एक सप्ताह में NHRC महानिदेशक नियुक्त करेंः SC

[email protected] । Jan 23 2017 3:32PM

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लिए एक सप्ताह के भीतर महानिदेशक नियुक्त करने का निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लिए एक सप्ताह के भीतर महानिदेशक नियुक्त करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने केंद्र सरकार से इस मानवाधिकार संस्था के सदस्यों को भी चार सप्ताह के भीतर नियुक्त करने के लिए कहा। पीठ ने कहा, ‘‘यदि हम इस मामले पर सुनवाई शुरू कर दें और कोई आदेश पारित कर दें तो आप (केंद्र) मुश्किल में पड़ जाएंगे। हम आपको सदस्यों की नियुक्ति के लिए चार सप्ताह का समय दे रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया चार सप्ताह में खत्म की जा सकती है।’’

सुनवाई की शुरूआत में पीठ ने कहा, ‘‘आप (केंद्र) किसी को नियुक्त क्यों नहीं करते? आपको यह करना है। हम आपको ज्यादा समय नहीं देने वाले।’’ न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको सदस्यों की नियुक्ति के लिए तीन सप्ताह का समय देंगे और आप महानिदेशक की नियुक्ति एक सप्ताह में कीजिए।’’ केंद्र की ओर से कुछ और समय की मांग किए जाने पर शीर्ष न्यायालय ने मानवाधिकार संस्था के सदस्यों की नियुक्ति के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

शीर्ष न्यायालय ने एनएचआरसी में रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति में हो रही देरी पर पिछले साल दो दिसंबर को नाराजगी जाहिर की थी और केंद्र को इस देरी के कारण बताने के निर्देश दिए थे। रिक्त पड़े पदों में जांच महानिदेशक और एक सदस्य का पद शामिल था। न्यायालय ने केंद्र से जल्दी से जल्दी इन पदों पर नियुक्तियां करने के लिए कहा था। न्यायालय ने केंद्र से कहा था, ‘‘आप इस मामले को कितना लंबा खींचना चाहते हैं? मार्च 2014 से आयोग में पद रिक्त है।’’ पीठ ने कहा था, ‘‘महानिदेशक (जांच) की नियुक्ति के संदर्भ में, एक उपयुक्त अधिकारी की नियुक्ति के लिए सिफारिश कब की गई थी और किसने उसे मंजूरी दी थी? चयन या सिफारिश में देरी की वजह भी बताई जा सकती है।’’

शीर्ष न्यायालय वकील राधाकांत त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। त्रिपाठी ने कहा था कि ‘‘आयोग अपने अध्यक्ष, सदस्य और जांच महानिदेशक के बिना काम नहीं कर सकता। सरकार की निष्क्रियता के कारण वह विकलांग हो गया है।’’ उन्होंने दावा किया था कि लंबे समय से एनएचआरसी में पद रिक्त होने के कारण लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। त्रिपाठी ने कहा था कि मानवाधिकार सुरक्षा कानून, 1993 के तहत एनएचआरसी में एक अध्यक्ष होना चाहिए, जो भारत का प्रधान न्यायाधीश रहा हो। इसके अलावा एक सदस्य उच्चतम न्यायालय का पूर्व या मौजूदा न्यायाधीश होना चाहिए। एक सदस्य उच्च न्यायालय का पूर्व या मौजूदा मुख्य न्यायाधीश हो। इसके अलावा दो सदस्य ऐसे लोग होने चाहिए, जिन्हें मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों की जानकारी या उनसे जुड़ा व्यवहारिक अनुभव हो।

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