शानदार, जानदार, रोबदार और ज़ोरदार (व्यंग्य)

राम और श्याम वाली बात को अब काफी समय हो गया है तो अंकल ने कहना शुरू कर दिया है कि उन्होंने एक नहीं डेढ़ दर्जन छोटे बड़े मुहल्लों के नए और पुराने झगड़ों का समापन करवाया है लेकिन नासमझ लोग उनके नेक काम की तारीफ़ नहीं कर रहे। इतना बड़ा और महान काम करने की घोषणा हो रही है और लोगों को परवाह नहीं।
हम बात करते हैं शानदार, जानदार, रोबदार और ज़ोरदार यानी भले काम करने वालों की मोहल्ले में एक अस्सी बरस के अंकल हैं। पिछले दिनों उन्होंने घोषणा की, कि उन्होंने राम और श्याम की बचपन से चल रही लड़ाई बंद करवा दी है लेकिन न राम ने माना न श्याम ने । अंकल ने इस बार ज़ोरदार अंग्रेज़ी में कहा कि उन्होंने राम और श्याम का सौ साल पुराना झगड़ा सेटल करा दिया है लेकिन वे दोनों लड़ते हुए उनके पास आए बोले, झूठ मत बोलो अंकल। अंकल ने कहा हमने सबसे ज़रूरी चीज़, यानी शुभ कामनाएं और खूब दुआएं प्रयोग की और तुम्हारी लड़ाई बंद कराई, अब लड़ने का नाटक मत करो।
यह तो माना ही जाता है कि दुआएं काम करती हैं, ठीक वैसे, जैसे बददुआएं भी करती हैं। बंदा शानदार, जानदार, रोबदार और ज़ोरदार चाहिए, कोशिश कैसे सफल न होगी। अंकल ने मन ही मन सार्वजनिक मंच पर पूरा शरीर हिलाकर, ज़ोर से ठहाका लगाकर कहा, कोई नहीं मानेगा कि इनकी लड़ाई कभी मैंने बढ़वाई थी, दोनों को उकसाया, स्वचालित गालियां भिजवाई, स्थानीय डंडे पत्थर, ईंटों और पत्थरों का प्रयोग भी करवाया। हाथापाई भी करवाई। समझदार बंदे इसे मज़ाक ही समझेंगे। यह तो बचपन से ही एक दूसरे के साथ लड़ते थे, सब यही मानते हैं ।
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अब इतने सुगठित, सुलभ, सुसंस्कृत, अनुभवी और निडर विचारों के मालिक कह रहे हैं कि युद्ध बंद करवाया और लोग मज़ाक समझ रहे हैं। उच्च विचार, सुलझी हुई मानसिकता के लोग ऐसी बातों की कभी परवाह नहीं करते कि दूसरे लोग क्या कह रहे हैं। वे मस्त हाथी की तरह चलते रहते हैं, जो करना नहीं होता करते रहते हैं जो खाना होता है छीन कर खा लेते हैं।
राम और श्याम वाली बात को अब काफी समय हो गया है तो अंकल ने कहना शुरू कर दिया है कि उन्होंने एक नहीं डेढ़ दर्जन छोटे बड़े मुहल्लों के नए और पुराने झगड़ों का समापन करवाया है लेकिन नासमझ लोग उनके नेक काम की तारीफ़ नहीं कर रहे। इतना बड़ा और महान काम करने की घोषणा हो रही है और लोगों को परवाह नहीं। सब अपने अपने फोन में, मन और तन पसंद यूटयूब, फेसबुक और इन्स्टाग्राम नामक बाथटब में पसरे हुए हैं। वहीँ से अपनी अपनी तारीफ़ हांक रहे हैं। कोई उनसे पूछे, क्या दूसरों की तारीफ़ करने और सुनने का ज़माना गुज़र गया।
अंकल की यशस्वी बात के मद्देनज़र, खुशहाल ज़िंदगी जीने का उचित फार्मूला यही है कि अपनी तारीफ़ आप करते रहो। इंतज़ार मत करो कि कोई और तारीफ़ करेगा। सब जानते हैं लड़ना, झगड़ना, युद्ध करना अच्छी बात तो नहीं है। लड़ाई झगड़ा रुकवाना, खत्म करवाना अच्छी बात है, मानवता की ओर सकारत्मक कदम है। ऐसा करने वाला व्यक्ति शांति का मसीहा हो सकता है। पता नहीं पुरस्कार देने वाले समझदार लोग, उचित चयन क्यूं नहीं करते। अब उनकी गलतियां सुधारने का समय आ गया है।
सबसे शानदार, जानदार, रोबदार और ज़ोरदार व्यक्ति तो अंकल ही हैं। उन्हें न चुनकर बहुत बड़ी गलती की गई है। अब गलती का सुधार करना होगा। यह मानना ही होगा कि वक़्त बहुत खराब चल रहा है। देखा देखी में अच्छे लोग भी बिगड़ते जा रहे हैं क्यूंकि कोई अच्छा काम करे उसकी तारीफ़ नहीं की जाती, सम्मान देना तो दूर की बात है। कोई बात नहीं, इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अच्छा, नेक, मानवीय काम करने वाला व्यक्ति तो काम करता रहेगा क्यूंकि वो महान है। छोटी मोटी घटनाओं से महानता कम नहीं हुआ करती।
- संतोष उत्सुक
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