आठवां वेतन आयोग कब से होगा लागू, कितनी बढ़ेगी सैलरी, पेंशन पर क्या होगा असर? 5 लाइन में समझें

वैसे तो एक दम पक्के तौर पर ये फिलहाल नहीं बताया जा सकता कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद आपका वेतन कितना बढ़ेगा लेकिन पिछले वेतव आयोग की सिफारिशों के आधार पर मोटा-माटी अंदाजा तो लगा ही सकते हैं।
2025 का साल शुरू हो चुका है। देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव भी होने हैं। बजट भी आने वाला है। मतलब साल की शुरुआत में ही राजनीतिक से लेकर आर्थिक गतिविधियां अपने उफान पर रहने वाली हैं। लेकिन तमाम कवायदों के बीच देश के सरकारी कर्मचारियों के लिए 16 जनवरी की तारीख इस साल का सबसे पसंदीदा दिन हो गया है। हो भी क्यों ने मोदी कैबिनेट ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी जो दे दी है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 जनवरी को जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही कमीशन के चेयरमैन और दो मेंबर्स की नियुक्ति भी कर दी जाएगी। जिससे सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने से पहले नए वेतन आयोग की सिफारिशें मिल जाए। वैसे तो अश्विनी वैष्णव ने इससे ज्यादा डिटेल नहीं दी, लेकिन खुश होने के लिए इतनी खबर भी काफी है। वैसे तो एक दम पक्के तौर पर ये फिलहाल नहीं बताया जा सकता कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद आपका वेतन कितना बढ़ेगा लेकिन पिछले वेतव आयोग की सिफारिशों के आधार पर मोटा-माटी अंदाजा तो लगा ही सकते हैं। तो आज का एमआरआई स्कैन वेतन आयोग के नाम करते हैं। जानेंगे कि देश में वेतन आयोग का गठन कब से किया गया। किस आधार पर सैलरी में बढ़ोतरी का सुझाव सुझाया जाता है। आठवां वेतन आयोग कब लागू हो सकता है, और सबसे मेन बात इसके लागू होने से सैलरी और पेंशन में कितना पइसा बढ़ कर आएगा।
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छठे वेतन आयोग में क्या हुआ?
छठे वेतन आयोग को जनवरी 2006 में लागू किया गया था। इसमें मामूली बदलाव पेश किए थे, लेकिन फिर भी वेतन और पेंशन में सुधार हुआ। छठे वेतन आयोग के तहत फिटमेंट फैक्टर 1.86 था। इसलिए, 5वें वेतन आयोग में न्यूनतम मूल वेतन 2,750 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये कर दिया गया था। पेंशनभोगियों को भी मामूली लाभ हुआ, न्यूनतम मूल पेंशन 1,275 रुपये से बढ़कर 3,500 रुपये प्रति माह हो गई।
7वें वेतन आयोग में वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी
7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 को लागू हुआ। इसने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए कई बड़े बदलाव पेश किए। सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक फिटमेंट फैक्टर था, जिसे 2.57 पर सेट किया गया था। इसका मतलब यह था कि मूल वेतन को 2.57 से गुणा किया जाएगा, जिससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच सभी स्तरों पर वेतन में वृद्धि होगी। 7वें वेतन आयोग ने भी न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये की सिफारिश की है, जो छठे वेतन आयोग के तहत पिछले 7,000 रुपये से अधिक है। इसके अलावा, पेंशन में भी अच्छी वृद्धि देखी गई। पेंशनभोगियों के लिए, छठे वेतन आयोग के तहत न्यूनतम मूल पेंशन 3,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये हो गई।
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कब से लागू होंगी सिफारिशें?
जस्टिस एके माथुर की अध्यक्षता वाले 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 को लागू की गई थीं। उस आयोग का 10 वर्षों का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को पूरा हो जाएगा। वैष्णव के मुताविक, इससे पहले ही नया आयोग वनाने से सिफारिशें जल्दी मिलने और उन पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। केंद्र की मंजूरी के वाद आठवें आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं।
किन बातों पर होगा विचार ?
आयोग वेतन-पेंशन में संशोधन का सुझाव देते समय उचित फिटमेंट फैक्टर तय करेगा। इसमें महंगाई, लेवर मार्केट की स्थिति और सरकारी खजाने के हाल का ध्यान रखा जाएगा। आयोग राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों से भी विचार- विमर्श करेगा क्योकि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन-भत्ते में किसी भी वढ़ोतरी के वाद इन पर भी सैलरी बढ़ाने का दवाव वनता है और आमतौर पर राज्य इसी तर्ज पर बढ़ोतरी करते हैं। आयोग पे-स्केल और दूसरी चीजों में वदलाव का भी सुझाव दे सकता है। 7वें वेतन आयोग ने ग्रेड पे सिस्टम की जगह नया पैमाना पेश किया था। जस्टिस वी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाले छठे वेतन आयोग ने पे बैंड और ग्रेड पे की व्यवस्था का सुझाव दिया था। उसकी सिफारिशों के आधार पर मिनिमम सैलरी 7000 रुपये महीने और अधिकतम मंथली सैलरी 80000 रुपये महीने तय हुई थी। केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता उनकी वेसिक सैलरी के 50% से ज्यादा हो चुका है।
कितना बढ़ सकता है वेतन?
यह आयोग के सामने रखे जाने वाले प्रतिवेदनों और विचार-विमर्श के बाद होने वाले निर्णय पर निर्भर करता है। अभी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ आम बजट से पहले हुई मीटिंग में मजदूर संघों ने 8वां वेतन आयोग वनाने की मांग दोहराई थी 7वें वेतन आयोग के सामने कर्मचारी संघों ने फिटमेंट फैक्टर 3.68 करने की मांग की थी। हालांकि 2.57 की मंजूरी मिली थी। इसके चलते मिनिमम वेसिक सैलरी 7000 रुपये से 2.57 गुना बढ़ाकर 18000 रुपये महीना कर दी गई। हालांकि. अधिकतम वेतन ढाई लाख रुपये तय किया गया, जो कैबिनेट सेक्रेटरी के लिए है। मिनिमम पेंशन 3500 रुपये से बढ़कर 9000 रुपये महीने हो गई थी। अधिकतम पेंशन 1.25 लाख रुपये तय की गई थी।
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