खाकी और खादी के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने पहना अध्यात्म का चोला, कृष्ण नगरी में सुनाई भागवत कथा

Gupteshwar Pandey
अंकित सिंह । Jul 26 2021 3:54PM

सावन में वैसे तो भगवान श्री कृष्ण की नगरी में विभिन्न तरह के आयोजन होते रहते हैं। लेकिन बिहार के पूर्व डीजीपी ने अपनी पहली कथा वाचन यहीं से शुरू की है। उनकी पहली कथा वाचन सात दिवसीय भागवत कथा को लेकर है।

कभी कड़क पुलिस अधिकारी के रूप में अपराधियों पर सख्ती करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय अध्यात्म की दुनिया में कदम रख चुके हैं। कथावाचक बन गए हैं और कथा वाचन के जरिए प्रभु महिमा का बखान कर रहे हैं। भले ही गुप्तेश्वर पांडे का यह अवतार नया है लेकिन लोगों को पसंद आ रहा। वह पूरी तरह से अध्यात्म की दुनिया में रंगे नजर आ रहे हैं। वेशभूषा भी पूरी तरह से आध्यात्मिक गुरु वाली है। माथे पर चंदन लगाए, गले में माला पहने और भगवा रंग में रंगे गुप्तेश्वर पांडे श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते नजर आ रहे हैं। सावन में वैसे तो भगवान श्री कृष्ण की नगरी में विभिन्न तरह के आयोजन होते रहते हैं। लेकिन बिहार के पूर्व डीजीपी ने अपनी पहली कथा वाचन यहीं से शुरू की है। उनकी पहली कथा वाचन सात दिवसीय भागवत कथा को लेकर है।

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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय अब अध्यात्म का चोला पहन कथावाचक बन गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में वृन्दावन के एक आश्रम में सावन के पहले दिन कथावाचन की शुरुआत की। अक्सर सुर्खियों में रहने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से पहले राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं। रविवार को उनके कथावाचन को सुनने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे और उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुनील भराला भी पहुंचे। इस अवसर बिहार के अररिया क्षेत्र के सांसद प्रदीप सिंह भी मौजूद रहे। इससे पूर्व भागवत प्रवक्ता श्याम सुंदर पाराशर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन कराया। पांडेय भागवत कथा से पूर्व मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए जो गुण होने चाहिए उनमें उनका अभाव है, जबकि अध्यात्म के गुण उन्हें बचपन से मिले हैं, अब उन्होंने आध्यात्मिक गुणों को ही अपने बाकी जीवन का लक्ष्य बनाया है। पांडेय ने कहा कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ, इससे सनातनी परिवेश में रहने का अनुभव शुरू से ही है। अयोध्या से कथा प्रवचन की पूरी शिक्षा दीक्षा लेकर वह अध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं।

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बिहार डीजीपी रहते हुए शब्दों में रहने वाले गुप्तेश्वर पांडे विधानसभा चुनाव से पहले ही वीआरएस लेकर जदयू में शामिल हो गए थे। उम्मीद थी कि शायद इस बार चुनाव लड़ने का मौका मिल जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें टिकट नहीं मिला इसके बाद वह अध्यात्म की तरह अपना रुख कर चुके हैं। वह लगातार अध्यात्मिक बातें करते हैं। अध्यात्म के बारे में लोगों को बताते हैं और साथ ही साथ अपने भविष्य को लेकर यह कहते हैं कि जो प्रभु की कृपा होगी वही होगा। गुप्तेश्वर पांडेय अभिनेता सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद खूब सुर्खियों में थे।

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