महाशिवरात्रि 2022 को बन रहा है यह दुर्लभ महासंयोग, 20 साल बाद ही आएगा अब ऐसा शुभ मुहूर्त

mahashivratri 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 फरवरी 2022 (सोमवार) को सोम प्रदोष व्रत है। वहीं, कल यानी 1 मार्च 2022 (मंगलवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। ये दोनों ही दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं।

शिव भक्तों का सबसे खास दिन यानी महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर दो दिन का महासंयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 फरवरी 2022 (सोमवार) को सोम प्रदोष व्रत है। वहीं, कल यानी 1 मार्च 2022 (मंगलवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। ये दोनों ही दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि इससे पहले 12-13 फरवरी 2018 को ऐसा संयोग बना था और अब 20 साल बाद यानी 2042 में ऐसा महासंयोग बनेगा।

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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन शिव भक्तों के लिए बहुत ख़ास होता है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से व्रत-पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर ग्रहों का बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन मकर राशि में स्वामी ग्रह शनि के साथ अन्य ग्रह विराजमान होंगे। मकर राशि में शनि, चंद्रमा, मंगल, बुध और शुक्र ग्रह विराजमान रहेंगे। वहीं, कुंभ राशि में गुरुराज बृहस्पति कुंभ विराजमान रहेंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से मनवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

महाशिवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त 

चतुर्दशी तिथ‍ि प्रारंभ - 01 मार्च 2022 को सुबह 03 बजाकर 16 मिनट से 

चतुर्दशी तिथ‍ि का समापन : 02 मार्च 2022 को सुबह 01 बजे 

रात्र‍ि प्रहर पूजा : शाम 06:21 से रात्र‍ि 09:27 बजे तक

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महाशिवरात्रि पूजन विधि

महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें।

इस दिन शिवलिंग का पवित्र जल या दूध से अभिषेक अवश्य करें। 

भगवान शिव का चंदन से तिलक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरे के फूल, धतूरा, मांग आदि चीजें अर्पित करें।

इसके बाद भगवान शिव की आरती करें।

पूजा के बाद शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र या शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।   

पूजा के बाद पारण मुहूर्त में महाशिवरात्रि के व्रत का पारण करें।

- प्रिया मिश्रा 

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