आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने का मामला: कार्रवाई नहीं होने पर अदालत ने पुलिस से जवाब मांगा

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सिवनी निवासी जितेंद्र अहिरवार द्वारा दायर जनहित याचिका के अनुसार, मूर्ति तोड़े जाने के बाद 10 फरवरी की रात को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

 मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा है कि दो महीने पहले सिवनी जिले में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने के मामले में अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

मुख्य न्यायाधीश एसके कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने सिवनी कलेक्टर और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर घटना के संबंध में उनसे जवाब मांगा है।

अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 10 फरवरी को प्रतिष्ठित समाज सुधारक और संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने की घटना में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

पीठ ने आदेश दिया कि प्रतिवादियों--सिवनी के पुलिस अधीक्षक और सिवनी के धूमा थाने के प्रभारी द्वारा एक हलफनामा दायर किया जाए, जिसमें यह बताया जाए कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

याचिकाकर्ता के वकील दिनेश उपाध्याय ने बताया कि अदालत ने मामले की सुनवाई सात मई को तय की है, तब तक हलफनामे दाखिल करने होंगे। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है, तो उस संबंध में हलफनामा धूमा थाने के प्रभारी द्वारा दाखिल किया जाएगा।

सिवनी निवासी जितेंद्र अहिरवार द्वारा दायर जनहित याचिका के अनुसार, मूर्ति तोड़े जाने के बाद 10 फरवरी की रात को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि अपराध में शामिल लोगों को पकड़ने के बजाय, पुलिस ने कथित तौर पर क्षतिग्रस्त मूर्ति को अज्ञात स्थान पर ले जाकर उसकी जगह एक नई मूर्ति स्थापित कर दी। अहिरवार ने कहा कि दो महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन पुलिस ने एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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