Afghan-Taliban डील की तरह क्या इजरायल-हमास की अदावत को ट्रंप ने उलझा दिया? समझौते के ऐलान के बाद ही इजरायली हमलों से थर्राया गाजा

इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी नेता इस डील से नाखुश हैं। कह रहे हैं कि ये समझौता हमास के सामने हथियार डालने जैसा है। वहीं हमास और इजरायल के बीच सीजफायर के कुछ ही घंटों के बाद गाजा इजरायली हमलों से थर्रा उठा। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अलग अलग हमलों में 80 लोग मारे गए।
460 दिनों के बाद गाजा में चल रही मुसलसल जंग आखिरकार के थमने का रास्ता खुल गया है। 15 जनवरी की देर रात कतर के प्रधानमंत्री ने ऐलान करते हुए कहा कि हमास और इजरायल ने युद्ध विराम की शर्तें मान ली है। युद्ध विराम की बात तो जंग की शरुआत के साथ ही चल रही थी इसके पहले नवबंर 2023 में एक ट्रेपररी सीजफायर भी हुआ था। जिसमें 50 इजरायली बंधक और 150 इजरायली कैदी रिहा किए गए थे। लेकिन ये युद्धविराम महज चार दिन तक चल सका। इसके बाद हमले फिर से शुरू हो गए। इन हमलों में अब तक 47 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं । इसलिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर जंग रोकने का दबाव बढ़ रहा था। इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी नेता इस डील से नाखुश हैं। कह रहे हैं कि ये समझौता हमास के सामने हथियार डालने जैसा है। वहीं हमास और इजरायल के बीच सीजफायर के कुछ ही घंटों के बाद गाजा इजरायली हमलों से थर्रा उठा। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अलग अलग हमलों में 80 लोग मारे गए।
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जंग तीन चरणों में खत्म की जाएगी
19 जनवरी से जंग को रोकने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ये जंग तीन चरणों में खत्म की जाएगी। पहला चरण 42 दिनों तक चलेगा जिसमें हमास इजरायली बंधकों को छोड़ेगा। वहीं इजरायल को हमास और फिलिस्तिनियों को अपनी जेल से रिहा करना होगा। दूसरे चरण में कुछ और इजरायली बंधक छोड़े जाएंगे और इजरायल को पूरा गाजा खाली करना होगा। इसके बाद तीसरे चरण में इजरायल और फिलिस्तीन के भविष्य पर चर्चा होगी।
क्या ट्रंप ने करवा दिया समझौता
इस सहमति के पीछे अमेरिका की भूमिका तो है ही, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का इसमें निजी दिलचस्पी लेना भी खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। उन्होंने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि उनके पद ग्रहण करने से पहले बंधक छोड़ दिए जाने चाहिए। सहमति बनने की घोषणा भी सबसे पहले ट्रंप ने ही की। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने डॉनल्ड ट्रंप की तारीफ की और कहा कि युद्धविराम समझौते के लिए उनकी भूमिका अहम रही है। मिलर ने एक प्रेस ब्रीफ में कहा कि सौदे को अंतिम रूप देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि जाहिर है कि इस प्रशासन का कार्यकाल 5 दिनों में समाप्त हो जाएगा। हम समझौते पर हमारे साथ काम करने के लिए ट्रंप टीम को धन्यवाद देते हैं।
कई सवालों के जवाब अभी बाकी हैं
इस कथित सहमति को लेकर कई सारे सवाल बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि अगर सहमति पर दोनों पक्ष कायम रहे और इस पर अमल शुरू हुआ तो भी इस बात की गारंटी नहीं है कि इससे स्थायी शांति कायम हो ही जाएगी। पहले छह हफ्ते के युद्धविराम के दौरान जहां 33 बंधक छोड़े जाने है, वहीं स्थायी युद्धविराम की शर्तों पर बातचीत शुरू होनी है। आगे चलकर सारे बंधक छोड़े जाने की बात है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कितने जीवित है। युद्धविराम के बाद गाजा में शासन की क्या और कैसी व्यवस्था होगी, यह भी तय होना बाकी है।
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भारत ने किया समझौते का स्वागत
इस बड़ी घटना पर भारत का बयान भी सामने आया है। इजरायल और हमास के बीच जो शांति डील हुई है उसका भारत पर बहुत बड़ा असर पड़ने वाला है। गाजा में संघर्ष विराम समझौते का भारत ने स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्ध विराम के लिए समझौते की घोषणा का स्वागत करते है। हमें उम्मीद है कि इससे गाजा के लोगों को निरंतर मानवीय सहायता मिलेगी। चीन ने भी स्वागत किया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने समझौते का स्वागत करते हुए मध्यस्थों - मित्र, कतर और अमेरिका के प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
पश्चिम एशिया में कैसे सधेंगे भारत के हित
इस समझैते और युद्ध रुकने के बाद भारत व देश के अन्य लोगों के लिए कई रणनीतिक अवसर पैदा होंगे। ऐसी ही एक परियोजना आईएमईसी (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर) 7 अक्टूबर के हमले के कारण रुक गई थी। अब युद्धविराम के बाद इसके फिर से शुरू होने की उम्मीद है। इस परियोजना पर आठ देशों: भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने सितंबर 2023 में नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए थे। आईएमईसी परियोजना हमारे लिए कई भू-राजनीतिक और आर्थिक लाभों के साथ भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वैश्विक सहयोग बढ़ाने और वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश (पीजीआईआई) के लिए साझेदारी का हिस्सा बनने पर केंद्रित है। आईएमईसी अब भारत से मध्य पूर्व होते हुए यूरोप तक एक आर्थिक गलियारे के रूप में आगे बढ़ेगा। इसे चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह शिपिंग और रेलवे नेटवर्क के माध्यम से संचार और परिवहन चैनलों को मजबूत करेगा। मध्य पूर्व में राजनीतिक अस्थिरता से राहत मिलने के साथ, भारत ने राहत की सांस ली है।
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