Pahalgam के बाद TRF का पुंछ माइंस ब्लास्ट अटैक, सेना का 1 जवान शहीद, भारत के स्ट्राइक और अमेरिका के चाबुक के बाद भी नहीं बदल रही फितरत

यह विस्फोट नियंत्रण रेखा से सटे केजी सेक्टर में एक बारूदी सुरंग से हुआ। जम्मू-कश्मीर के कृष्णा घाटी सेक्टर में एरिया डॉमिनेन्स पेट्रोलिंग के दौरान एक लैंड माइन विस्फोट में एक अग्निवीर की मौत हो गई और एक जेसीओ सहित दो जवान घायल हो गए
पहलगाम में 26 बेगुनाहों के खून से कश्मीर की धरती को लाल करने वाले आतंकी संगठन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पहलगाम को आतंकित करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में नियंत्रण रेखा के पास एक बारूदी सुरंग विस्फोट की वारदात सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ माइंस ब्लास्ट की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। यह घटना कृष्णा घाटी सेक्टर में उस समय हुई जब 7 जाट रेजिमेंट के जवान क्षेत्र नियंत्रण गश्त पर थे। सूत्रों ने बताया कि यह विस्फोट नियंत्रण रेखा से सटे केजी सेक्टर में एक बारूदी सुरंग से हुआ। जम्मू-कश्मीर के कृष्णा घाटी सेक्टर में एरिया डॉमिनेन्स पेट्रोलिंग के दौरान एक लैंड माइन विस्फोट में एक अग्निवीर की मौत हो गई और एक जेसीओ सहित दो जवान घायल हो गए
इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में LOC के पास लैंड माइन ब्लास्ट, सेना का 1 जवान शहीद और 2 घायल
अमेरिका ने घोषित किया आतंकवादी संगठन
बीते हफ्ते ही टीआरएफ और इससे जुड़े अन्य संगठनों को लश्कर-ए-तैयबा के नाम के साथ विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में शामिल किया गया। इस संगठन ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह टीआरएफ को प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) की सूची में शामिल कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी।
इसे भी पढ़ें: Kashmir में आतंकवादियों को हथियार और राशन पहुँचा रहे हैं ड्रोन, ISI की साजिश सुरक्षाबलों के लिए बनी नई चुनौती
टीआरएफ का गठन कब हुआ था ?
टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2019 में इसे बनाया गया था। यह पहले ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था, लेकिन जल्द ही खुद को एक ग्राउंड ग्रुप में तब्दील कर लिया। इसका मकसद भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना था। टीआरएफ आज जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी खतरा है। भारत सरकार ने 2023 में टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया। इस फ्रंट में आतंकवादी साजिद जट्ट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी प्रमुख हैं, ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का संगठन माना जाने वाला टीआरएफ घाटी में पर्यटकों, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों और खासकर प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाकर किए गए कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है।
टीआरएफ ने कौन-कौन से हमले किए?
अप्रैल 2020: केरन सेक्टर में हमले में 5 सैनिक शहीद हुए थे।
30 अक्टूबर 2020: कुलगाम में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या।
26 नवंबर 2020: श्रीनगर में सेना की 2 राष्ट्रीय राइफल्स पर हमला।
26 फरवरी 2023: पुलवामा में कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या।
20 अक्टूबर 2024: गंदेरबल में आतंकी हमला। इसमें एक डॉक्टर और 6 प्रवासी श्रमिकों की हत्या की गई।
अन्य न्यूज़












