उनके उचित जवाब (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । May 14 2021 7:36PM

फोन पर संपर्क बना रखा है, दो गज क्या हज़ारों गजों की दूरी बना रखी है। कोई मिल ही जाए, बात करनी ही पड़ जाए तब भी हम दस्ताने नहीं उतारते और काला चश्मा भी पहन कर रखते हैं। इस तरह कर्तव्य व महामारी दोनों में उचित समन्वय बनाया हुआ है।

कई लाख लोगों ने एक आवाज़ में कहा, ‘आप ख्याल नहीं रख रहे हैं, इंसान मर रहे हैं और इंसानियत बिलखते हुए बेहोश हो गई है और आपको राजनीति करने की पड़ी है। अभी भी सभाएं कर रहे हैं, कब सुधरेंगे आप’। कुछ क्षण चुप रह मुस्कुराते हुए उन्होंने बेहद उचित जवाब दिया, ‘प्रिय, हम राजनीति बिल्कुल नहीं कर रहे, बहुत अच्छी तरीके से सब का ख्याल रख रहे हैं। हम सभी का बराबर ध्यान रखने वाले लोग हैं, सभी तरह के ज़रूरी कदम उठा रहे हैं। हर आवश्यक निर्देश लिखित रूप में दिया जा रहा है और निर्देश प्राप्त करने की पुष्टि लिखित रूप में ली जा रही है ताकि सनद रहे। हमारे यहां सभी काम मास्क लगाकर किए जा रहे हैं, कार्यालय सैनिटाइज्ड है। हम सब नियमित अंतराल पर स्वास्थ्यवर्धक पेय पी रहे हैं। बढ़िया खाना खा रहे हैं। हाथों में उच्च कवालिटी के विदेशी दस्ताने पहनकर काम कर रहे हैं तभी हाथ धोने की ज़रूरत नहीं पड़ती और हज़ारों लीटर पानी बचा रहे हैं। 

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फोन पर संपर्क बना रखा है, दो गज क्या हज़ारों गजों की दूरी बना रखी है। कोई मिल ही जाए, बात करनी ही पड़ जाए तब भी हम दस्ताने नहीं उतारते और काला चश्मा भी पहन कर रखते हैं। इस तरह कर्तव्य व महामारी दोनों में उचित समन्वय बनाया हुआ है। अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। हमने आम लोगों के लिए बहुत काम करने हैं। हम रोजाना एक छोटी सी सभा किए बिना नहीं सो सकते लेकिन कल से सभा करना बंद कर देंगे। हमने लोगों को शुभ कामनाएं देने के लिए कुछ ख़ास लोगों की ड्यूटी लगा दी है ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। यह प्रसन्नता की बात है कि सभी अनुशासन का पालन कर रहे हैं, पूरा प्रोटोकॉल फॉलो किया जा रहा है। वैसे सभी को अपने स्वास्थ्य का खुद ख्याल रखना चाहिए। 

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आजकल आत्मनिर्भता युग चल रहा है और यह भी सच है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था दूसरों का एक सीमा से ज्यादा ख्याल नहीं रख सकती। बस में भी अपने सामान की ज़िम्मेदार खुद सवारी होती है फिर भी हम सब का ध्यान डिजिटली रख रहे हैं। हम सब की ज़िम्मेदारी से ही देश आगे बढेगा। आप जानते हैं देश चलाने के लिए योजनाएं बनानी पड़ती हैं उन्हें सफल करना पड़ता है। बीच में छोटे मोटे काम तो छूट ही जाया करते हैं। हमने जो भी किया उसमें उच्च कोटि की नैतिकता व मानवता का पूरा ध्यान रखा ताकि दुनिया को उचित सन्देश जाए। हमने मानवता के आधार पर ही दूसरों को खाना दिया और अपनों को भूखा रहने का व्यायाम कराया। हमारे सभी कारनामे इतिहास ने स्वर्णाक्षरों में लिखने शुरू कर दिए हैं’। इतने उचित जवाब बिना मांगे मिल जाएं तो सबकी तसल्ली हो जाती है, हो रही है।

- संतोष उत्सुक

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