लेबनान में गृह युद्ध सुलझाया, हमास की कैद से बंदियों को छुड़वाया, US-अफगान संघर्ष में मध्यस्थ का रोल निभाया, अब ईरान को मनाया...कतर पर इतना भरोसा क्यों करते हैं सभी देश?

मीडिल ईस्ट में बसा छोटा सा देश कतर जिसकी आबादी महज 30 लाख बताई जाती है। इसकी सबसे बड़ी ताकत अकूल धन दौलत है, जिसका अंदाजा आपको ट्रंप को गिफ्ट किए गए दुनिया के सबसे महंगे तोहेफ से लग गई होगी। लेकिन कतर को एक और चीज के लिए इन दिनों जाना जाने लगा है। अंतरराष्ट्रीय झगड़ों को सुलधाने में डिप्लोमैटिक पावरहाउस के रूप में काम करने के रूप में।
12 मई की तारीख को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोजाना की तरह व्हाइट हाउस में मीडिया को एड्रेस करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि कतर हमें एक गिफ्ट दे रहा है। अगर हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे तो हम मूर्ख इंसान होंगे। फिर आता है 14 मई का दिन अपने मिडिल ईस्ट दौरे पर पहुंचे ट्रंप को कतर सरकार ने एक बोइंग 747-8 जंबो जेट गिफ्ट में दिया है। 3400 करोड़ रुपए की कीमत वाले इस लग्जरी प्लेन को 'फ्लाइंग पैलेस' या उड़ता महल कहा जाता है। मीडिल ईस्ट में बसा छोटा सा देश कतर जिसकी आबादी महज 30 लाख बताई जाती है। इसकी सबसे बड़ी ताकत अकूल धन दौलत है, जिसका अंदाजा आपको ट्रंप को गिफ्ट किए गए दुनिया के सबसे महंगे तोहेफ से लग गई होगी। लेकिन कतर को एक और चीज के लिए इन दिनों जाना जाने लगा है। अंतरराष्ट्रीय झगड़ों को सुलधाने में डिप्लोमैटिक पावरहाउस के रूप में काम करने के रूप में।
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ईरान-इजरायल संघर्ष में कतर का अहम रोल
कतर पर ईरान की तरफ से ताबड़तोड़ हमले किए गए। ये हमला कतर पर नहीं बल्कि अमेरिकी सैन्य अड्डों पर था। हालांकि वहां पर एयर डिफेंस सिस्टम काम कर रहा था। ईरान के कई मिसाइलों को इंटरसेप्ट भी किया गया। लेकिन कई ऐसी मिसाइलें थी जिन्होंने टारगेट को हिट किया और वहां से कतर ने अमेरिका पर दबाव बनाया। जिसके बाद अमेरिका को झुकना पड़ा। कतर ने अमेरिका को सैन्य अड्डा इसलिए नहीं दिया था कि उसकी वजह से कतर को नुकसान हो। शांति कायम करने के लिए बेस का इस्तेमाल करने को दिया था। लेकिन इस बेस की वजह से कतर के खुद के देश में जब शांति भंग होने का खतरा मंडराने लगा तो फिर अमेरिका पर दबाव बनाया गया। कतर से सबसे पहले ईरान से बात की और उसके बाद अमेरिका से बात की। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कतर के प्रमुख पूरी रात जाग कर कॉर्डिनेट करते रहे।
खाड़ी से अफ्रीका तक कतर की सॉफ्ट पावर
यह पहली बार नहीं है जब तेल समृद्ध कतर ने किसी संघर्ष में मध्यस्थता करने के लिए कदम उठाया है। 1990 के दशक से 3.15 मिलियन की आबादी वाले खाड़ी देश ने एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा बनाई है। न केवल मध्य पूर्व में बल्कि सूडान जैसे दूर के अफ्रीकी देशों में भी। ईरान-इज़राइल संघर्ष की नई लहर से पहले, कतर ने सूडान गृहयुद्ध, यूएस-तालिबान डील, इज़राइल-हिज़्बुल्लाह समझौते में मध्यस्थता की थी और रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करने के करीब पहुंच गया था। कैदियों को रिहा करके दोनों देशों के बीच कमजोर बंधक स्थितियों को हल करने में राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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अमेरिका अफगान युद्ध में कतर बना मध्यस्थ
