मासिक दुर्गाष्टमी आज: जानें पूजा विधि, इन गलतियों से करें परहेज, घर में आएगी सुख-समृद्धि

Masik Durgashtami 2025
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आज मनाई जा रही मासिक दुर्गाष्टमी, देवी दुर्गा की भक्ति-भाव से पूजा से मनोकामना पूर्ति और सुख-समृद्धि प्राप्ति का विधान है। पूजा विधि में स्नान, संकल्प, मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना, सोलह श्रृंगार, गुड़हल, फल-मिठाई, लौंग-कपूर अर्पित करना और दुर्गा चालीसा पाठ के बाद आरती शामिल है।

सनतान धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का अत्यधिक महत्व है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है। मासिक दुर्गाष्टमी तिथि को भक्त पूजा-पाठ करते हैं और व्रत रखते हैं। माना जाता है इस दिन देवी दुर्गा की भक्ति-भाव से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए आपको बताते हैं मासिक दुर्गाष्टमी से जुड़ी कुछ खास बातें।

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि 

- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।

- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

- अब घर के मंदिर के साथ पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें।

- इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।

- मां दुर्गा को जल अर्पित करें।

- मां दुर्गा को लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां और अन्य सोलह शृंगार सामग्री अर्पित करें।

- इसके बाद मां को गुड़हल के फूल और माला अर्पित करें।

- अब फल, मिठाई और विशेष रूप से लौंग और कपूर चढ़ाएं।

- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

- आखिर में दुर्गा चालीसा का पाठ करें या दुर्गा सप्तशती के किसी अध्याय का पाठ करें।

- अंत में मां दुर्गा की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।

पूजा के दौरान भूलकर भी ये गलतियां न करें

तामसिक भोजन से दूर रहे

 इस दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बाद सात्विक भोजन का ग्रहण करें।

गुस्सा से बचें

इस दिन परिवार या किसी भी व्यक्ति से झगड़ा न करें। अपने मन और वचन को शुद्ध रखें और क्रोध करने से बचें।

अपवित्रता

इस दिन काले या नीले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। साफ-सुथरे और हल्के रंग के वस्त्र ही धारण करें। 

अखंड दीपक

यदि आप अखंड दीपक जलाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह बुझना नहीं चाहिए। 

अधूरी पूजा

ध्यान रखें कि कभी भी मां दुर्गा की पूजा अधूरी नहीं छोड़नी चाहिए। इसलिए आरती और मंत्र जप के साथ पूजा को संपूर्ण करें। 

किसी का अनादर न करें

इस दिन आप किसी भी महिला या कन्या का अपमान भूलकर भी न करें। इन्हें देवी का स्वरुप माना जाता है। 

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