सबरीमला मंदिर मुद्द पर नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी

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[email protected] । Jan 6 2020 7:38PM

शीर्ष अदालत ने कहा था कि मस्जिदों और दरगाह में मुस्लिम महिलओं के प्रवेश और गैर पारसी पुरूष से विवाह करने वाली पारसी समुदाय की महिलाओं को परिजनों के अंतिम संस्कार से संबंधित अज्ञारी जैसे पवित्र स्थान पर प्रवेश पर पाबंदी है।

नयी दिल्ली। केरल के सबरीमला मंदिर मे सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश देने के शीर्ष अदालत के फैसले से जुडे तमाम मुद्दों के अलावा मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलाओं के साथ कथित भेदभाव के मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ 13 जनवरी से सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सोमवार को जारी एक नोटिस में सूचित किया कि इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन की याचिका पर शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका 13 जनवरी को सूचीबद्ध की जा रही है।

इस फैसले में न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। पिछले साल 14 नवंबर को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत के फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी सितंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था। हालांकि पीठ ने कहा था कि धर्मस्थलों में महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध की धार्मिक परंपराओं की संवैधानिक वैधता को लेकर छिड़ी बहस सिर्फ सबरीमला प्रकरण तक ही सीमित नहीं है।

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शीर्ष अदालत ने कहा था कि मस्जिदों और दरगाह में मुस्लिम महिलओं के प्रवेश और गैर पारसी पुरूष से विवाह करने वाली पारसी समुदाय की महिलाओं को परिजनों के अंतिम संस्कार से संबंधित अज्ञारी जैसे पवित्र स्थान पर प्रवेश पर पाबंदी है। पीठ ने कहा था कि यही समय है कि उच्चतम न्यायालय व्यापक न्याय के लिए एक न्यायिक नीति तैयार करे। 

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