Ganadhipa Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी पर सिर्फ एक काम! गणपति बदल देंगे आपकी किस्मत, मिलेगी सुख-समृद्धि

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश के गणाधिप स्वरूप की आराधना हेतु मनाई जाती है। इस पवित्र अवसर पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत के साथ भगवान शिव के 108 नामों का जाप करना अत्यंत शुभ माना गया है, जिससे जीवन के सभी संकट दूर होकर अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह अनुष्ठान गणेश और शिव दोनों की कृपा सुनिश्चित करता है।
मार्गशीर्ष का महीना चल रहा है। मार्गशीर्ष के माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रुप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश के 'गणाधिप'स्वरुप की पूजा के लिए समर्पित है। आज यानी 8 नवंबर, शनिवार को गणाधिप चतुर्थी मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव के नामों का जप करना शुभ माना जाता है। आज आप भगवान भोलेनाथ के 108 नामों का जाप करें, इन नामों को कल्याणकारी माना गया है, जो इस प्रकार है।
भगवान शिव के 108 नाम
-ॐ महाकाल नमः
-ॐ रुद्रनाथ नमः
-ॐ भीमशंकर नमः
-ॐ नटराज नमः
-ॐ प्रलेयन्कार नमः
-ॐ चंद्रमोली नमः
-ॐ डमरूधारी नमः
-ॐ चंद्रधारी नमः
-ॐ भोलेनाथ नमः
-ॐ कैलाश पति नमः
-ॐ भूतनाथ नमः
-ॐ नंदराज नमः
-ॐ नन्दी की सवारी नमः
-ॐ ज्योतिलिंग नमः
-ॐ मलिकार्जुन नमः
-ॐ भीमेश्वर नमः
-ॐ विषधारी नमः
-ॐ बम भोले नमः
-ॐ विश्वनाथ नमः
-ॐ अनादिदेव नमः
-ॐ उमापति नमः
-ॐ गोरापति नमः
-ॐ गणपिता नमः
-ॐ ओंकार स्वामी नमः
-ॐ ओंकारेश्वर नमः
-ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
-ॐ भोले बाबा नमः
-ॐ शिवजी नमः
-ॐ शम्भु नमः
-ॐ नीलकंठ नमः
-ॐ महाकालेश्वर नमः
-ॐ त्रिपुरारी नमः
-ॐ त्रिलोकनाथ नमः
-ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
-ॐ बर्फानी बाबा नमः
-ॐ लंकेश्वर नमः
-ॐ अमरनाथ नमः
-ॐ केदारनाथ नमः
-ॐ मंगलेश्वर नमः
-ॐ अर्धनारीश्वर नमः
-ॐ नागार्जुन नमः
-ॐ जटाधारी नमः
-ॐ नीलेश्वर नमः
-ॐ जगतपिता नमः
-ॐ मृत्युन्जन नमः
-ॐ नागधारी नमः
-ॐ रामेश्वर नमः
-ॐ गलसर्पमाला नमः
-ॐ दीनानाथ नमः
-ॐ सोमनाथ नमः
-ॐ जोगी नमः
-ॐ भंडारी बाबा नमः
-ॐ बमलेहरी नमः
-ॐ गोरीशंकर नमः
-ॐ शिवाकांत नमः
-ॐ महेश्वराए नमः
-ॐ महेश नमः
-ॐ संकटहारी नमः
-ॐ महेश्वर नमः
-ॐ रुंडमालाधारी नमः
-ॐ जगपालनकर्ता नमः
-ॐ पशुपति नमः
-ॐ संगमेश्वर नमः
-ॐ दक्षेश्वर नमः
-ॐ घ्रेनश्वर नमः
-ॐ मणिमहेश नमः
-ॐ अनादी नमः
-ॐ अमर नमः
-ॐ आशुतोष महाराज नमः
-ॐ विलवकेश्वर नमः
-ॐ अचलेश्वर नमः
-ॐ ओलोकानाथ नमः
-ॐ आदिनाथ नमः
-ॐ देवदेवेश्वर नमः
-ॐ प्राणनाथ नमः
-ॐ शिवम् नमः
-ॐ महादानी नमः
-ॐ शिवदानी नमः
-ॐ अभयंकर नमः
-ॐ पातालेश्वर नमः
-ॐ धूधेश्वर नमः
-ॐ सर्पधारी नमः
-ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
-ॐ हठ योगी नमः
-ॐ विश्लेश्वर नमः
-ॐ नागाधिराज नमः
-ॐ सर्वेश्वर नमः
-ॐ उमाकांत नमः
-ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
-ॐ त्रिकालदर्शी नमः
-ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
-ॐ महादेव नमः
-ॐ गढ़शंकर नमः
-ॐ मुक्तेश्वर नमः
-ॐ नटेषर नमः
-ॐ गिरजापति नमः
-ॐ भद्रेश्वर नमः
-ॐ त्रिपुनाशक नमः
-ॐ निर्जेश्वर नमः
-ॐ किरातेश्वर नमः
-ॐ जागेश्वर नमः
-ॐ अबधूतपति नमः
-ॐ भीलपति नमः
-ॐ जितनाथ नमः
-ॐ वृषेश्वर नमः
-ॐ भूतेश्वर नमः
-ॐ बैजूनाथ नमः
-ॐ नागेश्वर नमः
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