बिहार चुनाव: बागी नेताओं को भाजपा का अल्टीमेटम, नामांकन वापस नहीं लेने पर होगी कार्रवाई

BJP
अंकित सिंह । Oct 10 2020 9:52PM

टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के कई नेताओं ने या तो दूसरी पार्टी का दामन थाम चुनाव में लड़ने का मन बना लिया है या फिर निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे नेताओं की शिकायत लगातार पार्टी ऑफिस में पहुंच रही है। भाजपा ने भी ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने की हर तरफ से कोशिश शुरू कर दी है।

पहले देश, फिर पार्टी और तब व्यक्तिगत हित, भाजपा इसी नारे को दोहराते रहती है और इसी नारे के तहत वह काम करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को कहती भी है। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसा लग रहा है कि भाजपा कार्यकर्ता यह मान बैठे हैं कि पहले व्यक्तिगत हित, फिर पार्टी हित। तभी तो आए दिन लगातार नए-नए बागी नेताओं की तस्वीर समाचार पत्रों के माध्यम से हमारे सामने आ रही हैं। नेता पार्टी छोड़ टिकट के लिए दूसरी पार्टी का रुख कर रहे हैं। यह सबसे ज्यादा भाजपा में देखने को मिल रही है। टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के कई नेताओं ने या तो दूसरी पार्टी का दामन थाम चुनाव में लड़ने का मन बना लिया है या फिर निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे नेताओं की शिकायत लगातार पार्टी ऑफिस में पहुंच रही है। भाजपा ने भी ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने की हर तरफ से कोशिश शुरू कर दी है।

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बागियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भाजपा ने साफ कर दिया है कि जिन नेताओं ने अब तक नामांकन कर दिया है उन्हें नाम वापस लेना होगा। अगर यह नेता अपना नाम वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। हालांकि वक्त बताएगा कि भाजपा के इस सख्त तेवर का बागियों पर कितना असर पड़ता है। पहले चरण के 71 सीटों पर हो रहे चुनाव में अब तक आधा दर्जन से अधिक चर्चित चेहरे भाजपा से बगावत कर या तो किसी दूसरे पार्टी का दामन थाम चुके हैं या फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा सूत्र भी यह मान रहे हैं कि हां, पार्टी में बागियों का सिलसिला लगातार बढ़ सकता है।

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भाजपा में बगावत का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि 2015 में पार्टी 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन इस बार जदयू के साथ गठबंधन के कारण उसे 110 सीटों पर ही चुनाव लड़ना पड़ रहा है। ऐसे में पिछली बार जिन 47 सीटों पर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे वह इस बार टिकट ना मिलने के कारण नाराज चल रहे थे। ऐसे में उन्हीं में से ज्यादातर नेता दूसरे पार्टी का दामन थाम रहे हैं या फिर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वर्तमान में देखे तो भाजपा के ज्यादा नेताओं का ठिकाना लोजपा बन रहा है। लोजपा ने सार्वजनिक तौर पर यह ऐलान कर दिया है कि वह भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी। लोजपा ने तो यहां तक कह दिया है कि उसके उम्मीदवार जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित बिहार और भारत के सपने को साकार करेंगे। ऐसे में भाजपा के ज्यादातर बागी नेता लोजपा का ही दामन थाम रहे हैं।

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अब तक भाजपा के कई चर्चित चेहरे लोजपा का दामन थाम चुके हैं जिनमें राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और उषा विद्यार्थी भी शामिल है। यह तीनों भाजपा के पुराने नेता रहे हैं। हालांकि तीनों नीतीश के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार करते रहे हैं। इनकी सीटें इस बार जदयू के खाते में चली गई है। ऐसे में इन नेताओं ने लोजपा का दामन थाम लिया है। हालांकि ये नेता अपने चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ लोजपा के संबंध का जरूर बखान करेंगे। अब यह भी देखना होगा कि इन नेताओं पर पार्टी किस तरीके की कार्रवाई करती है, कार्रवाई करती भी है या नहीं करती है और चुनाव जीतने के बाद इन नेताओं का भाजपा के प्रति क्या रुख रहता है।

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