जिस सुदर्शन चक्र S-400 ने PAK अटैक को किया फेल, वो रूस पर यूक्रेन के भीषण हमले क्यों नहीं रोक पाया?

भारत के एयर डिफेंस ग्रिड को देखकर पूरी दुनिया हैरान है और इसीलिए पूरी दुनिया अब इसी ग्रिड को समझने की कोशिश में लग चुकी है। अब एक बार फिर से एस 400 मिसाइल की चर्चा तेज हो चली है।
तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान।
भीलन लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बान।
महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था। कंस के ससुर व मित्र, मगध के नरेश जरासंध के वध के बाद मथुरा सुरक्षित लग रही थी। मगर मथुरा नगरी पर काल यमन ने हमला कर दिया। काल यमन को अमरता का वरदान प्राप्त था। इसलिए वो बार बार बड़ी सेना लेके आक्रमण करता था। एक बार कृष्ण युद्ध में घायल हो गए। इसलिए अर्जुन उनसे मिलने के लिए गए। कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मैं घायल हूँ और मुझसे मिलने के लिए गोपियां आ रही है, रास्ते में भीलों के कबीले पड़ते हैं, तुम इतना करना की उनसे गोपियों की रक्षा करना। अर्जुन ने हाँ बोला और दहाड़ा। उसे अपने बल पर घमंड हो चुका था। जब अगले दिन गोपियाँ कृष्ण से मिलने आई तो भील लुटेरों ने उन्हें लूटने के लिए घेर लिया। अर्जुन तैनात था पर उसके लाख चाहने पर भी वो उनका कुछ ना बिगाड़ सका। लुटेरों ने गोपियों को लूट लिया। मतलब साफ है कि समय ही व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ और कमजोर बनता है। अर्जुन का वक्त बदला तो उसी के सामने भीलों ने गोपियों को लूट लिया जिसके गांडीव की टंकार से बड़े बड़े योद्धा घबरा जाते थे। एस 400 मिसाइल जिसे भारत में सुदर्शन चक्र के रूप में भी जाना जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्यवाई की थी। जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत के कई जगहों पर ड्रोन अटैक किया था। इस हमले में भारत ने एस-400 यानी सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया था। जिसकी वजह से पाकिस्तान को काफी मुंह की खानी पड़ी थी। भारत के सुदर्शन चक्र ने पूरी दुनिया में इन दिनों बवाल मचा रखा है। एस 400 की परफार्मेंश को लेकर हर कोई हैरान है। भारत ने जितना मजबूत एयर डिफेंस ग्रिड बनाया उतनी ही बड़ी तस्वीर दुनिया तक पहुंची। भारत के एयर डिफेंस ग्रिड को देखकर पूरी दुनिया हैरान है और इसीलिए पूरी दुनिया अब इसी ग्रिड को समझने की कोशिश में लग चुकी है। अब एक बार फिर से एस 400 मिसाइल की चर्चा तेज हो चली है।
इसे भी पढ़ें: 40 विमान उड़ते ही रूस का पहला बयान आया सामने, भयंकर गुस्से में पुतिन!
भारत ने एस-400 का ऐसा इस्तेमाल कर दुनिया को चौंका दिया
रूस की एस 400 मिसाइल प्रणाली को दुनिया की सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम से एक माना जाता है। एस 400 की ताकत इतनी ज्यादा है कि वो 600 किलोमीटर की दूरी से ही टारगेट को पहचान लेता है। एक साथ 100 से 300 टारगेट को ट्रैक करता है। एस 400 फिट मिसाइलें एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग कर दुश्मन को धूल चटाता है। ये हवा में उड़ते 36 टारगेट को एक साथ निशाना बनाता है। ये सिस्टम मिसाइल से लेकर ड्रोन तक के हमलों को नाकाम कर सकता है। पाकिस्तानी सेना ने अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज को निशाना बनाने की कोशिश की। भारत ने इसकी तकनीक को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदला भी था। जिससे ये काफी कारगर साबित हुआ था। भारत ने पहली बार एस 400 का इस्तेमाल करके दुश्मन को बता दिया है कि हमसे लड़ोगे तो चकनाचूर हो जाओगे। लेकिन रूस जिसने ये सिस्टम बनाया, उसने यूक्रेन के ड्रोन हमलों को रोकने में असफल क्यों हो गया।
यूक्रेन का अब तक का सबसे भीषण हमला
