यूपी चुनाव से पहले सीएम योगी का दलित दांव, फेल हो जाएंगे अखिलेश-मायावती के सारे प्लान

yogi dalit
अंकित सिंह । Jan 14 2022 5:15PM

विपक्षी नेता योगी आदित्यनाथ को लगातार दलित विरोधी बता रहे हैं जबकि आज उन्होंने दलित के यहां भोजन भी किया। इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब योगी आदित्यनाथ ने दलितों के यहां भोजन किया है। इसे योगी आदित्यनाथ का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।

एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं का इस्तीफा जारी है तो वहीं दूसरी ओर भगवा पार्टी अपनी रणनीति को और मजबूत करने में जुट गई है। इस्तीफा देने वाले ज्यादातर नेताओं का आरोप है कि भाजपा सरकार में दलित, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक समुदाय की नहीं सुनी गई। तो वही उत्तर प्रदेश सरकार का नेतृत्व कर रहे योगी आदित्यनाथ आज अचानक दलित बस्ती में पहुंच गए। दरअसल, मौका मकर संक्रांति का था। मकर संक्रांति के अवसर पर अपने गृह नगर गोरखपुर पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने दलित जाति के व्यक्ति अमृतलाल भारती के यहां भोजन किया। मकर संक्रांति के अवसर पर उन्होंने अमृतलाल भारती के यहां खिचड़ी खाई और परिवार के लोगों से बातचीत भी किया।

विपक्षी नेता योगी आदित्यनाथ को लगातार दलित विरोधी बता रहे हैं जबकि आज उन्होंने दलित के यहां भोजन भी किया। इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब योगी आदित्यनाथ ने दलितों के यहां भोजन किया है। इसे योगी आदित्यनाथ का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने जहां सबका साथ सबका विकास का संदेश दिया। वही यह भी बता दिया कि वह किसी से भेदभाव नहीं करते हैं। उन्होंने दावा किया कि हमारी सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दलितों को बिना किसी भेदभाव के मिला है। उन्होंने कहा कि उप्र में समाजवादी पार्टी की सरकार के पूरे पांच साल के कार्यकाल में कुल 18,000 घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को दिए गए, जबकि वर्तमान भाजपा सरकार ने योजना के तहत गरीबों और वंचितों को 45 लाख घर दिए हैं। हमारे लिए यह सामाजिक न्याय हैं।

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समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लगातार योगी आदित्यनाथ को दलित विरोधी बताने वाले नेताओं को अपनी पार्टी में करने की कोशिश कर रहे हैं। वही मायावती लगातार दलित की राजनीति करती हैं। योगी आदित्यनाथ के इस कदम से कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। अखिलेश यादव इस बार के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम और यादव समीकरण के साथ-साथ अपने पक्ष में दलितों को भी करना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने कई दलों के साथ गठबंधन किया है और कई बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर रहे हैं। मायावती को इस बात पर यकीन है कि दलित उन्हें एक बार फिर से वोट देगा। देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति किस ओर जाती है।

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