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इंदौर में मिले कोरोना के 523 नये मामले, चार लोगों की हुई मौत
- दिनेश शुक्ल
- नवंबर 30, 2020 21:00
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इंदौर की प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गाडरिया ने सोमवार को बताया कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा रविवार देर रात 4625 सेम्पलों की जांच रिपोर्ट जारी की गई। इनमें 523 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए हैं
इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना का कहर जारी है। यहां दीपावली के बाद से कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ-साथ मृतकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इंदौर में बीते 24 घंटों में कोरोना के 523 नये मामले सामने आए हैं, जबकि चार लोगों की मौत हुई है। इसके बाद यहां संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 42,149 और मृतकों का संख्या 760 हो गई है। इंदौर में लगातार नौवें दिन कोरोना के 500 से अधिक नये मामले सामने आए हैं।
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इंदौर की प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गाडरिया ने सोमवार को बताया कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा रविवार देर रात 4625 सेम्पलों की जांच रिपोर्ट जारी की गई। इनमें 523 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि शेष रिपोर्ट निगेटिव आई है। इन नये मामलों के साथ जिले में अब संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 42,149 हो गई है।
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वहीं, इंदौर में बीते 24 घंटों में कोरोना से चार मरीजों की मौत की भी पुष्टि हुई है। अब यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या 760 हो गई है। हालांकि, यहां कोरोना के मरीज तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं और अपने घर पहुंच रहे हैं। यहां अब तक 36,745 मरीज कोरोना को मात देकर अपने घर पहुंच गए हैं, लेकिन लगातार अधिक संख्या में नये संक्रमित मिलने से यहां सक्रिय मरीजों की संख्या बढक़र 4644 हो गई है, जिनका विभिन्न अस्पतालों और घरेलू एकांतवास में उपचार जारी है।
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गौरतलब है कि नवम्बर के पहले सप्ताह में इंदौर में कोरोना के नये मरीजों की संख्या 100 से नीचे पहुंच गई थी, लेकिन एक सप्ताह बाद ही यह आंकड़ा दो सौ के पार पहुंचा और दीपावली के बाद यह संख्या पांच सौ के पार पहुंच गई है। अधिक संख्या में नये संक्रमित मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप का माहौल देखने को मिल रहा है, तो वहीं लोगो में फिर कोरोना की दहशत फैल गई है।
सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत बनेगी सुरंग, आवास से सीधा सदन पहुंच सकते हैं पीएम और उपराष्ट्रपति
- अंकित सिंह
- मार्च 4, 2021 14:56
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साथ ही साथ वीवीआईपी मूवमेंट से जो सड़कें ब्लॉक करनी पड़ती है उसे भी अब नहीं करनी पड़ेगी। सेंट्रल विस्टा रीडेवेलपमेंट परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास और पीएमओ साउथ ब्लॉक की तरफ होगा जबकि नॉर्थ ब्लॉक की तरफ उप राष्ट्रपति का आवास होगा। वर्तमान में जहां ट्रांसपोर्ट और श्रम शक्ति भवन मौजूद है वहीं पर सांसदों के चेंबर होगा।
सेंट्रल विस्टा परियोजना के अंतर्गत देश में नए संसद भवन का निर्माण कार्य लगातार जारी है। आजादी के 75वें वर्षगांठ पर साल 2022 में इसके पूरा होने की उम्मीद है। इन सबके बीच खबर यह आ रही है कि नए संसद भवन से जोड़ने के लिए टनल बनाए जा रहे है। यानी कि वीवीआईपी लोगों के मूवमेंट में अब ज्यादा रुकावट नहीं आएगी। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास, उप राष्ट्रपति का घर और संसद में सांसदों के चेंबर से इस टनल को जोड़ा जाएगा। इन टनल्स को बनाने का उद्देश्य बाधारहित वीवीआईपी मूवमेंट को जारी रखना है। साथ ही साथ वीवीआईपी मूवमेंट से जो सड़कें ब्लॉक करनी पड़ती है उसे भी अब नहीं करनी पड़ेगी। सेंट्रल विस्टा रीडेवेलपमेंट परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास और पीएमओ साउथ ब्लॉक की तरफ होगा जबकि नॉर्थ ब्लॉक की तरफ उप राष्ट्रपति का आवास होगा। वर्तमान में जहां ट्रांसपोर्ट और श्रम शक्ति भवन मौजूद है वहीं पर सांसदों के चेंबर होगा।
