370 के साथ RPC से भी मुक्त हुआ कश्मीर, IPC के तहत अब यह धाराएं भी होंगी लागू

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अभिनय आकाश । Aug 5 2019 4:32PM

भारत के आजाद होने से पहले जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी। उस वक्त जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था। महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे। इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी। यह संहिता थॉमस बैबिंटन मैकॉले की भारतीय दंड संहिता के ही समान थी, लेकिन इसकी कुछ धाराओं में अंतर था।

“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा उंचा रहे हमारा” यह वो गीत है जिसे हम हिन्दुस्तानी बचपन से गाते और सुनते आए हैं। तिरंगे की आन बान और शान के लिए भारत के न जाने कितने लोगों ने अपना बलिदान दिया होगा। यह तिरंगे की ही गरिमा है जिसकी वजह से भारत के 133 करोड़ लोग एक सूत्र में बंध कर रह रहे हैं। झंडा किसी भी देश का चेहरा होता है जिस तरह किसी भी इंसान या देश के कई चेहरे नहीं हो सकते उसी तरह एक ही देश में कई ध्वज नहीं हो सकते। आज राज्यसभा में मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के ऐतिहासिक प्रस्ताव के बाद अब कश्मीर का अलग झंडा नहीं रहेगा। साथ ही कश्मीर का अलग संविधान नहीं होगा और अब पूरे देश की भांति कश्मीर में भी एक ही कानून चलेगा।

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धारा 370 के विरोध में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में एक नारा दिया था ‘एक देश, दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। जनसंघ संस्थापक के दिए गए नारे ने आज सच्चाई का रुप ले लिया। बता दें कि जम्मू कश्मीर में अलग झंडे के साथ ही कानून भी अलग थे। जम्मू कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू थी। जिसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता था। भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय दंड संहिता का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। यहां केवल रणबीर दंड संहिता का प्रयोग होता था। ब्रिटिश काल से ही इस राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू थी।

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दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी। उस वक्त जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था। महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे। इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी। यह संहिता थॉमस बैबिंटन मैकॉले की भारतीय दंड संहिता के ही समान थी, लेकिन इसकी कुछ धाराओं में अंतर था।

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IPC के तहत अब यह धाराएं भी कश्मीर में होंगी लागू 

  • अब सार्वजनिक सभाओं या जमावड़ों के दौरान जान बूझकर शस्त्र लाने को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 सीएए के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा।
  • झूठी गवाही या बयान देने के लिये प्रताड़ित करने वालों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 195ए के तहत सजा का हकदार माना जाएगा।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 4 कंप्यूटर के माध्यम से किए गए अपराधों को व्याख्यित और संबोधित होगी।
  • दहेज के कारण होने वाली मौत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304-बी के तहत कार्रवाई होगी।

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