10वीं और 12वीं के सवाल पर बवाल: कैसे तैयार किया जाता है CBSE का पेपर, अधिकारियों का क्या रोल होता है

CBSE
अभिनय आकाश । Dec 14 2021 6:11PM

सीबीएसई कक्षा 10वीं, 12वीं की टर्म 1 बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं।सीबीएसई इन दिनों अपने 10 वीं और 12 वीं के परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को लेकर विवादों में है। हालांकि दोनों ही मामलों में सीबीएसई की तरफ से खेद भी जताया गया है और स्पष्टीकरण जारी कर सफाई भी दी गई है।

आज बात जिस चीज की करेंगे जिसका आरंभ उसके जन्म से ही हो जाता है। परीक्षा इस बात की कि क्या वह अपनी मुसीबतों का सामना कर सकता है? शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षा पुरातन काल से ही या यूँ कहें कि कई युगों से ली जा रही है। परीक्षा हमेशा अदृश्य रूप में भी हमारे जीवन में चलती रहती है। परीक्षा दो शब्दों के मेल ( परि + ईक्षा ) से उत्पन्न हुआ शब्द है। परि का अर्थ है चारों तरफ और ईक्षा का अर्थ है देखना। तो इस लिहाज से तो इस शब्द के आधार पर यदि हम किसी की परीक्षा लेते हैं तो उसे चारों तरफ से देखते हैं। ये देखते हैं कहीं उसमे कोई कमी तो नहीं है। ये देखना कि क्या वो एक दिये गए मापदंड में खरा उतरता है या नहीं। आज बात परीक्षा की करेंगे, विशेष रूप से इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नपत्र के बारे में करेंगे। एक अच्छा प्रश्न पत्र छात्रों की परीक्षा लेता है और एक खराब प्रश्न पत्र सिस्टम का परीक्षण करता है। ऐसा ही कुछ भारत में इन दिनों हो रहा है। सीबीएसई द्वारा तैयार किए प्रश्व पत्र इन दिनों विवाद की वजह बन रहे हैं। सीबीएसई कक्षा 10वीं, 12वीं की टर्म 1 बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। सीबीएसई टर्म 1 परीक्षाओं में अब तक छात्रों से पूछे गए प्रश्नों को लेकर दो विवाद देखने को मिले हैं। पहली कक्षा 12 की समाजशास्त्र परीक्षा के बाद सामने आया। जिसके बाद सीबीएसई को सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण जारी करते हुए प्रश्न को "त्रुटि" के रूप में वर्णित करना पड़ा। जबकि दूसरा विवाद 10वीं के अंग्रेजी के पेपर में एक पैसेज को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जिसे महिलाओं के प्रति ‘जेंडर स्टीरियोटाइपिंग’ से ग्रसित माना जा रहा है। हालांकि बोर्ड ने उस पैसेज को पेपर से हटाने के साथ ही छात्रों को उस प्रश्न के पूरे अंक देने की घोषणा की है। इसनके साथ ही कहा कि वो अपनी प्रश्न पत्र सेटिंग प्रक्रिया की समीक्षा करेगा। सीबीएसई ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, "हमें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का पछतावा है, और अब बोर्ड द्वारा एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाएगी, जो प्रश्न पत्र सेट करने की पूरी प्रक्रिया को समीक्षा करेगी और उसे और अधिक मजबूत बनाएगी। जिससे भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके।"

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गुजरात दंगों पर सवाल और CBSE का स्पष्टीकरण

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 1 दिसंबर से टर्म 1 की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन इस परीक्षा को लेकर पहले ही दिन एक विवाद खड़ा हो गया जिसके बाद बोर्ड को सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण तक देना पड़ा। ये विवाद 12वीं क्लास के सोशयोलाजी यानी समाज शास्त्र के पेपर में पूछे गए एक सवाल को लेकर हुआ। जिसमें छात्रों से उस पार्टी का नाम बताने को कहा गया जिसके कार्यकाल में 2002 में गुजरात में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी। क्या था पूरा सवाल आपको बताते हैं- वर्ष 2002 में बड़े पैमाने पर और मुस्लिम विरोधी हिंसा किस सरकार के शासन में फैली थी?

गुजरात दंगों से जुड़ा ये सवाल ऑब्जेक्टिव था। इस सवाल के जवाब के लिए चार विकल्प दिए गए थे- कांग्रेस, भाजपा, डिमोक्रेटिक और रिपब्लिकन। परीक्षा खत्म होने के बाद इस सवाल को लेकर जमकर विवाद हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया के जरिये इस पर नाराजगी भी जताई। कई लोगों ने सीबीएसई बोर्ड को कटघरे में खड़ा करते हुए उस पर बच्चों के दिमाग में सांप्रदायिक हिंसा का जहर बोने का भी आरोप लगा दिया। विवाद बढ़ा तो सीबीएसई बोर्ड ने तुरंत इस पर अपनी सफाई दी। बोर्ड ने इस प्रश्न को अनुचित और उसके दिशा-निर्देशों के खिलाफ बताया। सीबीएसई की तरफ से कहा गया कि मामले में जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड ने अपने एक ट्विट में कहा- आज 12वीं कक्षा के  समाज शास्त्र टर्म 1 की परीक्षा में एक प्रश्न पूछा गया जो अनुचित है और प्रश्नपत्र तैयार करने को लेकर बाहरी विशेषज्ञों के लिए सीबीएसई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। सीबीएसई इस गलतियों को स्वीकार करता है और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। सीबीएसई ने दूसरे ट्वीट में लिखा कि, "पेपर बनाने वालों के लिए सीबीएसई के दिशानिर्देश स्पष्ट हैं कि  शैक्षणिक आधार को ध्यान में रखकर प्रश्नपत्र तैयार करना है। इसमें किसी भी ऐसे विषय या क्षेत्र के बारे में नहीं पूछा जाना चाहिए जिससे किसी व्यक्ति की सामाजिक या राजनीतिक दलों की भावनाएं आहत होती हों।

सीबीएसई प्रश्न पत्र सेट करने में कौन लोग शामिल होते हैं?

