Shani Chalisa: शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करने से जीवन में होंगे चमत्कारिक बदलाव, दूर होंगे कष्ट

Shani Chalisa
Creative Commons licenses

अगर आप भी शनिदेव की विशेष कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो शनिवार को शनिदेव की पूजा-अर्चना करने के साथ ही शनि चालीसा का भी पाठ करना चाहिए। इससे जातक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता भी कहा जाता है। शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं जातक विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए शनिवार को व्रत भी करते हैं। धार्मिक शास्त्रों में निहित है कि अच्छे कर्म करने वाले जातक को शनि देव शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वाले को दंडित करते हैं।

शनिदेव की महिमा निराली है। इसलिए जातक शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से शनिदेव की पूजा करते हैं और कुछ विशेष उपाय भी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी शनिदेव की विशेष कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो शनिवार को शनिदेव की पूजा-अर्चना करने के साथ ही शनि चालीसा का भी पाठ करना चाहिए। इससे जातक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: Love Horoscope For 12 February 2025 | आज का प्रेम राशिफल 12 फरवरी | प्रेमियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन

शनि चालीसा

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला ।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।

माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।

परम विशाल मनोहर भाला ।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।

हिये माल मुक्तन मणि दमके।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।

पल बिच करैं आरिहिं संहारा।।

पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन ।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन।।

सौरी, मन्द, शनि, दश नामा ।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।।

जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं ।

रंकहुं राव करैंक्षण माहीं।।

पर्वतहू तृण होई निहारत ।

तृण हू को पर्वत करि डारत।।

राज मिलत बन रामहिं दीन्हो ।

कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों।।

बनहूं में मृग कपट दिखाई ।

मातु जानकी गई चतुराई।।

लखनहिं शक्ति विकल करि डारा ।

मचिगा दल में हाहाकारा।।

रावण की गति-मति बौराई ।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई।।

दियो कीट करि कंचन लंका ।

बजि बजरंग बीर की डंका।।

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।

चित्र मयूर निगलि गै हारा।।

हार नौलाखा लाग्यो चोरी ।

हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।।

विनय राग दीपक महं कीन्हों ।

तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों।।

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।

आपहुं भरे डोम घर पानी।।

तैसे नल परदशा सिरानी ।

भूंजी-मीन कूद गई पानी।।

श्री शंकरहि गहयो जब जाई ।

पार्वती को सती कराई।।

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।

नभ उडि़ गयो गौरिसुत सीसा।।

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।

बची द्रौपदी होति उघारी।।

कौरव के भी गति मति मारयो ।

युद्घ महाभारत करि डारयो।।

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला ।

लेकर कूदि परयो पाताला।।

शेष देव-लखि विनती लाई ।

रवि को मुख ते दियो छुड़ई।।

वाहन प्रभु के सात सुजाना ।

जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना।।

जम्बुक सिंह आदि नखधारी ।

सो फल जज्योतिष कहत पुकारी।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।

हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।

गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा।।

जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै ।

मृग दे कष्ट प्रण संहारै।।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।

चोरी आदि होय डर भारी।।

तैसहि चारि चरण यह नामा ।

स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा।।

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै।।

समता ताम्र रजत शुभकारी ।

स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी।।

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।

अदभुत नाथ दिखावैं लीला ।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला।।

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।।

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।

दीप दान दै बहु सुख पावत।।

कहत रामसुन्दर प्रभु दासा ।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़