क्या Coronavirus के पीछे छिपा है चीन का दिमागी वायरस? जानें क्या कहता है MRI स्कैन

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अभिनय आकाश । Feb 4 2020 8:02PM

चीन ही नहीं कोरोना वायरस से घनी आबादी वाला भारत भी चितिंत है। भारत में 3 लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। लेकिन दिल्ली समेत, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू, कोच्चि और कोलकाता एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था है। भारत ने चीन के ई वीजा पर रोक लगाई।

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के कई देश आ चुके हैं। हालांकि भारत में इस वायरस के 3 मामले केरल से सामने आए हैं। वहीं चीन में इस वायरस से मरने वालों की तादाद 424 हो चुकी है। जबकि संक्रमित हो चुके लोगों की संख्या 20 हजार से ज्यादा पहुंच चुकी है। चीन के वुहान शहर के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। सरकार ने शहर की सीमाएं बंद कर दी हैं। कोरोना वायरस को लेकर चीन की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। विदेशी मीडिया की मानें तो खबरें दबाने और छुपाने की फितरत के चलते ही चीन ने इस पूरे विषय पर चुप्पी साध रखी थी। जिसकी वजह से ये बीमारी, महामारी में तब्दील हो गई है। आज हम कोरोना वायरस का एमआरआई स्कैन करेंगे और साथ ही इस वायरस के पीछे छिपे चीन के खतरनाक एजेंडे को भी डिकोड करने की कोशिश करेंगे। और इस वायरस को लेकर भारत की तैयारियों से भी आपको अवगत कराएंगे। 

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न्यूयॉर्क टाइम्स ने वुहान के निवासियों, डॉक्टरों, अधिकारियों से बातचीत और सरकारी बयानों, मीडिया की खबरों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित का जिसमें कहा कि इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई छेड़ने में देर की गई है। इस दौरान चीनी अधिकारियों ने डॉक्टरों और अन्य लोगों को डरा-धमकाकर खामोश रखा। जनता के सामने खतरों को कम करके बताया गया। बताया जा रहा है कि वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर के पहले सप्‍ताह ही आया था, लेकिन प्रशासन 20 जनवरी के आसपास हरकत में आया, जब‍ संक्रमण बड़ा खतरा बन चुका था। सी-फूड मार्केट के एक विक्रेता के हवाले से बताया गया है कि दिसंबर के आखिर तक कई लोग बुखार से पीड़‍ित हो गए थे, लेकिन तब उन्‍हें इसके कारण के बारे में पता नहीं था। 

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कोरोना वायरस का संक्रमण केंद्र कहे जा रहे हुनान सीफूड मार्केट से थोड़ी ही दूर पर 'वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नैशनल बायोसेफ्टी लैब' स्थित है जो इबोला, निपाह व अन्य घातक वायरसों पर रिसर्च करती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वुहान के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिसंबर के आखिर में डॉक्टरों ने सात मरीजों को रहस्यमय बीमारी से पीड़ित पाया था। उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ली वेनलियांग ने अपने साथी डॉक्टरों को तुरंत सतर्क करते हुए उन मरीजों को इमरजेंसी विभाग के आइसोलेशन वार्ड में रखने को कहा था। 30 दिसंबर को डॉक्टर ली वेनलियांग ने एक ऑनलाइन चैट ग्रुप में लिखा कि अस्पताल में सात लोग एक रहस्यमय बीमारी से पीड़ित हैं। एक डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज में अपनी क्लास के छात्रों को सतर्क रहने की चेतावनी दी थी। उन्होंने लिखा, मरीजों को अलग-थलग रखा गया है। जवाब में एक व्यक्ति ने पूछा, क्या सार्स फिर से आ रहा है। उसने 2002 में चीन में फैली महामारी का जिक्र किया था। बता दें कि साल 2003 में चीन ने सार्स नामक कोरोना वायरस का सामना किया था जिसने दुनिया भर में 700 से ज़्यादा लोगों की जान ली थी। सार्स के मामले में ये पाया गया था कि अगर आप किसी चीज़ या जगह को छूते हैं जहां पर संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से वायरस पहुंचा हो तो आप उस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन यह बीमारी सार्स नहीं बल्कि जानलेवा कोरोना वायरस निकली।

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चीन पूरी दुनिया में अपने खतरनाक वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जाना जाता है और इसलिए कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर लैब में निर्मित करने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या कोई ऐसा सच है कि जिसे चीन लगातार छुपाने की कोशिश कर रहा है। आखिर चीन में ये महामारी फैलने के पीछे का कारण क्या हैं। इस मामले पर इजरायल के एक जैविक हथियार विश्लेषक डैनी सोहम से बातचीत के आधार पर वॉशिंगटन पोस्ट ने एक हैरान करने वाला दावा किया है। वॉशिंगटन पोस्ट में दावा किया है, 'वुहान शहर में जैविक हथियार तैयार करने की गोपनीय परियोजना है। जहां इजरायली सेना के पूर्व खुफिया अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल डैनी सोहम ने चीन के जैविक हथियार को लेकर काफी काम किया है। दावा है कि चीन के जैविक हथियार का केंद्र है वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी। जहां मारक विषाणुओं पर काफी काम होता है। ये तमाम प्रयोगशाला जनसंहार के हथियार विकसित करने का काम करती है। चीन ऐसा पहली बार नहीं कर रहा है। इससे पहले साल 2002 में जब चीन में सार्स फैला था। तब भी WHO को जानकारी चार महीने बाद दी गई थी।