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इन टनल्स यानी कि भूमिगत सुरंगों की संख्या तीन होगी। इसकी खासियत यह है कि यह तीनों सुरंग प्रधानमंत्री के नए निवास, उपराष्ट्रपति का घर और सांसदों के चेंबर को नए संसद भवन के साथ जोड़ेगा। इन भूमिगत सुरंगों से भी वीवीआईपी मूवमेंट आसान बनेगा। हालांकि, यह कहा जा रहा है कि इस सुरंग सिंगल लेन होंगी। संसद भवन में सभी सांसदों के कार्यालय अलग-अलग होंगे और वह भी पूरी तरह डिजिटल होंगे। पेपर लेस कार्यालय बनाने की ओर केंद्र सरकार का यह पहला कदम होगा। लेकिन फिलहाल राष्ट्रपति भवन को जोड़ने के लिए कोई सुरंग नहीं बनाई जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति को बार-बार संसद जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में दिसंबर में संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। इसके बनने में लगभग 971 करोड रुपए का खर्च आएगा। इससे पहले सुप्रीप कोर्ट ने बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना की खातिर पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखा। सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। नये भवन में एक संविधान कक्ष (कॉंस्टीट्यूशन हॉल) भी होगा, जो भारत की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा। इसके अलावा संसद सदस्यों के लिये एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समितियों के लिये कमरे, खान-पान के लिये स्थान और वाहन पार्किंग की जगह भी होगी। संविधान कक्ष में संविधान की मूल प्रति भी रखी जाएगी। भारत की लोकतांत्रिक धरोहर आदि को डिजिटल माध्यमों से दिखाया जाएगा।
मध्य प्रदेश के सिवनी में शोरूम से दो कार चोरी, पुलिस जांच में जुटी
- दिनेश शुक्ल
- मार्च 4, 2021 14:51
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चुराई गई दो कारों में से एक कार लूघरवाडा स्थित शराब दुकान के पीछे पायी गई है तो वहीं दूसरी कार को चोर लेकर भाग गये। घटना की जानकारी लगते ही सिवनी पुलिस अग्रिम कार्यवाही में जुटी है।
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BKU प्रवक्ता राकेश टिकैत का दावा, किसानों के समर्थन में भाजपा का एक सांसद देगा इस्तीफा
- अनुराग गुप्ता
- मार्च 4, 2021 14:44
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में कयास लगाए जाने लगे कि किसानों के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब या फिर हरियाणा का कोई भाजपा सांसद इस्तीफा दे सकता है।
नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तीन महीने से जारी है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कुछ ऐसा कहा, जिससे हड़कंप मच गया। दरअसल, किसान नेता राकेश टिकैत ने दावा किया किसान आंदोलन के समर्थन में इसी महीने भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद इस्तीफा देने वाले हैं। लेकिन यह सांसद कौन हैं, इसका जवाब राकेश टिकैत ने नहीं दिया।
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राकेश टिकैत के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में कयास लगाए जाने लगे कि किसानों के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब या फिर हरियाणा का कोई भाजपा सांसद इस्तीफा दे सकता है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो भाजपा सांसद द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद ही पता चलेगी।
कब तक चलेगा आंदोलन ?
एक हिन्दी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भाजपा के पास जितने सांसद हैं, उतने दिनों तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। जिसका मतलब साफ है किसानों का आंदोलन अभी तो समाप्त नहीं होने वाला है। किसान नेताओं की मांग है कि केंद्र तीनों कृषि कानूनों को वापस लें और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाएं। लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेने वाले हैं।
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वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार बात नहीं मानेगी, आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है, तैयारी लंबी है।