अल-उदीद एयर बेस की धूप में तपती हुई पक्की सड़क से दोहा की जगमगाती मीनारों तक पहुंचने में एक घंटा लगता है। हालांकि, अमेरिका के लिए यह यात्रा आठ साल की थी। 2013 में तालिबान ने कतर की राजधानी में एक राजनयिक मिशन स्थापित किया। अमेरिका की सहमति से खोले गए इस कार्यालय का उद्देश्य एक शांति प्रक्रिया शुरू करना था जो अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध को समाप्त कर देगी। बेशक, अंत वैसा नहीं हुआ जैसा अमेरिका ने उम्मीद की थी। सालों के संघर्ष के बाद वापसी के लिए काबुल से बाहर निकलने के लिए की गई हवाई यात्रा कतर पर बहुत ज़्यादा निर्भर थी। अमेरिका ने अफ़गानिस्तान से 120,000 लोगों को निकाला, जिनमें से लगभग आधे अल-उदीद (चित्रित) से होकर गुज़रे। इस छोटे से अमीरात में सिर्फ़ 3 मिलियन लोग रहते हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी और नेटो सैनिकों की वापसी और अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा में कतर ने ही मध्यस्थ की भूमिका निभाई। कतर ने ही मुख्य भूमिका निभाई, जिसके काबुल में राजदूत ने व्यक्तिगत रूप से काफिले को हवाई अड्डे तक पहुँचाया ताकि सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित हो सके। इसके प्रयासों की राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रशंसा की। 20 अगस्त को उन्होंने कतर के अमीर, तमीम बिन हमद अल थानी को धन्यवाद देने के लिए बुलाया।
सूडान का दारफुर शांति समझौता, 2011 और 2020
कतर ने 2011 में और फिर 2020 में सूडान के दारफुर में शांति समझौते की सुविधा प्रदान की। 2011 के दारफुर शांति समझौते, जिसे दोहा समझौते के रूप में भी जाना जाता है, पर जुलाई 2011 में सूडान सरकार और लिबरेशन एंड जस्टिस मूवमेंट के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते ने दारफुर संघर्ष के पीड़ितों के लिए एक मुआवज़ा कोष की स्थापना की, सूडान के राष्ट्रपति को दारफुर से एक उप-राष्ट्रपति नियुक्त करने की अनुमति दी, और इस क्षेत्र की देखरेख के लिए एक नया दारफुर क्षेत्रीय प्राधिकरण स्थापित किया जब तक कि एक जनमत संग्रह सूडान गणराज्य के भीतर इसकी स्थायी स्थिति निर्धारित नहीं कर लेता।
2023 का रूस-यूक्रेन युद्ध
कतर ने 2023 में दोनों पक्षों द्वारा बंदी बनाए गए 15 से अधिक बच्चों को मुक्त कराने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच एक समझौते की मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देश ने इस समझौते के माध्यम से मुक्त किए गए बच्चों की मेजबानी भी की। कतर ने 16 अक्टूबर 2023 को घोषणा की कि उसके मध्यस्थता प्रयासों के परिणामस्वरूप चार यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों के साथ फिर से मिला दिया गया है। रिपोर्टों के अनुसार, कतर द्वारा मध्यस्थता किए गए एक सौदे के तहत छह और यूक्रेनी बच्चों को रूस से यूक्रेन वापस लाया जाना था। वाशिंगटन पोस्ट ने तब बताया था कि रूस और यूक्रेन अगस्त 2023 में कतर के दोहा में अप्रत्यक्ष युद्धविराम वार्ता में शामिल होने के कगार पर थे।
इजरायल-गाजा युद्ध
वर्तमान इजरायल-हमास युद्ध में, कतर उन कुछ बंधकों को सुरक्षित करने में अग्रणी मध्यस्थों में से एक रहा है जिन्हें हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए हमलों के दौरान बंधक बना लिया था। कतर ने विशेष रूप से हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजरायली बंधकों की रिहाई में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। कतर की मध्यस्थता का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण गिलाद शालिट का मामला था, जो एक इजरायली सैनिक था जिसे 2006 में इजरायल-गाजा सीमा के पास हमास ने पकड़ लिया था। वर्षों की बातचीत के बाद, 2011 में इजरायल द्वारा बंधक बनाए गए 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में शालिट की रिहाई के लिए एक समझौता हुआ। कतर ने मिस्र और जर्मनी के साथ मिलकर इस समझौते की मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लेबनान संकट 2008
2008 में कतर ने मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, दोहा समझौते में सफलतापूर्वक मध्यस्थता की जिससे लेबनान में संभावित गृह युद्ध टल गया। यह संकट हिजबुल्लाह और लेबनानी सरकार के बीच राजनीतिक गतिरोध और सशस्त्र झड़पों से उपजा था। सरकार द्वारा हिजबुल्लाह के संचार नेटवर्क को खत्म करने के प्रयास से संकट को बढ़ावा मिला।
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