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आलम ये है कि कोराना वायरस न सिर्फ चीन के दूसरे शहरों में फैल चुका है बल्कि दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में पांव पसार रहा है। यहां तक कि अमेरिका में भी कोरोना वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। चीन के कोरोना वायरस का खतरा भारत पर भी मंडरा रहा है और इसको लेकर सरकार भी बहुत सतर्क है। भारत में कोरोना से लड़ने के लिए क्या कुछ हो रहा है। ये भी बता देते हैं।

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चीन ही नहीं कोरोना वायरस से घनी आबादी वाला भारत भी चितिंत है। भारत में 3 लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। लेकिन दिल्ली समेत, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू, कोच्चि और कोलकाता एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था है। भारत ने चीन के ई वीजा पर रोक लगाई और मदद के लिए चीन के पास मास्क भिजवाए। साथ ही उन भारतीय छात्रों को वापस भारत लाने के प्रयत्न शुरू किये जो चीन में फंसे थे। ज्ञात हो कि भारतीय छात्र एयर लिफ्ट करके वापस भारत आ गए हैं और उन्हें मानेसर स्थित कैंप में रखा गया है जहां वो खूब एन्जॉय कर रहे हैं और उनका एक वीडियो भी इंटरनेट पर खूब तेजी से वायरल हुआ है जिसमें वो हरियाणवी गाने पर डांस करते नजर आ रहे हैं। 

वहीं भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अपने छात्रों को वापस लाने से साफ मना कर दिया है और इसके पीछे अजीबो-गरीब तर्क दिए हैं। मामले के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी का एक ट्वीट भी वायरल हुआ है। वायरल हुए इस ट्वीट में अल्वी कुछ ज्यादा ही धार्मिक होते नजर आ रहे हैं। अल्वी ने पैगंबर मोहम्मद का हवाला दिया है और कहा है कि रोगों और उनके प्रकोप के संबंध में आज भी पैगंबर के निर्देश अच्छे मार्गदर्शक हैं। मुस्लिम धर्म की दो प्रमुख किताबों बुखारी और मुस्लिम का हवाला देते हुए अल्वी ने कहा है कि यदि आप किसी भूमि में प्लेग के प्रकोप का सुनते हैं तो उसमें प्रवेश न करें। लेकिन आप यदि उस स्थान पर रहते हैं जहां प्लेग हुई है तो उस जगह को छोड़ें नहीं बल्कि प्लेग मे फंसे अन्य लोगों की मदद करें।

राष्ट्रपति द्वारा कही इस बात को लेकर पाकिस्तान की आलोचना हो रही हो मगर चीन ने पाकिस्तान के इस 'बड़प्पन' का पूरा संज्ञान लिया है और इसका नजारा हमें कहीं और नहीं बल्कि ट्विटर पर देखने को मिल रहा है। जहां चीनी अधिकारियों द्वारा उन  ट्वीट्स को लगातार रीट्वीट दिए जा रहे हैं जो 'कोरोना वायरस' के मामले में चीन और पाकिस्तान की दोस्ती दर्शा रहे हैं। पाकिस्तान और चीन भले ही एक दूसरे से दोस्ती के लाख दावे कर लें लेकिन हमें उन छात्रों को भी नहीं भूलना चाहिए जो इन मुश्किल हालात में अब भी चीन में फंसे हुए हैं और वीडियो के जरिये ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि नागरिक सुरक्षा के मोर्चे पर पाकिस्तान बुरी तरह से विफल हुआ है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण? 

इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं, यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। 

इस वायरस से बचने के लिए किन सावधानियों का ध्यान रखना आपके लिए जरूरी है ये भी जान लीजिए।

इससे बचाव के उपाय? 

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए। अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है। खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढककर रखें। जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें। अंडे और मांस के सेवन से बचें। जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।

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बहरहाल, बीमारी को लेकर अभी और कितनी मौतें होती हैं? चीन क्या इस परेशानी से निकलकर अपने को संभल लेगा? जैसे तमाम सवालों के जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं। लेकिन जिस तरह से पूरा विश्व इस बीमारी को लेकर अपने-अपने तरीके से निपटने में लगा है और कई देश इस बीमारी से पैगम्बर के सबक की आड़ में अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में चीन के आला अधिकारियों का इसे एक मामूली बीमारी बताना और हलके में लेना विश्व के लिए कितना घातक सिद्ध होता है।

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