संस्कारित हीरोइन ने कहा (व्यंग्य)

glamorous personality

मातापिता अध्यापकों की इज्ज़त, भाईबहनों मित्रों को स्नेह दिल से मगर बिजनेस दिमाग़ से करूंगी। बचपन से सीधेसादे कपड़े पहने इसलिए अब वैस्टर्न परिधान ही पहनूंगी। संस्कारित हूं इसलिए बिना बॉडी एक्सपोज़र के, बॉडी सूट का इस्तेमाल करके काफी ग्लैमरस दिखती हूं।

कम उम्र में सफलता में डूबी हीरोइन, टॉक शो में मिनी टाइट लाल ड्रैस पहन इठलाती हुई आकर सोफे पर बैठी तो सोफे की गलती से ड्रैस नीचे खिसक ली। दांत दिखाती, मन से खुश, ‘ओह सौरी’ बोलते हुए ड्रैस ठीक की। टीआरपी हेतू कार्यक्रम संचालक ने असहजता मनवाने की कोशिश की मगर सफलता मानी नहीं। उन्होंने आग्रह किया कि वह हिंदी में ही बात करेंगी। जितने सवाल हुए उनके जवाबों का सारांश यूं रहा। अपने बारे भावनात्मक होते हुए बताया कि वह छोटे से पहाड़ी गांव से हैं। खामोश तबीयत, काम में व्यस्त रहने वाली आम लड़की है। कढ़ीचावल पसंद हैं। मातापिता पारम्परिक, सुसंस्कृत, मेहनती और अनुशासन प्रिय हैं। अनुशासित परिवार की संस्कारवान बेटी हूं इसलिए व्यव्सायिक लाइफ व व्यक्तिगत लाइफ मिक्स नहीं करती। 

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मातापिता अध्यापकों की इज्ज़त, भाईबहनों मित्रों को स्नेह दिल से मगर बिजनेस दिमाग़ से करूंगी। बचपन से सीधेसादे कपड़े पहने इसलिए अब वैस्टर्न परिधान ही पहनूंगी। संस्कारित हूं इसलिए बिना बॉडी एक्सपोज़र के, बॉडी सूट का इस्तेमाल करके काफी ग्लैमरस दिखती हूं। बोल्ड सीन देने में ज़रा हिचक नहीं क्यूंकि अनुशासित हूं। जो भी करूंगी सैंसर के वर्तमान कड़े नियमों के अंतर्गत शालीनता के दायरे में आवश्यकतानुसार होगा। वैसे आजकल शालीनता के मायने बदल गए हैं। हम कब तक पुरानी मान्यताओं के पीछे डंडा लेकर भागेंगे। घर छोड़कर इतनी दूर फेल होने नहीं आई। मेहनती मांबाप की बेटी हूं सफल होकर रहूंगी। समाज में न्यूडिटी बारे उन्होंने समझाया कि हम सब नंगे पैदा होते हैं। अब धीरे धीरे सभ्यता की जड़ों की तरफ लौट रहे हैं। दुनिया में आ रहे बदलावों के साथ चलने के लिए सीनियर आर्टिस्ट न्यूड सीन दे रहे हैं। हम तो यंग हैं हमें नंगे होने का ज्यादा हक है। पैसा कमाने के लिए कुछ भी करने बारे उन्होंने फरमाया, पैसा इम्पोर्टेन्ट नहीं है। काम में भरपूर समर्पण डालिए, शोहरत भाग कर आएगी पैसा उसके पीछे खुद आता है।

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ग्लैमरस होने और दिखने बारे उन्होंने समझाया, अब यह ज़िंदगी की आक्सीजन है। पहले सौम्यता, शालीनता, अनुशासन और संस्कार ही ज़िंदगी का ग्लैमर होते थे। ग्लैमरस पर्सनेलिटी द्वारा किए गए काम सफलता भरी इमेज बनाते है। क्रिकेट, चियर लीडर्ज़ के कारण ही देखने लायक बना। माहौल के मुताबिक खुद को प्रेजेंटेबल बनाना भी ग्लैमरस होना है। ग्लैमरस हो जाएं तो हम किसी भी फील्ड में सफल हो सकते हैं। ग्लैमर टेलेंट में वैल्यू एड करता है। समाज में रौनक लाने के लिए सबको ग्लैमरस हो जाना चाहिए। देश में बढ़ रही बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, समानता, जात पात बारे विचार प्रकट करने के लिए कहा तो संजीदगी से जवाब दिया, हम कभी ग़लत बयान नहीं देते। हमें अपने संस्कारों व देश का पूरा ख्याल है। उचित जवाब देकर, थोड़ा हिलने पर उनकी ड्रैस सातवीं बार खतरे के निशान से नीचे आ गई मगर उन्होंने अनुभवी की तरह ठीक कर लिया।

- संतोष उत्सुक

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