टूलकिट मामला: रमन सिंह और संबित पात्रा को HC से मिली राहत, SC पहुंची छत्तीसगढ़ सरकार
अब छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
कथित टूलकिट मामले में भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ साथ पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा को हाईकोर्ट से राहत मिली है। अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि यह पूरी तरह से दो राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है और ‘‘प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि मौजूदा प्राथमिकी राजनीतिक मकसदों से दर्ज की गई है।’’ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित कर सिंह और पात्रा के खिलाफ दर्ज एक ही प्राथमिकी में अंतरिम राहत दे दी थी।
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अब छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्थायी वकील सुमीर सोढ़ी के जरिए दो अलग-अलग अपील दायर की है। एक अपील रमन सिंह को दी गई राहत के खिलाफ है जबकि दूसरी अपील पात्रा को दी गई राहत के खिलाफ है। राज्य सरकार ने रमन सिंह मामले में आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि 11 जून को दाखिला के स्तर पर, उच्च न्यायालय ने न केवल तुच्छ याचिका को स्वीकार किया बल्कि प्राथमिकी के सिलसिले में जांच पर रोक लगाकर गलती से आरोपी/प्रतिवादी संख्या 1 (रमन सिंह) को अंतरिम राहत प्रदान कर दी।
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राज्य सरकार ने इस आधार पर आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के विशेष अधिकारियों का इस्तेमाल कम से कम और दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के अधिकारियों का उपयोग करने और पूरी जांच पर प्रारंभिक चरण में रोक लगाने में गलती की है, खासकर तब जबकि जालसाजी का पूर्व दृष्टया अपराध बनता है। राज्य सरकार ने कहा कि वह कानून के अनुसार जांच कर रही है और महामारी को देखते हुए, अपने आचरण में निष्पक्ष रही है तथा आरोपी को भेजे गए नोटिस के अनुसार अपने घर पर उपस्थित होने का मौका दिया गया था और जब उन्हें दूसरा नोटिस भेजा गया तो उन्हें अपने वकील के माध्यम से पेश होने का विकल्प दिया गया था। संबित पात्रा के मामले में दायर अपील में भी यही आधार बताया गया है और आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
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