सीएम गहलोत बोले, प्रदेश में हो रही ज्यादा जांच ताकि कोई मामला छिपा न रहे

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अशोक गहलोत ने कहा,‘‘ भीलावाड़ा-मॉडल जयपुर, कोटा और राज्य के उन सभी क्षेत्रों में अपनाया गया जो कोरोना के हॉट-स्पॉट हैं। लेकिन, जयपुर परकोटा (रामगंज) इलाके में भीलवाड़ा की तुलना में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है। एक ही घर में कई परिवार रहते हैं।

नयी दिल्ली। राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके चलते किसी किस्म के डर की आशंका को खारिज करते हुए कहा है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा जांच की जा रही हैं ताकि कोई भी मामला छिपा न रहे। गहलोत ने यह भी कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्य के राजस्व में भारी कमी आने का अंदेशा है और जीएसटी (माल व सेवा कर) का बकाया वापस करने सहित उनकी सरकार की कई मांगों पर केंद्र सरकार ने अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण का केंद्र बनकर उभरे भीलवाड़ा जिले में सफलतापूर्वक इस बीमारी को रोकने के लिए देश भर में वाहवाही बटोर रहे गहलोत ने राज्य के अन्य इलाकों में गंभीर हो रहे हालात पर कहा कि अन्य जगहों पर घनी आबादी के चलते नियंत्रण में समय लग रहा है।

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उन्होंने कहा,‘‘ भीलावाड़ा-मॉडल जयपुर, कोटा और राज्य के उन सभी क्षेत्रों में अपनाया गया जो कोरोना के हॉट-स्पॉट हैं। लेकिन, जयपुर परकोटा (रामगंज) इलाके में भीलवाड़ा की तुलना में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है। एक ही घर में कई परिवार रहते हैं। इस क्षेत्र को 30 क्लस्टर में बांटकर ज्यादा जांच कराई जा रही हैं, इसलिए मामले बढ़े हुए लग रहे हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मामले बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं है। हम चाहते हैं कि कोई भी मामला छिपा न रहे।’’ विपक्ष के इन आरोपों को उन्होंने खारिज किया कि कुछ इलाकों में मुस्लिम समुदाय की आबादी अधिक होने के कारण सरकार ने वहां सख्ती नहीं बरती। गहलोत ने कहा कि जयपुर परकोटा (रामगंज) में कुछ मामले सामने आते ही सख्ती लागू कर दी गई थी। किसी दल या नेता का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘ सबको यह समझने की जरूरत है कि यह महामारी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता नहीं देखती।’’ राज्यभर में 22 मार्च से लॉकडाउन है और अनेक थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ है। राजस्थान में कोटा,जयपुर, जोधपुर, अजमेर, टोंक तथा सीकर जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। लॉकडाउन, कोरोना संकट का स्थायी समाधान नहीं होने संबंधी राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बिल्कुल ठीक कहा है कि लॉकडाउन कोरोना संकट का एकमात्र उपाय नहीं है और ज्यादा से ज्यादा संदिग्धों की जांच होनी चाहिए। 

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उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद)के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण रेपिड टेस्टिंग किट, पीसीआर किट और अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए, क्योंकि राज्यों के पास इनका अभाव है। उन्होंने कहा, हाल ही में आईसीएमआर से अनुमोदित “रेपिड टेस्टिंग किट”खरीदे गए थे लेकिन उनके परिणाम सही नहीं निकले और हमने उनका उपयोग रोक दिया। गहलोत ने कहा, राजस्थान परंपरागत “पीसीआर टेस्ट” की संख्या काफी बढ़ा चुका है और देश में सबसे ज्यादा जांच करने वाला राज्य है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते राज्य को हो रहे आर्थिक नुकसान के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वर्ष 2019-20 में 18 हजार करोड़ रुपये का राजस्व कम प्राप्त हुआ और मार्च के अंतिम सप्ताह यानी लॉकडाउन लागू होने के बाद से 3500 करोड़ रुपये का राजस्व कम हुआ है। आने वाले महीनों में भी राजस्व की भारी कमी संभावित है।’’ गहलोत के मुताबिक, ‘‘राज्यों ने केंद्र से एक लाख करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है। साथ ही ऋण सीमा जीडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत किए जाने की मांग रखी थी।’’ उन्होंने कहा,‘‘ राज्यों के हिस्से का जीएसटी का बकाया भी अभी नहीं मिला है।’’

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मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरी बार राज्य की कमान संभाल रहे गहलोत ने केंद्र सरकार से मांग की कि राज्यों पर कर्ज को बिना ब्याज अदायगी के छह महीने के लिए स्थगित किया जाना चाहिए। हाल ही में राज्य के हालात की समीक्षा के लिए आए केंद्रीय दल के साथ बैठक को काफी सकारात्मक बताते हुए गहलोत ने कहा कि केंद्रीय दल ने राजस्थान सरकार के प्रयासों की सराहना की। कुछ राज्यों द्वारा केंद्रीय दल के दौरे को राजनीति से प्रेरित बताने के आरोपों पर गहलोत ने कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा,‘‘ केंद्रीय दल को राज्य के अधिकारियों ने पूरी जानकारी दी है। उन्होंने मेरे साथ भी बैठक की थी और मैंने केंद्र सरकार के सामने जो मांगें रखी हैं, उन सभी मांगों को केंद्रीय दल के सामने भी दोहराया है।’’ प्रवासी मजदूरों से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा, ‘‘ मैंने केंद्र सरकार से मांग की है कि अलग अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर भेजने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र विशेष रेल सेवाएं चलाये तो राज्य पूरा सहयोग करेंगे।’’

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 लॉकडाउन के चलते परेशान लोगों को राहत देने के लिए उनकी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए गहलोत ने दावा किया कि दिहाड़ी मजदूरों तथा गरीब एवं वंचित तबके के लिए राजस्थान सरकार ने देश में सबसे पहले, लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज लागू किया। उन्होंने कहा, इसके तहत 78 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशनर्स को दो माह की पेंशन एक साथ दी गई है। मुख्यमंत्री के अनुसार, राजस्थान में 33 लाख लोगों को प्रति व्यक्ति 2500 रूपये की सहायता राशि दी गई है। इनमें दिहाड़ी मजदूर, निर्माण श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर्स, कचरा बीनने वाले, रिक्शा चालक एवं बेसहारा लोग शामिल हैं। गहलोत ने बताया कि दो दिन पहले ही उनकी सरकार ने 60 लाख लोगों को प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम गेंहू मुफ्त देने का फैसला किया है।

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