Visa शर्तों का उल्लंघन कर Ladakh और Kashmir में घूम रहा था चीनी नागरिक Hu Congtai, सुरक्षा एजेंसियों ने धर दबोचा

जांच में यह भी सामने आया है कि हू ने दिल्ली पहुँचते ही स्थानीय बाज़ार से एक भारतीय सिम कार्ड खरीदा और उसके मोबाइल फोन में सुरक्षा से जुड़े कई संवेदनशील विषयों जैसे कश्मीर में CRPF की तैनाती, अनुच्छेद 370 और अन्य सैन्य-संबंधी मुद्दों संबंधी सर्च पाई गई।
एक चीनी नागरिक की ओर से वीजा नियमों का उल्लंघन कर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में सामरिक महत्व के स्थानों का दौरा करने की खबर सामने आते ही सुरक्षा एजेंसियों के बीच हड़कंप मच गया। चीनी नागरिक को हिरासत में लिया गया है और उसके मोबाइल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। अधिकारियों ने बताया है कि 29 वर्षीय हू कांगताई को हिरासत में रखा गया है क्योंकि उसने सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी यात्रा का कारण नहीं बताया है। हम आपको बता दें कि कांगताई को तब हिरासत में लिया गया जब सेना की एक इकाई ने इंटरनेट पर एक असामान्य बातचीत देखी। अधिकारियों के अनुसार, सेना द्वारा इंटरसेप्ट की गई असामान्य इंटरनेट गतिविधि ने सबसे पहले सुरक्षा एजेंसियों को एक संदिग्ध विदेशी नागरिक की मौजूदगी के प्रति सतर्क किया। इसके बाद पता चला कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति ग्वांगडोंग प्रांत के शेनज़ेन क्षेत्र का रहने वाला हू कोंगताई है, जिसने 19 नवंबर को दिल्ली पहुँचकर पर्यटन वीज़ा पर भारत में प्रवेश किया था। यह वीज़ा केवल दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बौद्ध धार्मिक स्थलों तक सीमित यात्रा की अनुमति देता था, लेकिन हू ने इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए लद्दाख, ज़ांस्कर और कश्मीर घाटी जैसी संवेदनशील जगहों की यात्रा की।
जांच में यह भी सामने आया है कि हू ने दिल्ली पहुँचते ही स्थानीय बाज़ार से एक भारतीय सिम कार्ड खरीदा और उसके मोबाइल फोन में सुरक्षा से जुड़े कई संवेदनशील विषयों जैसे कश्मीर में CRPF की तैनाती, अनुच्छेद 370 और अन्य सैन्य-संबंधी मुद्दों संबंधी सर्च पाई गई। अधिकारियों का कहना है कि फोन में ब्राउज़िंग हिस्ट्री मिटाने के प्रयास भी देखे गए, जिसके चलते उसके उद्देश्य को लेकर संदेह और गहरा गया है।
सूत्रों ने बताया कि हू 20 नवंबर को दिल्ली से लेह के लिए विमान में सवार हुआ और भीड़ में घुल-मिलकर विदेशी यात्रियों की स्कैनिंग प्रक्रिया को पार कर गया। उसके बाद ज़ांस्कर और अन्य इलाकों में तीन दिनों तक घूमने के बाद 1 दिसंबर को वह श्रीनगर पहुँचा, जहाँ वह एक गैर-पंजीकृत गेस्ट हाउस में ठहरा। कश्मीर में उसने हारवान बौद्ध मठ, शंकराचार्य पहाड़ी, हजरतबल, डल झील के किनारे स्थित मुगल गार्डन तथा अवंतीपुरा के खंडहर जैसे कई प्रमुख स्थलों का दौरा किया। हम आपको बता दें कि इनमें से कुछ स्थान सेना की विक्टर फ़ोर्स मुख्यालय के बेहद नज़दीक हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि 29 वर्षीय हू कोंगताई बॉस्टन यूनिवर्सिटी से भौतिकी में स्नातक है और पिछले नौ वर्षों से अमेरिका में रह रहा है। उसके पासपोर्ट में अमेरिका, न्यूज़ीलैंड, ब्राज़ील, फ़िजी और हांगकांग जैसे देशों की यात्राओं का भी उल्लेख है। पूछताछ में उसने स्वयं को यात्रा-प्रेमी बताया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां उसके इरादों को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। हू को फिलहाल श्रीनगर एयरपोर्ट के पास हुहमां पुलिस पोस्ट में पूछताछ के लिए रखा गया है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार मामला मुख्यतः वीज़ा शर्तों के उल्लंघन का है और संभावित कार्रवाई के तौर पर उसे देश से निर्वासित किया जा सकता है। किन्तु उसकी यात्रा, फोन में मिले डेटा और संवेदनशील स्थलों के चयन ने जांच एजेंसियों को मामले को गहराई से देखने के लिए प्रेरित किया है।
इस बीच, जाँच के दायरे का विस्तार करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में होटलों, हाउसबोटों और होमस्टे-सुविधाओं पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी है। कई प्रतिष्ठानों पर विदेशी नागरिकों के ठहराव की अनिवार्य रिपोर्टिंग यानि फ़ॉर्म-C नहीं भरने के आरोप में अब तक पाँच प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। पुलिस का कहना है कि हाल के महीनों में रूस, इज़राइल, रोमानिया और स्पेन से आए कई पर्यटक बिना रिपोर्टिंग औपचारिकताओं का पालन किए यही ठहराए गए थे।
सुरक्षा एजेंसियों को चिंता है कि हू दो सप्ताह तक संवेदनशील इलाकों में घूमता रहा और स्थानीय व्यवस्थाओं की कमज़ोर निगरानी के कारण किसी की नज़र में नहीं आया। इस घटना के बाद विदेशी नागरिकों की यात्रा-निगरानी और वीज़ा नियमों के पालन को लेकर कड़े कदम उठाए जाने की संभावना बढ़ गई है।
देखा जाये तो हू कोंगताई का मामला सिर्फ एक वीज़ा उल्लंघन की घटना नहीं है, यह भारत की पर्यटन-संबंधी निगरानी प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है। भारत जैसे विशाल और विविध भूगोल वाले देश में विदेशी पर्यटकों का स्वागत हमेशा से हमारी शक्ति और सांस्कृतिक आकर्षण का प्रतीक रहा है, लेकिन लद्दाख और कश्मीर जैसी सैन्य-संवेदनशील जगहों में बिना अनुमति घूमना न केवल वीज़ा नियमों की अवहेलना है, बल्कि सुरक्षा ढांचे के लिए स्पष्ट चुनौती भी है।
घटनाक्रम यह भी दिखाता है कि स्थानीय होटलों और गेस्ट हाउसों द्वारा फ़ॉर्म-C का पालन नहीं करना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में डालने वाली खामी है। पर्यटन और सुरक्षा के बीच संतुलन हमेशा एक कठिन कार्य रहा है, परंतु यह मामला बताता है कि इस संतुलन को बनाए रखने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर निगरानी को और मजबूत करना आवश्यक है।
फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि हू की यात्रा किसी व्यापक साजिश का हिस्सा थी या सिर्फ लापरवाही का परिणाम, लेकिन उससे जुड़े डिजिटल फुटप्रिंट और मार्ग चयन को देखते हुए जांच एजेंसियों का सतर्क रहना बिल्कुल उचित है। इस प्रकरण से सीख लेते हुए यदि वीज़ा अनुपालन, आवास-रिपोर्टिंग और एयरपोर्ट स्कैनिंग में सुधार किए जाते हैं, तो यह सुरक्षा को पुख्ता करने के साथ-साथ जिम्मेदार पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
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