प्रिंस चौधरी के उपचार के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने दी एक लाख रुपये की स्वीकृति

Prince Chaudhary

छठें राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बच्चे और उसके माता-पिता की स्थिति से अवगत करवाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि इस बीमारी के उपचार का सालाना खर्च लगभग दो लाख रुपये है और बच्चे के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और बच्चे के पिता गुरूमेल सिंह पहले ही इलाज के लिए अपनी जमीन और गहने बेच चुके हैं।

शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोलन जिला के बद्दी क्षेत्र के अन्तर्गत मल्कु माजरा के 10 वर्षीय प्रिंस चौधरी, जो हड्डियों के गम्भीर रोग से पीड़ित है और पीजीआई चण्डीगढ़ में उपचाराधीन है, के माता पिता को उनके इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये स्वीकृत किए।  मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार गरीबों और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि धन के अभाव के कारण कोई भी व्यक्ति उचित उपचार से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी जरूरतमंदों को मुख्यमंत्री राहत कोष से हर सम्भव सहायता प्रदान की जा सके। उन्होंने लोगों से मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए उदारतापूर्वक अंशदान करने का आग्रह किया ताकि आवश्यकता के समय मंे जरूरतमंदों को राहत प्रदान की जा सके।

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छठें राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बच्चे और उसके माता-पिता की स्थिति से अवगत करवाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि इस बीमारी के उपचार का सालाना खर्च लगभग दो लाख रुपये है और बच्चे के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और बच्चे के पिता गुरूमेल सिंह पहले ही इलाज के लिए अपनी जमीन और गहने बेच चुके हैं। सोलन जिला ग्राम पंचायत मलपुर के गांव मलकू माजरा निवासी 10 वर्षीय प्रिंस चौधरी पिछले 6 वर्षों से एक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है। इस बीमारी के कारण प्रिंस की बिना चोटिल हुए शरीर के अनेक हिस्सों की हड्डियां टूट रही हैं जिसके लिए उसका निरंतर इलाज चल रहा है। बड़े अस्पतालों में ऑप्रेशन हो रहे हैं। प्रिंस की इस बीमारी के इलाज के लिए उसके माता-पिता को अनेक वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में उनका परिवार बेहद आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है।

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प्रिंस की मां गीता देवी ने बताया कि उनका बेटा बचपन से ही होनहार था। बेटे की इस बीमारी के बारे में उन्हें 6 वर्ष पूर्व तब पता चला जब प्रिंस की स्कूल में अचानक टांग की हड्डी टूट गई। उस समय प्रिंस की आयु मात्र 4 वर्ष थी। उस समय से उसकी पढ़ाई भी छूट गई है। उनका बेटा इस समय न केवल बीमारी की पीड़ा से जूझ रहा है बल्कि पढ़ाई छूटने की बात को याद कर परेशान होकर रोने लगता है। प्रिंस की टांग व बाजू सहित शरीर के किसी भी हिस्से की हड्डी का टूट जाने का सिलसिला पिछले 6 वर्षों से लगातार जारी है, जिस कारण क्षेत्र के जाने-माने अस्पतालों के अलावा वर्तमान में पीजीआई चंडीगढ़ में उसका उपचार किया जा रहा है।

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इस बीमारी के कारण प्रिंस चलने में असमर्थ है। इस वजह से महीने में कई बार उसे टैक्सी लेकर अस्पतालों में प्लास्टर इत्यादि करवाना पड़ता है। इलाज से संबंधित प्रक्रिया में हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं। प्रिंस के इलाज पर सालाना लगभग डेढ़ से 2 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपने गहने तथा कुछ जमीन भी बेच दी है। गीता देवी ने बताया कि उनका परिवार अशिक्षित तथा अत्यंत निर्धन है। उन्हें प्रिंस के इलाज के लिए न तो सरकार और न ही प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद मिली है। गीता देवी ने बताया कि कुछ दिन पहले ही फिर से प्रिंस की टांग की हड्डी टूट गई है।पीजीआई चंडीगढ़ में ऑप्रेशन होना  है। इसके लिए उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। गीता देवी ने सरकार, प्रशासन के अलावा क्षेत्र की स्वयंसेवी संस्थाओं तथा दानी सज्जनों से गुहार लगाई है कि वे उनकी आर्थिक स्थिति तथा बेटे की दयनीय हालत के दृष्टिगत सहायता करें। 

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