अखिलेश ने PF घोटाले के लिए योगी सरकार को बताया जिम्मेदार, बोले- मुख्यमंत्री दें इस्तीफा

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[email protected] । Nov 5 2019 3:02PM

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने इस घोटाले का दरवाजा अपनी सरकार में खोले जाने के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के आरोप का जवाब देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सपा के शासनकाल में कर्मचारियों की भविष्य निधि का एक भी पैसा डीएचएफएल में निवेश नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जिस समय डीएचएफएल मैं पैसा निवेश किया गया उस वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं थी।

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजली विभाग के कर्मचारियों की भविष्यनिधि का गलत तरीके से निवेश कराए जाने के आरोपों पर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने इस घोटाले का दरवाजा अपनी सरकार में खोले जाने के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के आरोप का जवाब देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सपा के शासनकाल में कर्मचारियों की भविष्य निधि का एक भी पैसा डीएचएफएल में निवेश नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जिस समय डीएचएफएल मैं पैसा निवेश किया गया उस वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं थी।

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इस घोटाले के मामले में जो मुकदमा दर्ज हुआ है उसमें भी यही बात लिखी है। सपा सरकार के समय में एक भी पैसा डीएचएफएल को नहीं दिया गया। सपा अध्यक्ष ने कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोषी हैं। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। मुख्यमंत्री चाहते होंगे कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को हटा दिया जाए, मैं इसीलिए मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रहा हूं। उन्होंने कहा कि सपा की मांग है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत जज से कराई जाए। जब तक यह जांच नहीं होगी तब तक सच्चाई बाहर नहीं आ सकती है क्योंकि सरकार ने सच्चाई को छुपाने के लिए जल्दबाजी में सीबीआई जांच की सिफारिश की है। अखिलेश ने इस मामले में बिजली विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि अगर वह अफसर अपने पद पर बैठे रहेंगे तो निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। अखिलेश ने दावा किया कि योगी सरकार अपने अंदर चल रही लड़ाई को छुपाना चाहती है। आज अगर सत्ताधारी दल के विधायकों को खड़ा करके पूछ लिया जाए कि वह किसके साथ हैं तो 300 से ज्यादा ऐसे निकलेंगे जो मुख्यमंत्री को नहीं चाहते।

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