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य इस जंग को कैसे खत्मन किया जाए। इस पर चर्चा करना है। लेकिन अब इस चर्चा के शुरू होने से पहले ही नया बवाल हो गया है।
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अलास्का में क्यों होगी ट्रंप पुतिन की मीटिंग
इस जगह को इसलिए चुना गया क्योंकि ये है तो अमेरिका में लेकिन रूस के भी काफी नजदीक है। इसके अलावा अलास्का को चुनने की एक बड़ी वजह है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है। गिरफ्तारी वारंट इटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने जारी किया था क्योंकि उसी लगता है कि पुतिन ने यूक्रेन में वॉर क्राइम किए हैं। दुनिया के 124 देश इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट से सजा पाया व्यक्ति अगर इन 124 देशों में से कहीं भी पकड़ा जाता है तो उसे फौरन नीदरलैंड में स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के हेडक्वार्टर में भेजना जरूरी है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि चीन, साउथ कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और भारत समेत कई देश आईसीसी के सदस्य नहीं हैं। इसलिए पुतिन ने अमेरिका के अलास्का को चुना।
जेलेंस्की और कई बड़े मुल्क ट्रंप-पुतिन मीटिंग के खिलाफ
सबसे बड़ी बात ये है कि अलास्का से रूस के सबसे करीबी मिलिट्री बेस सिर्फ 80 से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यानी पुतिन के साथ किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए रूस तैयार है। माना जा रहा है कि मीटिंग से पहले ही रूस और यूक्रेन का युद्ध और भी भीषण हो सकता है। ट्रंप के साथ पुतिन की मीटिंग फिक्स होने के बाद भी यूक्रेन की तरफ से हवाई हमले जारी हैं। ये हवाई हमले बताते हैं कि जेलेंस्की और कई बड़े मुल्क ट्रंप व पुतिन की मुलाकात के खिलाफ हैं।
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