Israel के अरमानों पर MBS ने फेरा पानी, टूट जाएगा ट्रंप का अब्राहम अकॉर्ड्स 2.0 का सपना?

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अभिनय आकाश । Jul 29 2025 2:24PM

प्रिंस फैसल ने दृढ़ता से कहा कि सऊदी अरब के लिए, इजरायल के साथ संबंध सामान्यीकरण केवल एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के माध्यम से ही हो सकता है। यह स्थिति समान है, और यह एक मजबूत विश्वास पर आधारित है कि केवल एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के माध्यम से और केवल फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के वैध अधिकारों को संबोधित करने के माध्यम से ही हम इस क्षेत्र में स्थायी शांति और वास्तविक एकीकरण प्राप्त कर सकते हैं।

इजरायल के अरमानों पर खाड़ी देश ने पानी फेर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका के अब्राहम अकॉर्ड वाले सपनों को भी इससे करारा जटका लगा है। विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सऊदी अरब ने एक बार फिर इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने से इनकार कर दिया है, जब तक कि एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं हो जाती। प्रिंस फैसल ने दृढ़ता से कहा कि सऊदी अरब के लिए, इजरायल के साथ संबंध सामान्यीकरण केवल एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के माध्यम से ही हो सकता है। इजरायल के साथ रिश्‍ते तब तक सामान्‍य नहीं करेगा जब तक कि अलग फलस्‍तीन देश को मान्‍यता नहीं मिल जाती है। साथ ही गाजा युद्ध का खात्‍मा भी करना होगा। 

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अब्राहम अकॉर्ड्स 2.0 पर फिरा पानी

आपको ट्रंप के पहले कार्यकाल का ऐतिहासिक अब्राहिम अकॉर्ड तो याद ही होगा। इस डील के तहत पहली बार यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे मुस्लिम देशों ने इजरायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य किए थे। ये मीडिल ईस्ट के लिए गेमचेंजर था। तब से ही सब इंतजार कर रहे थे कि इस लिस्ट में अगला और सबसे बड़ा नाम सऊदी अरब का होगा।  मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने 25 जून को कहा कि समझौतों का विस्तार करना राष्ट्रपति के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है और उन्होंने जल्द ही नए देशों के शामिल होने के बारे में बड़ी घोषणाओं की भविष्यवाणी की। पिछले हफ्ते, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सीरिया को उन देशों में से एक बताया, जिन्हें ट्रम्प समझौते में शामिल करने के लिए उत्सुक हैं, उन्होंने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्य पूर्व यात्रा के दौरान सऊदी अरब में उनकी ऐतिहासिक बैठक का उल्लेख किया। हालांकि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान के करीबी और विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में यह ऐलान करके इजरायल और अमेरिका दोनों को अब तक का सबसे स्‍पष्‍ट संदेश दे दिया। 

गाजा भुखमरी को लेकर नेतन्‍याहू पर भड़के ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गाजा में मानवीय संकट और यूक्रेन युद्ध को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिए। ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर के साथ स्कॉटलैंड के टर्नबेरी स्थित अपने गोल्फ क्लब में हुई बैठक के दौरान ट्रम्प ने कहा कि वे इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के इस दावे से सहमत नहीं हैं कि 'गाजा में भुखमरी नहीं है।' ट्रम्प ने कहा कि मैंने टीवी पर गाजा के बच्चों की तस्वीरें देखीं, वे बहुत भूखे नजर आ रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें खाना मिले।' उन्होंने दोहराया कि अमेरिका गाजा में मानवीय सहायता भेजने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, 'इसराइल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खाना लोगों तक पहुंचे।

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WHO ने गाज़ा को लेकर दी चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि गाजा पट्टी में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुकी है और यह खतरनाक दिशा में बढ़ रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात ने मिलकर गाजा में 25 टन राहत सामग्री एयरड्रॉप की। संयुक्त राष्ट्र के राहत प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कहा कि शुरुआती रिपोर्टों से संकेत मिला है कि इस्राइल ने कुछ आवाजाही प्रतिबंधों में ढील दी है। उन्होंने बताया कि रविवार को 100 से अधिक ट्रक राहत सामग्री लेकर गाजा की ओर रवाना हुए। उन्होंने कहा कि यह एक प्रगति है लेकिन अकाल और स्वास्थ्य आपदा को टालने के लिए बहुत अधिक मदद की जरूरत है। 

फ्रांस के राष्ट्रपति का फिलिस्तीन पर चौंकाने वाला कदम

फ्रांस का यह कदम उन पश्चिमी देशों के लिए संकेत है जो मान्यता देने पर सोच रहे हैं लेकिन अकेले आगे नहीं बढ़ना चाहते। फ्रांस दो-राष्ट्र समाधान (इस्राइल और फलस्तीन) चाहता है। फ्रांस पहला बड़ा पश्चिमी देश है जिसने यह कदम उठाया है। इससे पहले त्री स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे ने 2024 में फलस्तीन को मान्यता दी थी, लेकिन वे छोटे देश माने जाते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कई महीनों से इस विचार पर काम कर रहे थे। अगले हफ्ते फ्रांस और सऊदी अरब मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कर रहे है, उसी से पहले फ्रास ने यह ऐलान कर दुनिया को एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है। फ्रांस की संसद 2014 में पहले ही फलस्तीन को मान्यता देने के पक्ष में एक प्रस्ताव पास कर चुकी है। 

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