येदियुरप्पा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं बीवाई विजयेंद्र, बोम्मई के मंत्रिमंडल में मिल सकती है जगह

by vijayendra

भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा के छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र को पिछले साल प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था और येदियुरप्पा भी पिछले कुछ वक्त से विवादों में रहे हैं।

बेंगलुरू। कर्नाटक में एक लिंगायत समुदाय के मुख्यमंत्री के जाने और दूसरे मुख्यमंत्री के आने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा तेज हो गई है लेकिन लिंगायत समुदाय के बीच सबसे ज्यादा प्रभाव रखने वाले बीएस येदियुरप्पा के परिवार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय के धर्मगुरुओं ने अपना आशीर्वाद देते हुए कहा था कि वह आपके हर फैसले के साथ खड़े रहेंगे। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा उनके बेटे को बड़ा पद या फिर मंत्रिमंडल में कोई अहम मंत्रालय सौंप सकती है। 

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भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा के छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र को पिछले साल प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था और येदियुरप्पा भी पिछले कुछ वक्त से विवादों में रहे हैं। भाजपा के असंतुष्ट नेताओं ने येदियुरप्पा पर बेटे को राजनीति में प्रमोट करने का आरोप लगाया था। इसी के चलते वो सुर्खियों में भी बने हुए थे। हालांकि कई असंतुष्ट नेता खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी समझ रहे थे लेकिन भाजपा ने येदियुरप्पा के करीबी नेता बसवराज बोम्मई को जिम्मेदारी सौंपी।

जानकार बताते हैं कि बीवाई विजयेंद्र बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं। वह शीर्ष पद तक पहुंचना चाहते हैं। उन्होंने ने तो मुख्यमंत्री बदले जाने की कवायदों के बीच खुद के लिए उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी लेकिन लिंगायत समुदाय से ही मुख्यमंत्री मिलने के बाद उनका यह दांव विफल रहा। ऐसे में उन्हें बोम्मई की मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बोम्मई ने सोमवार को जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, जिसके बाद मंगलवार की शाम तक नाम सामने आने की संभावना जताई गई। 

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साल 2009 में भाजपा की युवा इकाई से राजनीति की शुरुआत करने वाले बीवाई विजयेंद्र ने कानून की पढ़ाई की हुई है। साल 2018 में बीवाई विजयेंद्र उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने भाजपा से तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा था। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।

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