बिहार में लोजपा की प्रेशर पॉलिटिक्स जारी, नीतीश-चिराग की टकराव से बढ़ी भाजपा की टेंशन

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अंकित सिंह । Sep 17 2020 5:16PM

चिराग पासवान जदयू पर तो हमलावर है लेकिन भाजपा को लेकर उनके रुख नरम है। ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि उन्हें भाजपा को लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत फिलहाल तो नहीं है।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जदयू और लोजपा के बीच बढ़ते टकराव के कारण भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। भले ही भाजपा लगातार यह दावा कर रही है कि बिहार में एनडीए एकजुट है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी पर जमीन पर हालात ठीक नहीं लग रहे है। बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच भी टकराव बढ़ते जा रहे है। चिराग पासवान कभी मीडिया के जरिए तो कभी चिट्ठी के जरिए नीतीश कुमार पर हमला करने से चूक नहीं रहे। वहीं, लोजपा के वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह हर हाल में चिराग पासवान के निर्णय के अनुसार ही चलेंगे। नीतीश और चिराग के बीच की तनातनी ने बिहार के सियासी समीकरण को एक बार फिर नया रंग दे दिया है। हाल तो यह है कि अब तीसरे मोर्चे तक की बात चल रही है।

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भाजपा की परेशानी यह है कि किस तरीके से दोनों दलों के बीच सुलह करवाई जाए। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते है कि लोजपा के लिए इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। नीतीश कुमार दलित वोट बैंक में ही सेंधमारी कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। ऐसे में वह कभी नहीं चाहेंगे कि दलित की राजनीति करने वाली लोजपा एक बार फिर बिहार में मजबूत हो। हालांकि कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह सिर्फ सीट बंटवारे को लेकर दबाव बनाने की एक कोशिश है। चिराग पासवान जदयू पर तो हमलावर है लेकिन भाजपा को लेकर उनके रुख नरम है। ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि उन्हें भाजपा को लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत फिलहाल तो नहीं है। इस बीच लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से अनुरोध किया है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी को, जद(यू) से एक सीट अधिक पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहिए। 

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वहीं, बुधवार को लोजपा नेताओं की एक बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की गई। लोक जनशक्ति पार्टी सूत्रों ने कहा कि पासवान ने मंगलवार को नड्डा से मुलाकात की और उन्हें यह सुझाव दिया कि भाजपा को नीतीश नीत जनता दल (यूनाइटेड) से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ना चाहिए। गौरतलब है कि भाजपा, जद(यू) और लोजपा राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दल हैं तथा 243 सदसयीय विधानसभा चुनाव के लिये इन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। जद(यू) और भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव 17-17 सीटों पर लड़ा था, जबकि शेष छह सीटें लोजपा के लिये छोड़ी थी। 

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जद(यू) का मानना है कि उसे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये भाजपा से अधिक सीटें मिलनी चाहिए क्योंकि भगवा पार्टी की तुलना में उसके अधिक विधायक हैं। हालांकि, भाजपा ने सीटों की अपनी संभावित हिस्सेदारी पर कोई आधिकारिक टिप्प्णी नहीं की है। लोजपा और जद(यू) के बीच जुबानी जंग चल रही है। नीतीश नीत बिहार सरकार की कार्यशैली को पासवान अक्सर निशाना बनाते रहे हैं। बुधवार को हुई लोजपा नेताओं की बैठक में नीतीश के शासन की काफी आलोचना की गई, जबकि राज्य के लिये कई विकास परियोजनाएं पेश करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की गई। कुछ नेताओं ने यहां तक कहा कि पार्टी को आगामी चुनाव में जद(यू) के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बाढ़ की स्थिति, कोरोना वायरस महामारी और प्रवासी संकट से निपटने के राज्य सरकार के तौर-तरीकों की भी आलोचना की।

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