बर्ड फ्लू की दस्तकः चिकन के गिरे दाम, कम आमदनी वाले लोग ही खरीद रहे हैं मुर्गा
देश में केरल, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत सात राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। इन राज्यों में पक्षियों के संक्रामक रोग की रोकथाम के लिए हजारों परिंदों को मार दिया गया है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में कौए मृत मिले हैं।
कुरैशी ने बताया कि मांस की बिक्री कम हुई है लेकिन मुर्गे के दाम कम होने से कम आमदनी वाले और गरीब लोग इसकी खरीदारी ज्यादा कर रहे हैं। जामा मस्जिद क्षेत्र में मुर्गे का कारोबार करने वाले इकबाल का भी यही कहना है। उन्होंने कहा, पढ़े-लिखे और संपन्न लोग ‘चिकन’ के सेवन से बच रहे हैं जबकि कम आमदनी वाले ऐसे लोग जो ऊंची कीमत की वजह से मुर्गा नहीं खरीद पाते थे या कम मात्रा में खरीदते थे, वे अब दो-ढाई किलोग्राम तक खरीद रहे हैं। इकबाल ने कहा कि मुर्गे के दाम बीते दो-तीन दिन में ही काफी गिर गए है। जहां जिंदा मुर्गा 120-125 रुपये किलोग्राम की दर से बिक रहा था, वहीं अब यह 55 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है। लक्ष्मीनगर के रमेश पार्क में रहने वाली कहकशा ने कहा, हम ‘चिकन’ को अच्छी तरह से धोकर गर्म मसाले लगाते हैं और उसे कुकर में 35-40 मिनट तक अच्छी तरह से पकाते हैं, जिससे अगर गोश्त में वायरस होगा भी तो मर जाएगा। डॉक्टरों की राय भी कुछ ऐसी ही है। क्यूआरजी सेंट्रल अस्पताल में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ संजय कुमार ने पीटीआई-से कहा कि अच्छी तरह से पके हुए ‘चिकन’ को खाने में कोई हर्ज नहीं है। अगर ‘चिकन’ में संक्रमण है भी तो वह अच्छी तरह से पकने पर खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अधपका मांस नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण फैल सकता है। डॉ. कुमार ने कहा कि संक्रमण संक्रमित पक्षी की लार या बलगम या मल के संपर्क में आने से फैलता है। उधर, ‘चिकन’ कारोबार से जुड़े लोग बर्ड फ्लू की आहट और दाम गिरने से परेशान हैं।Karnataka: Sale of chicken falls in Bengaluru amid the ongoing fear of bird flu outbreak.
— ANI (@ANI) January 10, 2021
"The fear of bird flu has brought our business down to 30%," says a vendor.
State's Health Minister Dr K Sudhakar says, "There is no case of bird flu in Karnataka." pic.twitter.com/OuymZ6IhO4
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दिल्ली में गैर शाकाहारी खाने के लिए पुरानी दिल्ली का मटिया महल का इलाका मशहूर हैं। यहां करीम होटल और अल जवाहर जैसे होटल हैं जहां देश-विदेश से सैलानी ही नहीं, बल्कि सियासतदां भी मटन और ‘चिकन’ नौश्त फरमाने आते हैं। मटिया महल मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख और अल जवाहर होटल के मालिक मोहम्मद अकरम कुरैशी ने बताया कि कारोबार बहुत मंदा है। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण होटल व रेस्तरां सात-आठ महीने लगभग बंद रहे। कोरोना वायरस की वजह से विदेशी सैलानी भी नहीं आ रहे हैं। घरेलू पर्यटक भी न के बराबर हैं। जो भी ग्राहक हैं, वे स्थानीय ही हैं। लेकिन अब बर्ड फ्लू आ गया है जिससे ग्राहकों की संख्या और कम होगी।’’ कुरैशी ने कहा कि असल स्थिति आने वाले दिनों में मालूम हो जाएगी। उर्दू बाजार में ‘फ्राइड-चिकन’’ का कारोबार करने वाले दानिश ने बताया कि नए साल के आगाज़ में कारोबार ने कुछ रफ्तार पकड़ी थी लेकिन पिछले दो-तीन दिन में काम फिर मंदा हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले 30-35 मुर्गे बिक जाते थे लेकिन अब मुश्किल से 10-11 बिक रहे हैं।
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