Sawan 2023: कल है सावन की शिवरात्रि, ऐसे करें पूजा और जलाभिषेक... मिलेगी भगवान शिव की विशेष कृपा

shivling
प्रतिरूप फोटो
ANI Image
रितिका कमठान । Jul 14 2023 6:24PM

शिवरात्रि के मौके पर अगर भगवान शिव की पूजा की जाए तो इसका खास फल भी भक्तों को मिलता है। इसका पुण्य भी काफी गुणा बढ़ जाता है। सावन में शिवलिंग की पूजा करने से कई दुखों का नाश होता है।

सावन शिवरात्रि व्रत इस बार 15 जुलाई 2023 को है। सावन के महीने में खासतौर से शिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के शिवलिंग का जलाभिषेक करने और पूजन करने का खास महत्व होता है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने का खास महत्व होता है।

शिवरात्रि के मौके पर अगर भगवान शिव की पूजा की जाए तो इसका खास फल भी भक्तों को मिलता है। इसका पुण्य भी काफी गुणा बढ़ जाता है। सावन में शिवलिंग की पूजा करने से कई दुखों का नाश होता है। अगर सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा निशिता काल मुहूर्त या रात्रि जागरण कर चारों पहर में की जाती है तो भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। इस वर्ष सावन की शिवरात्रि के मौके पर खास संयोग भी बन रहे हैं जो बेहद दुर्लभ है। इस दिन पूजा करने के लिए खास मुहूर्त भी है।

बता दें कि सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 15 जुलाई 2023 रात 08.32 से शुरू होगी और ये तिथि 16 जुलाई 2023 रात 10.08 को समाप्त होगी। वहीं भगवान शिव की पूजा करने के लिए निशिता काल मुहूर्त 16 जुलाई 2023 प्रात: 12.07 से प्रात: 12.48 बजे तक होगा। इसके बाद 16 जुलाई को ही पारण किया जाएगा। इस शिवरात्रि का व्रत दोपहर 03.54 मिनट खोला जा सकता है।

इस बार बन रहा शुभ संयोग

इस वर्ष सावन के महीने में शुभ संयोग भी बन रहे है। सावन शिवरात्रि के मौके पर ध्रुव और वृद्धि का संयोग भी बन रहा है। इस शुभ संयोग में भगवान शिव की पूजा करने से सुख, समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा इस मौके पर जरुर करनी चाहिए।

इन सामग्री से करें पूजन

भगवान शिव वैसे तो सिर्फ जल से भी प्रसन्न हो जाते है। मगर शिवजी की खास कृपा प्राप्त करने के लिए गंगाजल, जल, दूध दही, शुद्ध देशी घी, शहद, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, आम्र मंजरी, जौ की बालें, पुष्प, पूजा के बर्तन, कुशासन, मदार पुष्प, पंच मिष्ठान्न, बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, गुलाल, अबीर, भस्म, सफेद चंदन,  पंच फल, दक्षिणा,  गन्ने का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव जी और मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री का भी उपयोग करना चाहिए। इन सभी से भगवान शिव का अभिषेक और पूजन करना चाहिए।

जानिए सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन के महीने की शुरुआत ही कांवड़ यात्रा के साथ होती है। सावन की शिवरात्रि पर ही ये कांवड़ यात्रा का समापन होता है। इस यात्रा के दौरान कांवड़िए पैदल यात्रा कर आते हैं और भगवान शिव पर गंगाजल अर्पित करेंगे। भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल से करने से विशेष कृपा मिलती है। ऐसा करने से श्रद्धालुओं के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनचाहा फल मिलता है। 

All the updates here:

अन्य न्यूज़