Saphala Ekadashi 2025: भूलकर भी एकादशी व्रत के दिन न करें ये 5 गलतियां; वरना खंडित हो जाता उपवास, इन नियमों का रखें खास ध्यान

साल 2025 में पौष मास के कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस पावन व्रत को करते समय श्रद्धालु अक्सर कुछ सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण गलतियां अनजाने में कर लेते हैं। ऐसी भूलों के कारण व्रत की शुद्धता प्रभावित हो सकती है और उसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता। इसलिए आज हम आपको सफला एकादशी व्रत से जुड़ी ऐसी 5 प्रमुख गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना बेहद जरूरी है।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बेहद खास मानी जाती है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती है और हर प्रत्येक महीने में 2 बार एकादशी तिथि आती है। एकादशी व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती है और सुख-समृद्धित प्राप्त होती है। साल 2025 में पौष मास के कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी कल यानी 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। एकादशी व्रत को करते समय श्रद्धालु अक्सर कुछ सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण गलतियां अनजाने में कर लेते हैं। ऐसी भूलों के कारण व्रत की शुद्धता प्रभावित हो सकती है और उसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता। इसलिए आज हम आपको सफला एकादशी व्रत से जुड़ी ऐसी 5 प्रमुख गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना बेहद जरूरी है।
इन 5 गलतियों से बचें
एकादशी के दिन सबसे जरुरी नियम यह है कि सात्विक भोजन करना। इस दिन तामसिक भोजन जैसे कि प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, अंडा या कोई भी नॉन-वेज पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। कई लोग मानते है कि अन्न त्यागना काफी है, लेकिन घर में अगर कोई तामसिक भोजन बन रहा हो या उसकी गंध भी आ रही हो तो व्रत का फल कम हो जाता है। उपवास के दिन घर में केवल फल, दूध, ड्राई फ्रूट्स या सात्विक भोजन ही बनवाएं।
ज्यादा फलाहार लेना
आमतौर पर एकादशी पर निर्जला या फलाहार व्रत रखा जाता है। कई लोग सोचते हैं कि फलाहार में जितना चाहें उतना खा सकते हैं। अत्यधिक खाना, बार-बार खाना या पेट भरकर फलाहार करना भी व्रत को कमजोर कर देता है। शास्त्रों में माना गया है कि व्रत में संयम सबसे बड़ा तप है। जो लोग व्रत में संयम से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। दिन में एक बार या दो बार ही हल्का फलाहर लें।
गलत बोलना या निंदा करना
इस दिन वाणी पर संयम रखें। किसी भी निंदा, चुगली, झूठ बोलना या क्रोध में अपशब्द कहना व्रत को खंडित कर सकता है। कुछ लोग व्रत तो रखते हैं लेकिन दिन भर दूसरों की बुराई करते हैं। इससे व्रत का सारा पुण्य नष्ट हो जाता है। इस दिन मौन रहना या कम बोलना श्रेष्ठ माना जाता है।
दिन में सोना
एकादशी व्रत के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए। कई लोग व्रत के कारण थकान महसूस करते हैं और दोपहर में सो जाते हैं। शास्त्रों में बताया है कि दिन का सोना आलस्य का प्रतीक है और इससे व्रत खंडित हो जाता है। दिन में सोने से व्रत का पुण्य कम हो जाता है। एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा, जागरण और भक्ति में समय बिताना चाहिए। यदि नींद आ रही है, तो भजन में सुनें, मंदिर जाएं या विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें।
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
एकादशी व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। दांपत्य सुख या काम संबंधी विचार भी व्रक को कमजोर कर देते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि एकादशी पर मन, वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य रखना चाहिए। इस दिन मन को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भक्ति में लगाएं। ब्रह्मचर्य पालन से व्रत का फल हजार गुना बढ़ जाता है और जीवन में शुद्धता आती है।
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