कांग्रेस ने राफेल सौदे की जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग की

Rafale
प्रतिरूप फोटो

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के मंत्री राफेल मामले में खुद को कितना ही बेदाग साबित करने की कोशिश कर लें लेकिन उनका भ्रष्टाचार और नरेंद्र मोदी की इस घोटाले में सीधी संलिप्तता का अब पूरी दुनिया के सामने पर्दाफाश हो चुका है।’’

मुंबई| कांग्रेस ने फ्रांस के साथ किए गए राफेल विमान सौदे की व्यापक जांच तत्काल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराए जाने की बृहस्पतिवार को मांग की।

ये टिप्पणियां तब आयी है जब फ्रांस के एक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल निर्माता कंपनी दसॉल्ट की ओर से बिचौलियों को कम से कम 75 लाख यूरो की रिश्वत देने के लिए कथित फर्जी रसीदों का उपयोग किया गया।

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यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के मंत्री राफेल मामले में खुद को कितना ही बेदाग साबित करने की कोशिश कर लें लेकिन उनका भ्रष्टाचार और नरेंद्र मोदी की इस घोटाले में सीधी संलिप्तता का अब पूरी दुनिया के सामने पर्दाफाश हो चुका है।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी सबसे पहले राफेल विमान ‘‘घोटाले’’ को जनता के सामने लाए थे और तब से कई नयी चीजें सामने आयी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस इस मामले की फौरन संयुक्त संसदीय समिति से व्यापक जांच कराने की मांग करती है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि राफेल विमान को खरीदने का प्रस्ताव सबसे पहले मनमोहन सिंह सरकार ने किया था। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के अनुसार, भारत को दसॉल्ट एविएशन से 126 विमान खरीदने थे जिनमें से 18 विमान सीधे खरीदे जाने थे और बाकी के 108 विमानों का निर्माण भारत में किया जाना था लेकिन फिर 2014 में भाजपा सरकार आयी और पूरी तस्वीर ही बदल गयी।

खेड़ा ने कहा कि 2015 में मोदी पेरिस गए और घोषणा की कि भारत बिना किसी निविदा के दसॉल्ट से 36 राफेल विमान खरीदेगा। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में भी तो एक राफेल विमान की अनुमानित कीमत 526 करोड़ रुपये थी लेकिन मोदी सरकार ने पहले विमानों की संख्या 126 से कम करके 36 कर दी और दूसरी, उन्होंने बिना किसी निविदा के इन्हें खरीदने का फैसला किया।

उन्होंने कहा कि तीसरा, मोदी सरकार ने एक विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,670 करोड़ रुपये कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘चौथी बात यह है कि उन्होंने इस सौदे से तकनीक के हस्तांतरण की बात हटा दी और पांचवीं तथा सबसे गंभीर बात यह है कि उन्होंने इस समझौते से भ्रष्टाचार न होने का खंड भी हटा दिया। मोदी ने खुद हस्तक्षेप किया और इस खंड को हटाया। लेकिन अब हम जानने चाहते हैं कि क्यों मोदी ने इसे हटाया।’’

खेड़ा ने कहा कि चार अक्टूबर 2018 को पूर्व भाजपा मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सीबीआई निदेशक को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की। इसके बाद 11 अक्टूबर 2018 को मॉरिशस के अटॉर्नी जनरल ने सीबीआई को कुछ सूचना से जुड़ी फाइल सौंपी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें सुशेन गुप्ता नामक एक बिचौलिए का नाम था। ऐसा आरोप है कि गुप्ता ने राफेल विमान खरीद मामले में कुछ भुगतान प्राप्त किया।’’ उन्होंने कहा कि फिर 23 अक्टूबर 2018 को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का रातोंरात तबादला कर दिया गया और उनकी जगह एम ए नागेश्वर राव को नियुक्त किया गया।

खेड़ा ने दावा किया कि गुप्ता को मामले में नामजद किया गया था और उनके घर पर ईडी ने 16 मार्च, 2019 को छापा मारा था और केंद्रीय एजेंसी को राफेल सौदे से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज मिले थे।

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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मुख्य दस्तावेजों में से एक सुशेन गुप्ता द्वारा डसॉल्ट एविएशन को लिखा गया एक नोट था, जिसमें उन्होंने डसॉल्ट से वादा किया था कि वह राफेल विमान खरीद के लिए केंद्र में भाजपा सरकार से मिलने में उनकी मदद करेंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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