सीबीएसई प्रश्न पत्र सेट करने की प्रक्रिया में प्रत्येक विषय के लिए विषय विशेषज्ञों के दो अलग-अलग पैनल पेपर सेटर और मॉडरेटर शामिल होते हैं। विशेषज्ञों की पहचान गोपनीय रखी जाती है, यहां तक ​​कि एक-दूसरे से भी और पेपर-सेटर्स को यह नहीं पता होता है कि बोर्ड उनके द्वारा निर्धारित पेपर का उपयोग करेगा या नहीं।

सीबीएसई के परीक्षा उपनियमों के तहत, पेपर-सेटर और मॉडरेटर को यह करना होगा:

संबंधित विषय या संबद्ध विषय में स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए

माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक / उच्च शिक्षा स्तर पर संबंधित विषय को पढ़ाने का न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव हो; या सरकार द्वारा स्थापित राज्य या राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा एजेंसियों में काम करने वाले व्यक्ति हों और माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों / शिक्षकों के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों या अध्ययन सामग्री के अनुसंधान / विकास के संगठन में शामिल हों।

सीबीएसई चेयरमैन के लिए विषय से संबंधित पेशे में अन्य व्यक्तियों को नियुक्त करने का भी प्रावधान है।

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प्रश्नों की प्रकृति के बारे में नियम क्या कहते हैं?

उप-नियम पेपर सेटर्स और मॉडरेटर के लिए निर्देशों का एक सेट निर्धारित करते हैं:

सुनिश्चित करें कि प्रत्येक प्रश्न पत्र विषय के पाठ्यक्रम, खाका, डिजाइन और पाठ्यपुस्तकों/अनुशंसित पुस्तकों के अनुसार निर्धारित किया गया हो।

सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रश्न गलत या अस्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है, जिससे प्रश्न की व्याख्या करने के इरादे से अलग व्याख्या हो सकती हो।

पेपर सेटिंग प्रक्रिया क्या है?

प्रत्येक परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों के कई सेट तैयार किए जाते हैं। पेपर सेटर्स की संख्या भिन्न हो सकती है और प्रत्येक एक प्रश्न पत्र तैयार करता है। पेपर-सेटर पैनल द्वारा तैयार किए गए प्रश्न पत्र फिर मॉडरेशन चरण में चले जाते हैं। प्रश्न पत्रों का मॉडरेशन या तो मॉडरेटर की एक टीम या एक व्यक्तिगत मॉडरेटर द्वारा किया जा सकता है। 

उप-नियमों के अनुसार, मॉडरेटर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि "प्रत्येक प्रश्न पत्र विषय के पाठ्यक्रम, खाका, डिजाइन और पाठ्य पुस्तकों/अनुशंसित पुस्तकों के अनुसार निर्धारित किया गया है और एक विषय में दिए गए यूनिट-वार वेटेज का अनुपालन करता है। पाठ्यक्रम। उप-नियमों में कहा गया है कि विषय की विभिन्न उप-इकाइयों के तहत अंकों की भिन्नता, यदि कोई हो, को "न्यूनतम" रखा जाना चाहिए।

सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन के अनुसार, मॉडरेटर की भूमिका "महत्वपूर्ण" है। “मॉडरेटर्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि प्रश्न सही हैं, उपयुक्त भाषा का उपयोग किया गया हो, आसानी से समझ में आने वाले हों। इसके साथ ही यह कि पेपर निर्धारित समय में पूरा किया जा सकता हो। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे कागज के खाका, डिजाइन और टाइपोलॉजी के लिए जिम्मेदार हैं। टाइपोलॉजी और डिजाइन ऐसा होना चाहिए कि वे प्रभावशाली युवा दिमाग को उत्तेजित न करें। क्या हो रहा है कि मॉडरेटर अर्ध-कुशल हो गए हैं। उन्हें अपग्रेड किया जाना चाहिए और कड़ाई से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। यह मॉडरेटर हैं जो प्रश्न पत्रों के अंतिम सेट को एक साथ रखते हैं और उन्हें बोर्ड को जमा करते हैं।

सीबीएसई अधिकारियों की क्या भागीदारी है?

गोपनीयता की वजह से प्रश्न पत्र सीमित लोगों के सामने से ही गुजरते हैं। मॉडरेटर द्वारा मॉडरेट किए गए प्रश्न पत्र बोर्ड को जमा करने के बाद, बोर्ड के किसी भी अधिकारी द्वारा इनकी जांच नहीं की जाती है। उप-नियमों के अनुसार सभी प्रश्न पत्र परीक्षा नियंत्रक और "अध्यक्ष द्वारा पहचाने जाने वाले अन्य अधिकारियों" की कस्टडी में होते हैं। सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन गांगुली ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक बेतरतीब ढंग से प्रश्नपत्रों के सेट उठाते हैं जिनका अंत में उपयोग किया जाना है। “नियंत्रक प्रश्न पत्र नहीं पढ़ता है। प्रश्न पत्र लीक के जोखिम को कम करने के लिए कठोर गोपनीयता प्रोटोकॉल बनाए रखा जाता है।

-अभिनय आकाश 

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