सोवियत के लिए बम बरसाना, इंडोनेशिया के सर्वोच्च नेता को बचाना, एक शख्स जिनके पार्थिव शरीर को 3 देशों के झंडों से लपेटा गया
बीजू पटनायक दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किये। बीजू पटनायक बहुत साहसी थे इसी वजह से कई बार वो मुसीबत में फंसे तो कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब सोवियत संघ संकट में घिरा तो भारत का एक पायलट विमान उड़ा कर ऐसी बमबारी की जिससे हिटलर पीछे हटने पर मजबूर हो गया। जब पड़ोसी मुल्क इंडोनेशिया में डचों ने धावा बोला तो नेहरू को अपने पायलट बीजू पटनायक की याद आई। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद कबायलियों के वेश में कश्मीर पर हमला हुआ तो सेना की टुकड़ी को लेकर श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरा और कश्मीर को बचाया गया। वो नेता जिसके निधन पर उनके पार्थिव शरीर को एक नहीं बल्कि तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर रखा गया।
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5 मार्च 1916 को ओडिशा के गंजम जिले में एक ऐसे शख्स का जन्म हुआ जिसने राजनीति में क्रांति लाने के साथ-साथ अंग्रेजों के भी छक्के छुड़ा दिए थे। इस शख्स का नाम था बीजयानंद पटनायक जिसे बीजू पटनायक के नाम से जाना जाता था। बीजू पटनायक दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किये। बीजू पटनायक को एविएशन इंड्रस्ट्री में इतनी दिलचस्पी थी कि उन्होंने पायलट बनने के अपने सपने के लिए पढ़ाई तक छोड़ दी। ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने प्राइवेट एयरलाइंस के लिए उड़ान भरनी शुरू की। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने रॉयल इंडियन एयर फोर्स ज्वाइन कर ली। इसी दौरान उन्होंने क्लिंग एयरलाइन की भी शुरुआत की। बीजू पटनायक बहुत साहसी थे इसी वजह से कई बार वो मुसीबत में फंसे तो कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया।
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इंडोनेशियाई स्वतंत्रता सेनानियों को बचाकर लाए
बीजू पटनायक ने बतौर पायलट भारत के अलावा कई देशों में साहसिक अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। 1988 में डचों ने इंडोनेशिया पर धावा बोल दिया। इंडोनेशिया के सर्वोच्च नेता सुकर्णो ने नेहरू से मदद की गुहार लगाई। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बीजू पटनायक को इंडोनेशिया को डचों से मुक्त कराने में मदद करने की जिम्मेदारी दी। जिसके बाद पायलट के तौर पर 1948 में ओल्ड डकोटा एयरक्राफ्ट लेकर पटनायक जकार्ता पहुंचे। उन्होंने कई विद्रोही इलाकों में दस्तक दी और अपने साथ प्रमुख विद्रोही सुल्तान शहरयार और सुकर्णो को लेकर दिल्ली आ गए थे। इसके बाद सुकर्णो आजाद इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने। बाद में इस बहादुरी के लिए पटनायक को मानद रूप से इंडोनेशिया की नागरिकता दी गई और वहां के सर्वोच्च सम्मान भूमि पुत्र से नवाजा गया।
संकट में घिरे सोवियत के लिए की बमबारी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में घिर गया तो पटनायक ही थे जिन्होंने विमान डकोटा उड़ा कर हिटलर की सेनाओं पर काफी बमबारी की। जिससे हिटलर पीछे हटने को मजबूर हो गया। बीजू पटनायक की बहादुरी पर उन्हें सोवियत संघ का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया गया था और सोवियत ने उन्हें अपनी नागरिकता भी प्रदान की थी।
कबायलियों के आक्रमण पर सेना को श्रीनगर पहुंचाया
भारत- पाकिस्तान बंटवारे के बाद जब कबायलियों के वेश में पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर में हमला किया गया तो ये बीजू पटनायक ही थे जो भारतीय सेना की पहली खेप लेकर श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरे। बाद में उनके पीछे सैनिकों से भरे अन्य हवाई जहाज भी उतरे और कश्मीर को बचाया गया। 17 अप्रैल 1997 को बीजू पटनायक का निधन हो गया। जब 19 अप्रैल को उनकी अंतिम यात्रा निकल रही थी तब उनके पार्थिव शरीर को भारत के तिरेंगे के साथ ही इंडोनेशिया और रूस के राष्ट्रीय ध्वज से लपेटा गया था।
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