आजादी का अमृत महोत्सव -- ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिये महात्मा गांधी कई बार शिमला आये

Himachal

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कई बार शिमला आये व यहां आकर आजादी के आंदोलन को धारदार बनाने के लिये बैठक भी कीं। उस दौर में यहां ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ महात्मा गांधी ने कई बार बैठक कीं। शिमला में आज भी महात्मा गांधी से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं

शिमला।   देश इन दिनों भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।  इसे यादगार बनाने के लिए कई कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी कड़ी में आपको प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क महात्मा गांधी की हिमाचल प्रदेश की यात्रा की जानकारी उपलब्ध कराने जा रहा है।

 

 

आजादी  के अमृत महोत्सव बहाने हम  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद कर रहे हैं।   यूं तो हिमाचल प्रदेश की वर्तमान राजधानी पहाड़ों की रानी शिमला ब्रिटिश काल में अंग्रेजी हुकूमत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है। व ब्रिटिश काल की कई किस्से कहानियां आज  भी सुनने को मिलती हैं।

 

 

 

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ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कई बार शिमला आये व यहां आकर आजादी के आंदोलन को धारदार बनाने के लिये बैठक भी कीं।  उस दौर में यहां ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ महात्मा गांधी ने कई बार बैठक कीं।  शिमला में आज भी महात्मा गांधी से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं।

जानकार बताते हैं कि उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत के साथ कई महत्वपूर्ण फैसले शिमला में ही हुये।  इतिहास के जानकार बताते हैं कि महात्मा गांधी पहली बार शिमला मदन मोहन मालवीय और लाला लाजपत राय के साथ 12 मई 1921 को तत्कालीन वायसराय लार्ड रीडिंग से मिलने आए थे। उस दौरान शिमला के जाखू इलाके में स्थित लाला मोहनलाल के बंगले पर भी रुके थे।

उसके बाद 1931 में वायसराय लार्ड वेलिंग्टन से मिलने भी आए थे। इस भवन में अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज चल रहा है। इसके बाद इमरसन से मिलने इसी साल बापू वल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के साथ पहुंचे थे। यह बिल्डिंग एक आगजनी में ढह गई थी लेकिन इसका बाद में फिर से निर्माण किया जा चुका है। इसके बाद 1940 से 1946 के बीच बापू तीन बार शिमला आए।

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शिमला सम्मेलन 25 जून 1945 ई. को हुआ था। शिमला में होने वाला यह एक सर्वदलीय सम्मेलन था। इसमें कुल 22 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। हालांकि महात्मा गांधी इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं थे लेकिन वायसराय और कांग्रेस कार्यकारी समिति ने इस पर उनसे राय ली थी। सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख नेता जवाहरलाल नेहरू, मुहम्मद अली जिन्ना, इस्माइल खां, सरदार वल्लभ भाई पटेल, अबुल कलाम आज़ाद, खान अब्दुल गफ्फार खां और तारा सिंह थे। मुस्लिम लीग की जिद के कारण यह सम्मेलन असफल हो गया था। मुस्लिम लीग ने शर्त रखी थी कि वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले सभी मुस्लिम सदस्यों का चयन वह स्वयं करेंगे। मुस्लिम लीग का यही अडिय़ल रुख 25 जून से 14 जुलाई तक चलने वाले शिमला सम्मेलन की असफलता का प्रमुख कारण बना था।

महात्मा गांधी ने प्रसिद्ध पर्यटन रेल कालका-शिमला रेल से भी 1921 में यात्रा की थी। समरहिल स्थित राजकुमारी अमृतकौर का घर भी महात्मा गांधी की शिमला यात्राओं का साक्षी है। शिमला आने पर महात्मा गांधी अधिकतर मैनोर विला में ठहरे और यहीं रुक कर उन ऐतिहासिक फैसलों पर मंथन हुआ जो देश की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुए।

समरहिल स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिसर के पास स्थित मैनोर विला के पास से जब आज भी गुजरते हैं तो एक सिहरन सी पैदा हो जाती है। समरहिल के मैनोर विला के अलावा जाखू का फायर ग्रोव व शांति कुटीर गांधी की शिमला यात्राओं का इतिहास खुद में समेटे हुए है। 12 मई 1921 को जब महात्मा गांधी तत्कालीन वायसराय से मिलने शिमला आए थे तो उस समय उन्होंने ईदगाह में रैली को भी संबोधित किया था।  

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