आखिर क्या है बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, जिसको लेकर मचा है इतना बवाल

Bihar Police
अभिनय आकाश । Mar 25 2021 6:27PM

बिहार में विशेष ससश्स्त्र पुलिस बल को विशेष अधिकार देने के लिए सरकार इस विधेयक को लाई। जिसमें प्रावधान है कि किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट या मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। विशेष सशस्त्र पुलिस बिना वारंट के किसी की भी तलाशी कर सकेगी।

बिहार की नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली सरकार के एख विधेयकर को लेकर सियासी बवाल अपने चरम पर है। वो भी ऐसी की बार-बार सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को उनके ही चैंबर में बंधक बना लिया। डीएम और एसपी के साथ धक्का-मुक्की की गई। चैंबर के पास विधायक पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। इसके बाद एक-एक कर विपक्ष के विधायकों को सुरक्षाकर्मी बाहर फेंकने लगे। एक विधेयक के विरोध के बाद स्थिति ऐसी बनी जिसने  हर किसी को हैरान कर दिया। कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा के इतिहास में ऐसा हंगामा पहले कभी नहीं देखा गया। लोकतंत्र के मंदिर में सत्ता पक्ष हो या विपक्ष शोर और बवालतंत्र हर तरफ देखा गया। हालांकि विपक्ष के भारी विरोध और सत्ता पक्ष के टकराव के बाद बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल 2021 को पास कर दिया गया। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर इस विधेयक में ऐसा क्या है जिसका विपक्ष द्वारा इतनी जोर-शोर से विरोध किया जा रहा है। 

इस विधेयक का नाम है बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल, 2021 

सबसे पहले पांच लाइनों में आपको इस बिल के बारे में बताते हैं कि इसके कानून का रूप लेने के बाद पुलिस के पास क्या अधिकार होंगे। 

  • बिना वारंच पुलिस के पास गिरफ्तार करने की शक्ति होगी
  • बिना वारंट पुलिस द्वारा किसी के घर की तलाशी ली जा सकेगी
  • जघन्य अपराधियों के लिए दंड का प्रावधान है
  • कोर्ट द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया
  • गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रक्रिया की जाएगी

अब पूरे बिल के बारे में विस्तार से जानते हैं। बिहार में विशेष ससश्स्त्र पुलिस बल को विशेष अधिकार देने के लिए सरकार इस विधेयक को लाई। जिसमें प्रावधान है कि किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट या मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। विशेष सशस्त्र पुलिस बिना वारंट के किसी की भी तलाशी कर सकेगी। गिरफ्तारी के बाद प्रताड़ित करने का आरोप लगता है तो बिना परमिशन कोर्ट कुछ नहीं कर सकता। कानून के जरिये पुलिस को ऐसे अधिकार दिए गए हैं जिसके तहत बिहार पुलिस को अब किसी भी वक्त तलाशी लेने के लिए किसी वारंट की जरूरत नहीं होगी और तो और अगर किसी वर्दीधारी ने जुल्म किया तो कोर्ट भी उसके खिलाफ तब तक कार्रवाई नहीं कर पाएगी। ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता सकता है जो सशस्त्र पुलिस को उसका काम करने से रोकता है। हमले का भय दिखाने, बल प्रयोग करने, धमकी देने पर बिना वारंट सशस्त्र पुलिस गिरफ्तार कर सकती हैं। 

अब बिल लाया गया तो इसको लाने के पीछ के मकसद को भी समझते हैं-

यह विधेयक बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) को स्वतंत्र अस्तित्व देने के लिए है

विधेयक पारित होने के बाद सैन्य पुलिस का नाम बदल कर विशेष सशस्त्र पुलिस हो गया

किसी अन्य राज्य की पुलिस के साथ मिलिट्री नहीं जुड़ा हुआ है 

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सरकार का तर्क 

विधेयक में बताया गया कि सूबे में सशस्त्र पुलिस बल का दायरा बड़ा हो रहा है। बदले हालात में उसकी भूमिका बढ़ी है। बिहार सैन्य पुलिस की भूमिका और इसका अलग संगठनात्मक ढांचा को देखते हुए पहचान जरूरी। बिहार तेजी से विकास कर रहा है, सांस्कृतिक महत्व के स्थलों, विद्युत संयंत्रों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। औद्योगिक ईकाइयां, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डा, मेट्रो रेल की सुरक्षा के लिए सशस्त्र पुलिस बल जरूरी है। बिहार सरकार ने कार्यकारी व्यवस्था के तहत ज्यादातर प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में बेहतर सैन्य पुलिस को लगाया है। 

विपक्ष के विरोध की वजह

पुलिस को कथित तौर पर बगैर वारंट के गिरफ्तार की शक्तियां देने वाले विधेयक पर बिहार विधानसभा में हंगामा हुआ है। राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी के कार्यकर्ता पटना की सड़कों पर उतर आए। उन्होंने विधानसभा घेराव मार्च करने की कोशिश की जिस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़पें हुई। विपक्ष के विधायकों ने बिना विधेयक पढ़े ही कॉपियों को फाड़ डाला। विपक्ष द्वारा सरकार और पुलिस पर निरंकुश होने का आरोप लगाया है। विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि पुलिस बिना वारंट के किसी के भी घर में घुसकर तलाशी ले सकती है उसे गिरफ्तार कर सकती है। कहा गया कि इस विधेयक के बारे में पहले से किसी को जानकारी नहीं दी गई ना ही मीडिया को बताया गया। 

मुख्यमंत्री का बयान

अब बिल को लेकर सदन से लेकर सड़क तक विरोध के स्वर प्रखर हो रहे थे तो ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री का बयान आना लाजिमी था। सदन में हुए बवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार मिलिट्री पुलिस का नाम बदलकर बिहार सशस्त्र पुलिस बल कर दिया गया है। मैंने 3 घंटे बैठकर देखा है कि इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। डीजीपी और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को कहा कि आखिर इस प्रकार का दुष्प्रचार कौन कर रहा है? 

ये हो गई राजनीतिक बातें अब आपको इसके तकनीकी पहलू के बारे में भी बताते हैं। बिहार राज्य की सीमाएं तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगती हैं। इसके साथ ही नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी है। जिसकी वजह से आतंरिक सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने के लिए कुशल प्रशिक्षित और हर तरह से लैस सशस्त्र पुलिस बल की आवश्यकता है। बीएमपी का गठन बंगाल पुलिस अधिनियम 1892 के तहत हुआ था और 1961 को बिहार पुलिस आयोग ने बीएमपी में संशोधन की सिफारिश की थी। जिसके तहत बीएमपी को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के रूप में गठन करने की बात कही गई थी। अब सरकार की ओर से नया कानून यानी बिहार विशेष सशस्त्र विधेयक 2021 लेकर आई है।- अभिनय आकाश

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