1 जून के दिन यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया है। इस हमले में रूस के 40 से ज्यादा मिलिट्री विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए। यूक्रेन ने रूस के चार प्रमुख हवाई अड्डों को निशाना बनाया। जिसमें ये रूसी लड़ाकू विमान भी नष्ट हो गए। हमले के बाद इन एयरबेस से भारी धुंआ उठता दिखाई दिया। इस हमले को ऑपरेशन स्पाइडरवेब का नाम दिया गया था। इसे अंजाम देने के लिए यूक्रेन ने 18 महीने की योजना बनाई थी। रूसी मीडिया और युद्ध समर्थकों ने इसे रूस के लिए 'एविएशन का सबसे काला दिन' बताया और पुतिन से परमाणु हमले की मांग की। ड्रोन को ट्रकों में कंटेनर के जरिए रूस के अंदर ले जाया गया। एक ट्रक मुरमान्स्क के ओलेनेगॉस्र्क में एक पेट्रोल पंप पर रुका था, जहां से ड्रोन निकलकर एयरबेस की ओर बढ़े। ड्रोन एफपीवी तकनीक से लैस थे और सैटेलाइट से नियंत्रित हो रहे थे। बाद में इस कंटेनर को भी उड़ा दिया गया। रूस के बेलाया एयरबेस समेत कई एयरफील्ड्स को निशाना बनाया गया। हमला रूस के से 4 हजार दूर है। जिन विमानों पर यूक्रेन ने हमला किया, वे परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम थे। रूस की परमाणु नीति के अनुसार, अगर किसी हमले से उसकी परमाणु क्षमता प्रभावित होती है, तो वह परमाणु जवाब दे सकता है।
इसे भी पढ़ें: Ukraine Big Action in Russia: अटैक के बाद जेलेंस्की की बड़ी धमकी, अब क्या करेंगे पुतिन
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पूरे मिशन की निगरानी खुद ही कर रहे थे
एक यूक्रेनी सैन्य अफसर ने बताया कि यह ऑपरेशन करीब डेढ़ साल की तैयारी के बाद अंजाम दिया गया। इसकी योजना खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की निगरानी में बनाई गई। इस हमले में इस्तेमाल ड्रोन यूक्रेन में विकसित और निर्मित थे, जो रूस की सीमा पार कर सटीकता से निशाना बनाने में सफल रहे। यह हमला रूसी एयर डिफेंस को कमजोर करने के लिए था। इसके जरिए रूसी वायु सेना को अब तक सबसे बड़ा नुकसान होने का भी दावा किया जा रहा है। इस हमले में मिग और सुखोई जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान, निगरानी विमान और कुछ परिवहन विमानों को नष्ट करने बात सामने आई है।
शांति वार्ता से पहले हमला
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता होनी है। इससे पहले इस तरह का बड़ा हमला रूस पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। कुछ अपुष्ट रिपोर्ट्स के अनुसार, आर्कटिक में स्थित रूस के परमाणु पनडुब्बी बेस सेवरमोस्र्क पर भी हमला हुआ है। यह बेस रूस की उत्तरी फ्लीट का मुख्यालय है। कोला प्रायद्वीप पर हुए विस्फोटों के बाद काले धुएं का वीडियो सामने आया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं कि वहां क्या निशाना बना।
यूक्रेनी हमलों में एस-400 कब कब हुआ नाकाम ?
अगस्त 2023 में यूक्रेन ने क्रीमिया में एस 400 बैट्री को नष्ट किया था, जिसमें आर 363 नैप्च्यून मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था। अक्टूबर साल 2023 में यूक्रेनी विशेष बलों ने बेडियांस औऱ लुहांस्क में दो एस 400 प्रणालियों को नष्ट किया था। अप्रैल 2024 में यूक्रेन ने क्रीमिया में मिसाइलों से एस 400 से चार लॉन्चर, 3 रडार और एक हवाई निगरानी प्रणाली को नष्ट किया था। जून 2024 में बेलकोरेड में यूक्रेनी रॉकेट ने एस 400 मिसाइल को नष्ट किया था। नवंबर 2024 में कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन ने मिसाइल से एस 400 को टारगेट किया। जनवरी 2025 में यूक्रेन ने हिमार्स मिसाइल से एस 400 के 96 एल6 ई रडार को नष्ट किया था। यूक्रेन ने अब तक कम से कम 31 एस 400 मिसाइलों को नष्ट या क्षचिग्रस्त किया है। ये रूस के लिए एक बड़ा झटका है। हर एस 400 बैट्री की कीमत 200 मिलियन डॉलर बताई जाती है।
एस 400 की असफलता के क्या कारण हैं?
रूस में एस 400 की असफलता के कई कारण हो सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पोजीशनिंग का हो सकता है। रूस ने एस 400 को अकेले तैनात किया। बिना छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियों के सहयोग के इसे तैनात किया गया। इससे ड्रोन जैसे कम ऊंचाईयों वाले लक्ष्यों को रोकना काफ मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा यूक्रेन ने इल्कट्रॉनिक तकनीकों का उपयोग करके एस 400 के रडार सिग्नल को जाम किया था। रूस की कई लापरवाही भी सामने आती है। रूस ने एस 400 की सुरक्षा के लिए कैमोफ्लास्क, लगातार स्थान बदलने या डमी सिस्टम जैसे उपाय नहीं किए।
For detailed delhi political news in hindi
अन्य न्यूज़