अटलजी के पोखरण परीक्षण के बाद विश्व के सामने ताकतवर बनके उभरा था भारत

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विश्व के सामने भारत की छवि को बदलने वाले जननेता अटल बिहारी वाजपेयीजी की तबियत काफी नाजुक है। आइए भारत के रत्न अटलजी के जीवन के कुछ दिलचस्प किस्सों में से एक पोखरण परमाणु परीक्षण पर नजर डालते हैं।

नयी दिल्ली। विश्व के सामने भारत की छवि को बदलने वाले जननेता अटल बिहारी वाजपेयीजी की तबियत काफी नाजुक है। आइए भारत के रत्न अटलजी के जीवन के कुछ दिलचस्प किस्सों में से एक पोखरण परमाणु परीक्षण पर नजर डालते हैं। 11 मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में पांच परमाणु बमों का परीक्षण हुआ, जिसके बाद भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया और विश्व ने उस दिन जाना कि भारत तेजी से उभर रहा है।

परमाणु परीक्षण क्यों है खास?

विश्वभर के तमाम दबावों के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिखा दिया था कि कोई भी सैटेलाइट उनके मंसूबों को भांप नहीं सकती है और वह किसी से डरने वाले नहीं। यह दूसरा परमाणु परीक्षण था- पहले परीक्षण का नाम स्माइलिंग बुद्धा था जो मई 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आयोजित किया गया था। इसी कड़ी में राजस्थान के पोखरण में 11 और 13 मई 1988 में पांच परमाणु बम परीक्षण किए। इस परीक्षण के सफल होने के बाद से भारत सरकार ने इस परीक्षण के अगले साल से 11 मई को रीसर्जेंट इंडिया डे मनाने का निर्णय किया था। 

इस परीक्षण के बाद मानो विश्व के तमाम समुदाय की नींद ही उड़ गई। भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। लेकिन, इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका सहित भारत के सभी शत्रु देश इस कोशिश में लगे हुए थे कि भारत परमाणु परीक्षण न कर पाए और इसके लिए तो अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए भारत की हर एक हरकत पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए था, लेकिन कहते हैं न कि जिनके हौसले बुलंद होते हैं उनको कामयाबी जरूर मिलती है। 

सीआईए ने भारत को रोकने के लिए अरबों रुपए की सैटलाइट लगाई हुई थी, माना जाता है कि ये सैटेलाइट ऐसी थी जो जमीन पर खड़े सैनिकों की घड़ी का समय भी देख सकती थी। लेकिन, भारत ने सीआईए की इन सैटेलाइटों को भी मात दे दी। 

राजस्थान के जैसलमेर से 110 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर पोकरण नामक कस्बा है जिसे हम पोखरण भी कहते हैं। परमाणु परीक्षण के लिए भारत ने इस स्थान को इसलिए चुना था क्योंकि यहां से मानव बस्ती काफी दूर थी और इसका प्रभाव किसी मानव पर न पड़ सके। इस परीक्षण को करने के लिए वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में बड़े-बड़े कुएं खोदे और फिर इसमें बम रखे गए और बालू के जरिए कुएं को पूरी तरह से ढका गया था।

परमाणु परीक्षण के बाद अटलवाणी

अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में परमाणु परीक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि दुखद है कि परमाणु परीक्षण की भी आलोचना की गई। पूछा गया देश के सामने कौन सा खतरा था। मैं 1974 में सदन में था जब इंदिरा गांधी द्वारा परमाणु परीक्षण किया गया था हमने उसका स्वागत किया था क्योंकि वह देश की रक्षा के लिए था। उस समय कौन सा खतरा था? क्या आत्मरक्षा की तैयारी तभी होगी जब खतरा होगा? तैयारी पहले से हो तो जो खतरा आने वाला होगा वो भी दूर हो जाएगा। खतरा अमल में नहीं आएगा। 

उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने परमाणु परीक्षण किया, कोई छुपी हुई बात नहीं की कोई रहस्य नहीं था, अध्यक्ष महोदय परमाणु परीक्षण के बारे में श्री चंद्रशेखरजी ने कुछ विचार व्यक्त किए, मुझे खेद है मैं उनके विचार से सहमत नहीं हो सकता...

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