बुलंदशहर हिंसा: ग्रामीणों को पुलिस कार्रवाई का डर, घर छोड़ कई ने खेतों डेरा डाला

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[email protected] । Dec 4 2018 7:17PM

46 वर्षीय अनिल कुमार ने कहा, ‘‘ बच्चों और महिलाओं समेत कुछ लोग आसपास के इलाकों में स्थित अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं जबकि कुछ गांव से दूर खेतों में रह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह पुलिस के डर की वजह से है।

बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भीड़ द्वारा एक पुलिस चौकी को आग लगाने और पुलिस निरीक्षक की गोली मारकर हत्या करने के एक दिन बाद दहशतजदा चिंगरावटी गांव में खामोशी छायी हुई है। स्थानीय निवासी अनिल कुमार ने मंगलवार को कहा, ‘‘ घटना के बाद गांव में लोग बहुत डरे हुए हैं। उनमें से कुछ तो अपने घर छोड़कर भाग गए हैं।’’ 46 वर्षीय अनिल कुमार ने कहा, ‘‘ बच्चों और महिलाओं समेत कुछ लोग आसपास के इलाकों में स्थित अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं जबकि कुछ गांव से दूर खेतों में रह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह पुलिस के डर की वजह से है।

कथित गोकशी का विरोध कर रही भीड़ के हिंसक होने के बाद पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह और 20 वर्षीय युवक सुमित की गोली लगने की वजह से मौत हो गई। अनिल कुमार ने दावा किया कि 30-32 गायों का वध किया गया और उनके सिर चिंगरावटी गांव के दूसरे तरफ महाव गांव के पास बिखरे हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ इसके बाद, दोनों गांव के लोग चिंगरावटी पुलिस चौकी पर जमा हुए और जिलाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी से जांच और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने मुख्य सड़क को अवरूद्ध कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जब हिंसा भड़की तो पत्थर फेंके गए और निरीक्षक ने गोली चला दी, जिसमें मेरे इलाके के सुमित को गोली लगी और उसकी मौत हो गई।’’

 

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पुलिस ने कहा कि भीड़ की हिंसा में सुबोध सिंह जख्मी हो गए थे और जब उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था तब उनपर फिर से हमला किया गया। उन्होंने कहा कि उनके सिर में गोली मारी गई। सुमित की मां और उसकी तीन बहनें गांव में अपने घर पर थीं। पड़ोसियों ने बताया कि उसकी मौत की जानकारी अभी तक उन्हें नहीं दी गई। पड़ोसियों ने बताया कि सुमित के पिता अमरजीत सिंह (55), भाई विनीत (22) और बहन बबली मेरठ से शव लेकर आए जहां उसे इलाज के लिए जे जाया गया था। समित के रिश्ते के भाई अनुज कुमार ने कहा, ‘‘ सुमित छह भाई-बहनों में सबसे छोटा था। वह गाजियाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।

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अनिल कुमार ने कहा, ‘‘ वह मृद भाषी लड़का था। मैंने राम, राम के सिवाए उसे कुछ कहते नहीं सुना।’’ चिंरागवटी गांव के प्रधान अजय कुमार ने कहा कि ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘‘ गांव में तीन मुस्लिम परिवार हैं लेकिन अब तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।’’ नेशनल जाट महासभा के राज्य अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने निरीक्षक और हिंसा में मारे गए ग्रामीण के लिए मुआवजे और उनके रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘ दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और बेगुनाह लोगों परेशानी नहीं हो।’’

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