शत्रु सम्पत्ति अध्यादेश फिर जारी करने को मंत्रिमंडल की मंजूरी
सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक में संशोधन करने वाले अध्यादेश को जारी किए जाने को कार्योत्तर प्रभाव से स्वीकृति प्रदान की। यह अध्यादेश चौथी बार जारी किया गया है।
नई दिल्ली। सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक में संशोधन करने वाले अध्यादेश को जारी किए जाने को कार्योत्तर प्रभाव से स्वीकृति प्रदान की। यह अध्यादेश चौथी बार जारी किया गया है। शत्रु सम्पत्ति अधिनियम करीब पांच दशक पुराना है। इसे देश में उन लोगों की सम्पत्तियों पर उत्तराधिकार या हस्तांरण की दावेदारी के निषेध के लिए बनाया गया जो विभिन्न लड़ाइयों में भारत को छोड़ कर पाकिस्तान या चीन चले गए है।अध्यादेश पुन:जारी किए जाने को कार्योत्तर स्वीकृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दी गयी। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया, ‘मंत्रिमंडल ने इस अध्यादेश को पुन: जारी किए जाने को कार्योत्तर स्वीकृति दी।’ राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम (1971 के अनधिकृत निवासियों का निष्कासन अधिनियम) को संशोधन करने वाले अध्यादेश को रविवार की रात पुन: जारी किया। इस मामले से संबंधित विधेयक राज्य सभा में लंबित है।
शत्रु सम्पत्ति का अर्थ ऐसी सम्पत्ति से है जो किसी शत्रु देश, उसके आश्रित या शत्रु देश की फर्म की है या उसके द्वारा प्रबंधित है।ये संपत्तियां शत्र संपत्ति कानून के तहत नियुक्त कस्टोडियन की देखरेख में रहतीं हैं। कस्टोडियन का यह कार्यालय केन्द्र सरकार के तहत आता है। वर्ष 1965 की भारत- पाकिस्तान लड़ाई के बाद वर्ष 1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया। इस कानून के तहत इन संपत्तियों का नियमन किया जाता है। अध्यादेश को पहली बार 7 जनवरी को जारी किया गया। इससे संबंधित विधेयक 9 मार्च को लोकसभा ने पारित कर दिया और बाद में इसे राज्य सभा में प्रवर समिति के सुपुर्द किया गया।
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